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Ram Mandir Andolan: मंदिर आंदोलन, कहाँ गए वो लोग? कभी दबदबा था विनय कटियार का
Ram Mandir Andolan: विनय कटियार कानपुर में जन्मे और अयोध्या में पले-बढ़े। विनय ने कानपुर विश्वविद्यालय से वाणिज्य में स्नातक की डिग्री प्राप्त की थी।
Ram Mandir Andolan: श्री राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के अवसर पर कुछ उन लोगों को भी अवश्य स्मरण किया जाना चाहिए जो बरसों चले राम मंदिर आंदोलन में शामिल थे। इनमें देवराहा बाबा जी महाराज, महंत अभिराम दास, विश्व हिंदू परिषद के पूर्व अध्यक्ष अशोक सिंघल और 1949-50 में फैजाबाद के जिला मजिस्ट्रेट केके नायर भी शामिल हैं।
यही नहीं, कई ऐसे राजनेता भी हैं जिनकी बाबरी मस्जिद विध्वंस और राम मंदिर आंदोलन के समय महती भूमिका रही थी। कल्याण सिंह और लाल कृष्ण आडवाणी से लेकर विनय कटियार, डॉ मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती और गोरखनाथ मठ के महंत अवैद्यनाथ तक। अब वे कहाँ हैं? कुछ का निधन हो गया है, कुछ बूढ़े हो गए हैं और कुछ बीमार हैं या अपनी अंतिम अवस्था में जी रहे हैं।
जानते हैं इनके बारे में।
विनय कटियार
विनय कटियार कानपुर में जन्मे और अयोध्या में पले-बढ़े। विनय ने कानपुर विश्वविद्यालय से वाणिज्य में स्नातक की डिग्री प्राप्त की थी।कटियार ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत संघ परिवार की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से की थी। वह 1970 से 1974 तक एबीवीपी की उत्तर प्रदेश राज्य इकाई के आयोजन सचिव और 1974 में जयप्रकाश नारायण के बिहार आंदोलन के संयोजक थे। वह 1980 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक बन गए। 1982 में उन्होंने हिंदू जागरण मंच की स्थापना की। 1984 में, उन्हें राम जन्मभूमि आंदोलन का समर्थन करने के लिए नए युवा संगठन बजरंग दल को शुरू करने के लिए चुना गया। वह बजरंग दल के संस्थापक और अध्यक्ष थे। बाद में यह संगठन विहिप की युवा शाखा बन गया जो अक्सर अपने भड़काऊ बयानों से विवादों के केंद्र में रहता था।
बाद में कटियार ने 2002 से 18 जुलाई 2004 तक भारतीय जनता पार्टी की उत्तर प्रदेश राज्य इकाई के अध्यक्ष और 2006 तक भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव के रूप में कार्य किया।
कटियार 1991, 1996 और 1999 में 10वीं, 11वीं और 13वीं लोकसभा के लिए फैज़ाबाद से लोकसभा के लिए चुने गए और 2012 में उत्तर प्रदेश के प्रतिनिधि के रूप में राज्यसभा के लिए चुने गए।
दरअसल, यह विश्व हिंदू परिषद ही था जिसने न केवल 1984 में शुरू हुए मंदिर आंदोलन का नेतृत्व किया बल्कि पूरे देश से हिंदू संतों को संगठित भी किया। इसने मंदिर-मस्जिद मुद्दे को सुलझाने के लिए सभी वार्ताओं में भाग लिया।हालांकि लाल कृष्ण आडवाणी की सोमनाथ से अयोध्या यात्रा ने पूरे देश में भावनाएं भड़का दीं थीं लेकिन यह वीएचपी नेतृत्व ही था जिसने कारसेवकों को एकजुट और मैनेज किया, जिसमें 1992 में विध्वंस दिवस भी शामिल था। विनय कटियार, जिन्होंने खुलेआम बाबरी विध्वंस में भूमिका का दावा किया था, न केवल एक अग्रिम पंक्ति के नेता थे बल्कि स्थानीय स्तर पर आंदोलन के प्रबंधकों में से भी एक थे।
विनय कटियार बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में 31 आरोपियों में से एक थे। आज विनय कटियार गुमनामी में हैं। वर्तमान नेताओं और नेतृत्व में उनकी उपस्थिति दिखाई नहीं देती।