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Rajyasabha Election 2024: यूपी में राज्यसभा की एक सीट पर अखिलेश के साथ होगा ‘खेला’! जानें क्या है वोटों का समीकरण
Rajyasabha Election 2024: उत्तर प्रदेश में लोकसभा से पहले राज्यसभा का दिलचस्प चुनाव होने जा रहा है। 10 सीटों के लिए मैदान में 11 प्रत्याशी उतर गए हैं। शुरु में बीजेपी ने सात और सपा ने तीन सीटों पर कैंडिडेट उतारे, जिनकी जीत पक्की मानी जा रही थी। लेकिन सपा विधायक पल्लवी पटेल और स्वामी प्रसाद मौर्य के बगावती तेवर ने खेल ही पलट दिया।
Rajyasabha Election 2024: उत्तर प्रदेश में लोकसभा से पहले राज्यसभा का दिलचस्प चुनाव होने जा रहा है। 10 सीटों के लिए मैदान में 11 प्रत्याशी उतर गए हैं। शुरु में बीजेपी ने सात और सपा ने तीन सीटों पर कैंडिडेट उतारे, जिनकी जीत पक्की मानी जा रही थी। लेकिन सपा विधायक पल्लवी पटेल और स्वामी प्रसाद मौर्य के बगावती तेवर ने खेल ही पलट दिया। भाजपा ने सपा के अंदरूनी घमासान का फायदा उठाने के लिए आठवें उम्मीदवार को नामांकन के आखिरी दिन मैदान में उतार दिया।
अब ये तय है कि राज्यसभा चुनावों के लिए 27 फरवरी को वोटिंग होगी और किसी एक उम्मीदवार की हार निश्चित है। आठवें उम्मीदवार के सीन में आने से वोटों का गुणा-भाग शुरू हो गया है। 403 सदस्यीय उत्तर प्रदेश विधानसभा में फिलहाल चार सीट रिक्त हैं और सदन का स्ट्रेंथ 399 सदस्यों का है। इस हिसाब से राज्यसभा की एक सीट जीतने के लिए 37 वोटों की दरकार है। तो चलिए एक नजर एनडीए और विपक्षी दलों की वर्तमान स्तिथि पर डालते हैं।
विधानसभा में क्या है एनडीए का आंकड़ा
एनडीए में भाजपा के पास 252, अपना दल (सोनेलाल) के पास 13, निषाद पार्टी और सुभासपा के पास छह-छह विधायक हैं। इनमें रालोद के नौ और बाहुबली विधायक राजा भैया की पार्टी के दो विधायकों का भी जोड़ लें तो कुल आंकड़ा पहुंच जाता है 288। अगर जेल में बंद सुभासपा विधायक अब्बास अंसारी न भी आ पाएं तो भी बीजेपी अपने सात उम्मीदवारों को आराम से जीता लेगी। बीजेपी के पास आठवें उम्मीदवार के लिए बचते हैं 28 वोट, जो कि 37 के मैजिक नंबर से 9 कम है।
सपा और अन्य विपक्षी दलों का आंकड़ा
प्रमुख विपक्षी समाजवादी पार्टी के पास विधानसभा में अपने 108 विधायक हैं। दो विधायक सहयोगी कांग्रेस के हैं। एक सीट बहुजन समाज पार्टी के पास है। सपा को अपने तीन कैंडिडेट्स को जीताने के लिए 111 वोटों की दरकार है। पार्टी ये मानकर चल रही थी कि वह कांग्रेस और बसपा की मदद से अपने तीसरे उम्मीदवार को जीता लेगी। लेकिन पल्लवी पटेल की बगावत ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं। पटेल साफ कह चुकी हैं कि वो सपा उम्मीदवार को वोट नहीं करेंगी।
इसके अलावा सपा के दो विधायक इरफान सोलंकी और रामाकांत यादव पहले से ही जेल में हैं। उनके विधानसभा पहुंचकर वोट देने पर संशय है। ऐसे में सपा के विधायकों की संख्या घटकर 105 पर आ गई है। इसमें दो कांग्रेस के वोट जोड़ भी दें तब भी आंकड़ा 107 ही पहुंचता है। अखिलेश यादव और मायावती के जो वर्तमान में संबंध है, उसे देखकर बीएसपी विधायक का सपा को वोट देना मुश्किल है।
संजय सेठ को उतार बीजेपी ने चला दांव
समाजवादी पार्टी के सूत्रों की मानें तो अखिलेश यादव को सुभासपा और रालोद के उन विधायकों से समर्थन मिलने की आस है, जो अपने पार्टी नेतृत्व से नाराज चल रहे हैं। हालांकि, यहां क्रॉस वोटिंग करने से विधायकों की सदस्यता भी जाने का खतरा रहता है, ऐसे में क्या विधायक ये जोखिम उठाने के लिए तैयार होंगे, ये बड़ा सवाल है।
दूसरी तरफ बीजेपी ने पुराने सपाई संजय सेठ को मैदान में उतारकर एक बड़ा दांव चला है। सेठ सपा के कोषाध्यक्ष के अलावा पार्टी के टिकट पर राज्यसभा भी जा चुके हैं। बताया जाता है कि उनकी अभी भी सपा में गहरी पैठ है और वे अपने समर्थन में वोट ला सकते हैं। इसके अलावा स्वामी प्रसाद मौर्य की नाराजगी भी बीजेपी के लिए काम कर सकती है।