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Raksha Bandhan in Mathura: वृन्दावन की निराश्रित विधवा महिलाएं पीएम मोदी के लिए बना रही राखियां, माना उनको अपना भाई

Raksha Bandhan in Mathura: विधवा महिलाओं का न तो कोई भाई है और न ही परिवार। इसलिए इन्होंने देश के PM नरेन्द्र मोदी को ही अपना भाई मान लिया है और उनके लिए इस बार सैकड़ों राखियां तैयार कर रही हैं।

Nitin Gautam
Published on: 9 Aug 2022 12:12 PM GMT
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मथुरा: वृन्दावन की निराश्रित विधवा महिलाएं पीएम मोदी के लिए बना रही राखियां

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Raksha Bandhan in Mathura: कान्हा की नगरी वृन्दावन (Vrindavan) के आश्रयों और सदनों में रहने वाली सैकड़ों विधवा महिलाएं प्रभु राधा कृष्ण के नाम को जीवन आधार बनाकर जी रही हैं। इन विधवा महिलाओं का न तो कोई भाई है और न ही परिवार। इसलिए इन्होंने देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ही अपना भाई मान लिया है और उनके लिए इस बार सैकड़ों राखियां तैयार कर रही हैं।

अब इन विधवा महिलाओं ने भाई बहिन के पवित्र त्यौहार रक्षाबंधन को यादगार बना मोदी को ही अपना भाई मान लिया है। प्रधानमंत्री मोदी के चित्र लगी राखी भी तैयार की है । इन सैकड़ों राखियों को लेकर कम से कम पांच माताओं का एक प्रतिनिधिमंडल 11 अगस्त को दिल्ली पीएम के पास जायेगा और उनकी कलाई पर राखी बांध अपने जीवन को आनंदित बनाएगा ।

महिलाएं जीवन को एक अलग व उमंग भरे अंदाज में जी रही

राखी का त्यौहार हर भाई बहन के लिए बहुत अहम दिन माना जाता है लेकिन वृन्दावन में रह रही बेसहारा विधवाओं का न बहन है न ही कोई भाई और न ही कोई और । इस लिए इनके जीवन में किसी त्यौहार और रंगों का कोई महत्व नही था । लेकिन दस साल पहले निराश्रित महिलाओं के लिए सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक विंदेश्वरी पाठक ने पहल की और विधवा व निराश्रित महिलाओ के जीवन में हर खुशी देने के लिए कई कदम उठाए उसी का परिणाम ही कि आज वृंदावन की निराश्रित महिलाएं जीवन को एक अलग व उमंग भरे अंदाज में जी रही हैं । इसी क्रम में रक्षबंधन पर यह विधवाएं देश के प्रधानमंत्री मोदी के लिए रखी बनाती हैं और रक्षाबंधन के दिन उनके हाथ पर राखी बांधती है और रक्षा का वचन लेती है ।

विधवा महिलाओं ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को माना अपना भाई

इन विधवाओं ने कभी सोचा भी नही था कि इनको समाज में उपेक्षा व तिरस्कार की नजर से देखा जाता था आज वह प्रधानमंत्री को भाई मानते हुए राखी बांधेंगी । पीएम की कलाई पर राखी बांधने का श्रेय यह निराश्रित महिलाए विंदेश्वरी पाठक को देती हे और कहती हे की उनका अपना भी भाई हे लेकिन जिन्होने जिंदगी में खुशियां दी वही भाई हे इसलिए बिंदेश्वरी पाठक व मोदी को वह अपना भाई मानती हे और जब वह राखी बांधती हे तो उनको बहुत खुशी होती है ।

भाई बहन के इस त्यौहार पर इन बेसहारा महिलाओ का भले ही खून के रिश्तो में भाई न हो लेकिन इन्हें देश के प्रधान मंत्री मोदी के रूप में एक भाई मिला है जिसे वो राखी बांधना चाहती है और उन्हें अपनी रक्षा का वचन लेना चाहती है। प्रधान मंत्री मोदी के लिए बनाई गयी राखिओ को बना कर इन वृद्ध माताओ में गजब का उत्साह है।अपनों की अनदेखी और द्वितकार झेल रही ये विधवा महिलाये वृन्दावन के आश्रय सदनों में रहकर जीवन यापन करती है क्योकि सायद इनका समाज अपने साथ में रहने और सब कार्यो को करने की इजाजत नहीं देता लेकिन वृन्दावन की विधवा महिलाये कभी दुर्गा पूजा कभी होली खेलकर कुछ अलग करती दिखती है और अब ये महिलाये भाई बहन के इस प्यार के त्यौहार रक्षाबंधन में भी अपने जीवन में खुशिया बटोरने का काम कर रही है ।

निराश्रित विधवा महिला

दरअसल, यह विधवा महिलाए पिछले कुछ साल पहले तक रक्षाबंधन के दिन राखी बाँधने के लिए पीएम के घर जाती थीं। लेकिन पिछले दो सालों से वे COVID संकट के कारण प्रधानमंत्री को राखी बांधने नही जा सकी। इस बार प्रधान मन्त्री कार्यालय से सम्पर्क किया गाया है और अनुमति मिलने पर कुछ माताए प्रधानमंत्री क़ो राखी बाधने जाएंगी। इस संबंध में विधवा आश्रम की संचालिका विनीता वर्मा बताती ही कि वृन्दावन की आश्रम में रहने वाली माताओं ने मोदीजी के छवियों के साथ विशेष राखी तैयार की हैं और साथ में 75 तिरंगा भी यह तैयार कर रही हे । मां शारदा और राधाटीला आश्रम में रहने वाली वृद्ध विधवाओं के द्वारा प्रधान मंत्री मोदी की रंगीन फोटो वाली राखियां तैयार की गई हैं ।

विनीता वर्मा संचालिका आश्रय सदन

सुलभ इंटरनेशनल संस्था ने सामाजिक कलंक को तोड़ने के उद्देश्य से, प्रसिद्ध सामाज सुधारक और सुलभ आंदोलन के संस्थापक डॉ बिंदेश्वर पाठक ने वृंदावन में रहने वाली विधवाओं के लिए सभी महत्वपूर्ण हिंदू अनुष्ठानों का आयोजन शुरू किया था। रक्षाबंधन भी उसमें से एक है।

Shashi kant gautam

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