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Ram Mandir Land Scam: ट्रस्ट के हाथ कैसे लगी विवादित जमीन, लगातार हो रहे हैं चौंकाने वाले खुलासे

अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय के भांजे दीपनारायण उपाध्याय ने यह जमीन देवेंद्र प्रसादचार्य से 20 लाख रुपये में खरीदी और इसी जमीन को ट्रस्ट को ढाई करोड़ रुपये में बेच दी।

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Newstrack NetworkPublished By Shashi kant gautam
Published on: 25 Jun 2021 3:38 AM GMT (Updated on: 25 Jun 2021 3:44 AM GMT)
Ram Mandir Land Scam: ट्रस्ट के हाथ कैसे लगी विवादित जमीन, लगातार हो रहे हैं चौंकाने वाले खुलासे
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Ram Mandir Land Scam: राम की नगरी अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू है इसीके साथ कई सारे विवाद भी सामने आ रहे हैं। हाल ही में मंदिर निर्माण के लिए खरीदी गई जमीन को लेकर सपा, आम आदमी पार्टी समेत यूपी की विपक्षी पार्टियों ने कुछ घोटालों के आरोप लगाए हैं। दरसअल, अयोध्या में जिस जगह पर श्रीराम मंदिर बन रहा है, उससे लगभग 300 मीटर की दूरी पर कोट रामचंदर इलाके की वह जमीन है, जिसे श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने ढाई करोड़ रुपये में खरीदी है।

बता दें कि विपक्ष ने इसी जमीन को लेकर आरोप लगाए हैं इस मामले में जब जांच की गई तो बड़ा खुलासा हुआ है जिसमें अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय के भांजे दीपनारायण उपाध्याय ने यह जमीन देवेंद्र प्रसादचार्य से 20 लाख रुपये में खरीदी और इसी जमीन को ट्रस्ट को ढाई करोड़ रुपये में बेच दी। जांच में पता चला है कि यह जमीन सरकारी है और इसे तब तक बेचा नहीं जा सकता, जब तक यह जमीन फ्री-होल्ड न हो जाए।

Ram Mandir Land Scam: ट्रस्ट के हाथ कैसे लगी विवादी जमीन, जांच में आये चौंकाने वाले खुलासे

अयोध्या के सब-रजिस्ट्रार एस. बी. सिंह ने बताया कि ''नजूल जमीन सरकारी होती है। इसलिए इसे बेचा नहीं जा सकता जब तक कि यह फ्री-होल्ड न हो जाए। आप उसको इंजॉय कर सकते हैं, लेकिन इस पर मालिकाना हक नहीं जता सकते। सड़क किनारे भी नजूल जमीन में ढाबे बने होते हैं, लेकिन जब भी जरूरत होती है तो उसे गिरा दिया जाता है। इसलिए नजूल जमीन की या किसी जमीन की रजिस्ट्री तो हो जाएगी, क्योंकि हमारी जिम्मेदारी लेखपत्र की नहीं होती, लेकिन नजूल की सरकारी जमीन पर खरीदने वाले का मालिकाना हक नहीं होगा, जब तक कि जमीन खारिज-दाखिल न हो जाए।''

जमीन की जांच-पड़ताल कराना क्रेता की जिम्मेदारी होती है-एस. बी. सिंह

वहीं, अयोध्या के रजिस्ट्रार अधिकारी एस. बी. सिंह जिनकी निगरानी में हर जमीन की रजिस्ट्री होती है, उन्होंने खुद बताया कि वह किसी भी जमीन की रजिस्ट्री हो, भले ही वह बाद में सरकारी या विवादित निकले। यह जिम्मेदारी तो क्रेता यानी इस मामले में राम मंदिर ट्रस्ट की है। उन्होंने कहा, ''हर क्रेता की जिम्मेदारी है कि वह जमीन की पड़ताल कराकर ही जमीन की रजिस्ट्री कराए।'' यहां सवाल उठता है कि राम मंदिर ट्रस्ट ने बिना किसी जांच पड़ताल के राम मंदिर के नाम पर आए चंदे के करोड़ो रुपयों से विवादित जमीन कैसे और क्यों खरीद ली?

सरकारी जमीन को ट्रस्ट को ढाई करोड़ में बेच दिया

वहीं, अयोध्या के महंत देवेंद्र प्रसादाचार्य का कहना है कि अयोध्या मेयर और उनके भांजे ने राम मंदिर के लिए जमीन लेने की बात की थी, जिसके बाद उन्होंने सरकारी जमीन होने के नाते यह जमीन उनको 20 लाख रुपए में बेच दी। उन्हें तो पता ही नहीं कि इसी जमीन को 3 माह बाद ही इन लोगों ने ट्रस्ट को ढाई करोड़ में बेच दिया।


अयोध्या राम मंदिर निर्माण: फोटो- सोशल मीडिया

किन-किन लोगों ने बेचीं जमीन

जांच में पता चला है कि करीब 2 बड़ी जमीन को राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट को बेचने वालों में अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय के 2 रिश्तेदार शामिल हैं। एक तो भांजा दीपनारायण उपाध्याय है, तो दूसरा करीबी रिश्तेदार रवि तिवारी। ऐसे में विपक्ष भी सवाल उठा रहा है और साथ ही 20 लाख में मेयर के रिश्तेदार को जमीन बेचने वाले महंत देवेंद्र प्रासादाचार्य भी अयोध्या मेयर पर सीधा-सीधा सवाल उठा रहे हैं। जबसे जमीन की खरीद-फरोख्त में मेयर के रिश्तेदारों के नाम आया है, तब से मेयर मीडिया के कैमरों से अयोध्या में बचते फिर रहे हैं।

हरीश पाठक उर्फ हरिदास ने किया पूरा खेल: फोटो- सोशल मीडिया


हरीश पाठक उर्फ हरिदास ने किया पूरा खेल

वहीं, सरकारी और विवादित जमीन की खरीद-फरोख्त के इस पूरे खेल की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी हरीश पाठक उर्फ हरिदास है। कहने को तो यह पुलिस के रिकॉर्ड में फरार है, लेकिन फरारी के बाद भी इसका रजिस्ट्री ऑफिस आना-जाना लगातार बना हुआ है। करोड़ों की जमीन-खरीदना बेचना आम बात है। पड़ताल में खुलासा हुआ है कि ट्रस्ट द्वारा खरीदी हर जमीन में कहीं-न-कहीं अयोध्या के इस भूमि माफिया के तार जरूर जुड़े हुए हैं। यही नहीं, जमीन की खरीद-फरोख्त के लिए इसने जो सिंडीकेट तैयार किया था, वह गजब का फल फूल भी रहा है जबकि इस पर अयोध्या में ही जमीन को लेकर ठगी के कई मामले दर्ज हैं।

हरीश पाठक उर्फ हरिदास ने करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी की

दरअसल, 25 फरवरी 2009 को इसने फैजाबाद में एक साकेत गोट फार्मिंग के नाम से कंपनी खोली और लगभग 7 साल बाद ही लोगों से जमा कराए करोड़ों लेकर भाग निकला। अलग-अलग जिलों में इसके नाम धोखाधड़ी और जालसाजी के मुकदमे दर्ज हुए, लेकिन संपत्ति की कुर्की के बाद भी यह पुलिस के हाथ में नहीं आया। धोखाधड़ी से कमाए पैसे को इसने जमीन की खरीद-फरोख्त के धंधे में इस्तेमाल करना शुरू किया। पड़ताल पर जमीन की हर खरीद-फरोख्त पर नजर रखने वाले अयोध्या रजिस्ट्री ऑफिस के सब रजिस्ट्रार एस बी सिंह खुद मुहर लगाते हैं। अयोध्या के सब-रजिस्ट्रार सिंह ने बताया कि हरीश पाठक ने पहले एक गोट फार्मिंग कंपनी खोली और लोगों से उसमें पैसे जमा कराये और बाद में पैसे लेकर भाग निकला। उसी पैसे को इसने जमीन में लगाए और पूरा कारोबार खड़ा कर लिया।

कौन है सुल्तान अंसारी

वहीं, जिस शख्स सुल्तान अंसारी का नाम ट्रस्ट द्वारा 2 करोड़ की जमीन कई करोड़ों में खरीदने के बाद उछला, उसका पिता इरफान अंसारी इसका उस समय से परिचित है जब इसने गोट फार्मिंग कंपनी शुरू की थी, इसीलिए वह कामकाज में हाथ भी बंटाता था। साल 2011 में इरफान के साथ मिलकर एक करोड़ में इसने एक बड़ी, लेकिन विवादित जमीन का एग्रीमेंट करवाया, जिसकी इसने 2017 में रजिस्ट्री करवा ली।

इसके बाद 2019 में इरफान के बेटे सुल्तान अंसारी समेत 9 लोगों को 2 करोड़ में एग्रीमेन्ट कर दिया, जिसे 18 मार्च 2021 को राम मंदिर ट्रस्ट को इस तरह बेचा गया कि जमीन में लगाया गया 2 करोड़ रुपया साढ़े 26 करोड़ हो गया। बात यहीं खत्म नहीं हुई। ट्रस्ट से मिले पैसे से इसने इरफान अंसारी के ही बेटे सुल्तान अंसारी और अयोध्या मेयर ऋषिकेश उपाध्याय के करीबी रिश्तेदार रवि तिवारी के साथ फिर 11 करोड़ 1 लाख की बड़ी विवादित जमीन राम मंदिर से एक किलोमीटर दूर खरीद ली।

आईबी की टीम पहुंची जांच करने

हरीश पाठक उर्फ हरिदास फरार होने के बाद खुले आम कैसे घूम रहा है यह पता लगाने हम अयोध्या के कैंट कोतवाली पहुंचे तो कैंट थाने के दीवान ने बताया कि ऐसे कितने ही मामले हैं, जिनकी पहले कोई चर्चा नहीं थी। अब कागज निकाले जा रहे हैं। हमारे यहां से दो मुकदमों में फरार है, जिसमें एक मुकदमे से तो जांच अधिकारी ने 2 धाराएं ही हटा दी थीं और बिना 141 की नोटिस के चार्जशीट दाखिल कर दी, जिसे लेकर अब अयोध्या के एसएसपी सबकी क्लास लगा रहे हैं और केस की फाइल दफ्तर में मंगवा रहे हैं। वहीं, मामले ने तूल पकड़ा तो बात प्रधानमंत्री तक पहुंच गई। इसके बाद अयोध्या में आईबी की टीम पहुंच गई है और सभी अफसरों से फाइल मंगवाई जा रही है। खासकर उस सरकारी दफ्तर से जो सरकारी जमीनों का मामला देखता है।


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