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रथयात्रा के जरिये राम मंदिर पर माहौल बनाने की कोशिश
रामकृष्ण बाजपेयी
लखनऊ। भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी की सोमनाथ से अयोध्या तक की रथयात्रा के 28 साल बाद अयोध्या से एक और रथयात्रा शुरू हुई है। इस रथ यात्रा का उद्देश्य रामराज्य की स्थापना करवाना और राममंदिर निर्माण के प्रति माहौल बनाकर समर्थन जुटाना, रामायण को पाठ्यक्रम में शामिल कराना, रविवार की जगह बृहस्पतिवार को राष्टï्रीय स्तर पर साप्ताहिक अवकाश घोषित करवाना और यात्रा के जरिये इन मांगों पर दस लाख हस्ताक्षर जुटाना व 50 हजार साधु संतों को इसके पक्ष में खड़ा करना है। एक ज्ञापन देश के राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री को सौंपा जाएगा इन पांचों बिंदुओं के समर्थन में मिस्ड कॉल अभियान भी शुरू किया जाएगा। यात्रा महाराष्टï्र की एक संस्था यूनिवर्सल रामदास आश्रम के सौजन्य से निकाली जा रही है।
यात्रा का पूरा खर्च यह संस्था और उनके स्थानीय सहयोगी कर रहे हैं। 39 दिन तक चलने वाली यात्रा अयोध्या से शुरू हो कर छह राज्यों को कवर करेगी। संस्था ने यात्रा में राजनीतिक दलों के नेताओं और संस्थाओं को भी आमंत्रित किया है। राष्टï्रीय स्वयंसेवक संघ के आनुषांगिक संगठन वि हिंदू परिषद व बजरंग दल इसमें सहयोग कर रहे हैं। बजरंग दल, वाराणसी विभाग के विभाग संयोजक अर्जुन कुमार मौर्य ने बताया है कि महाशिवरात्रि के पर्व पर अयोध्या से शुरू हुई ये यात्रा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल होते हुए तमिलनाडु के रामेश्वरम शहर पहुंचेगी। यहीं पर 25 मार्च को इस यात्रा का समापन होगा।
41 दिवसीय यात्रा दौरान रामराज रथयात्रा तकरीबन 6 हजार किलोमीटर का सफर तय करेगी।अयोध्या से रामेश्वरम तक की रामराज्य रथ यात्रा को कारसेवकपुरम में विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय महासचिव चंपत राय ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। रथयात्रा में सुसज्जित रथ के साथ 50 संतों का एक दल भी चल रहा है। ये संत स्थान-स्थान पर प्रवचन भी करेंगे। रथ यात्रा का आयोजन श्री राम दास मिशन यूनिवर्सल रामदास आश्रम तिरुवंतपुरम द्वारा किया गया है।
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28 वर्ष पूर्व वर्ष 1991 में इस संस्था के प्रमुख जगतगुरु स्वामी सत्यानंद सरस्वती जी द्वारा राम राज्य रथ यात्रा की परिकल्पना कर शुरुआत की गई थी जो केरल कर्नाटक तमिलनाडु महाराष्ट्र राज्यों तक सीमित थी। राम मंदिर निर्माण सहित अन्य उद्देश्यों को लेकर चलाई जा रही यात्रा वर्ष 2006 में जगद्गुरु स्वामी सत्यानंद सरस्वती के समाधि लेने से रुक गई थी। उनके शिष्य यूनिवर्सल रामदास आश्रम के अध्यक्ष स्वामी कृष्णानंद सरस्वती व महामंत्री और इस रथ यात्रा के संयोजक शक्ति शतानंद महर्षि ने उनके अधूरे कार्यों को पूरा करने के लिए अयोध्या से रामराज्य रथ उत्तर भारत में जन जागरण अभियान चलाने का शुभारंभ किया है। इस यात्रा के दौरान 5 ज्योतिर्लिंग 36 तीर्थ क्षेत्र कई महासमाधियां और सैकड़ों मंदिरों से होते हुए शोभायात्रा का हर रोज समापन होना है। यह राम राज्य रथ चलता फिरता मंदिर है। जिसमें मूर्तियां नंदीग्राम से लाई गईं, राम पादुका श्रीलंका से लाये गए, सीतापुर मंडी रामेश्वरम से आया धातु और गोभी का देवी मंदिर कुल्लू कर्नाटक से लाया गया अखंड ज्योत शामिल है।
दास मिशन यूनिवर्सल के महामंत्री द्वारा बताया गया कि उनका प्रयास है कि विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता विभिन्न समाज के मार्गदर्शक प्रतिष्ठित व्यक्ति हिंदू संगठनों के सभी लोग एक साथ जुड़ें। इसमें भाजपा कांग्रेस सपा से संबंधित हर हिंदू व्यक्ति जुड़ सकता है। उन्होंने कहा 14 महीने श्री राम का बनवास है परंतु 14 महीने के अंदर अयोध्या में श्री राम मंदिर का निर्माण हो जाएगा और उसी दौरान एक रथयात्रा अयोध्या आएगी जो मंदिर का पट्टाभिषेक करेगी।
उन्होंने कहा कि संतों-महंतों को यह यात्रा निकाल कर रामराज की परिकल्पना साकार करने के लिए काम करना पड़ रहा है।
यह यात्रा अयोध्या से चलकर भरतकुंड होते हुए 15 फरवरी को वाराणसी पहुंची, 16 फरवरी को प्रयाग, 17 को चित्रकूट, 18 को छतरपुर, 19 को सागर, 21 को उज्जैन, 22 को इंदौर, 23 को कारेश्वर, 24 को इच्छा पूर्ण, 25 को टिकट ना, 26 को औरंगाबाद, 27 को त्रंबकेश्वर, 28 को रामगिरी, 1 को रामगिरी, 2 को नारायणपुर, तीन को गोदावरी, चार को पहरपुर, 5 को बीजापुर, 6 को भोपाल, 7 को किष्किंधा, 8 को चित्रदुर्गा, 9 को बेंगलुरु, 11 को मैसूर, 12 को मेनका, 13 को कन्नूर, 14 को कोसी के डेट, 15 को भोला दूर, 16 को पालनपुर, 17 को पढऩा कुलम, 18 को कोट कम, 19 को पतन टीटा, 20 को पुणे, 21 को मधुर, 23 को रामेश्वरम, 24-25 मार्च को भव्य महा सम्मेलन कर लाखों लोगों को जुटाने का प्रयास किया जा रहा है। इस रथ यात्रा संपूर्ण खर्चा श्री रामदास मिशन यूनिवर्सल द्वारा किया जा रहा है जिसमें रहने खाने आज का प्रबंध स्थानीय स्तर पर लोगों द्वारा भी किया जा रहा है।
यात्राएं तो बहुत निकलीं अंजाम तक कोई नहीं पहुंची
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर लगातार यात्राओं का दौर वर्ष 1984 से चल रहा है जिसमें मंदिर निर्माण के लिए हिंदुओं को जागृत करने की अहम भूमिका रही है यात्राओं का दौर चला और अनुष्ठान हुए यात्राओं के जन जागरण अभियान के कारण ही वर्ष 1992 में अयोध्या का विवादित ढांचा गिर गया। उसके बाद कुछ यात्राएं प्रारंभ हुई राम मंदिर का भव्य निर्माण हो सके इसलिए यात्राओं के दौर में अयोध्या से संत चेतावनी यात्रा निकाली गई उसी श्रृंखला में राम विवाह के अवसर पर अयोध्या से जनकपुर तक यात्रा निकाली गई। 84 कोसी परिक्रमा के दौरान भी यात्राओं का सिलसिला जारी रहा। संत चेतावनी यात्रा दिल्ली तक निकाली गई। सभी बेअसर रहीं।
सरकार का स्पष्टीकरण
उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने मेरठ में बुधवार को कहा कि रथ यात्रा सरकार की नहीं है। लेकिन अगर रामराज्य रथयात्रा आपके शहर में आए तो उसका स्वागत कीजिए।
नहीं मिला अयोध्या का समर्थन
यात्रा में स्थानीय लोग न के बराबर थे और हज़ारों लोगों की क्षमता वाले कारसेवकपुरम परिसर में महज़ कुछ सौ लोग ही मौजूद थे। उनमें भी ज़्यादातर दक्षिण भारत के थे। यात्रा के आयोजकों में से एक केरल के रहने वाले सुरेश ने बताया कि केरल और कर्नाटक से करीब पचास लोग आए हैं जो कि यात्रा के साथ ही चलेंगे। पिछले कई दिनों से इतने प्रचार-प्रसार के बावजूद लोगों का यहां न पहुंचना बड़े आश्चर्य की बात है। कऱीब 25 लाख रुपये की कीमत से बने रथ को देखने में भी लोगों की कोई दिलचस्पी नहीं दिख रही है जबकि रथ दो दिन से यहां खड़ा था। स्थानीय लोगों से इस बारे में बात करने पर पता चला कि उन्हें जानकारी थी लेकिन वहां जाने और रथ को देखने में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं थी। यही नहीं, रथयात्रा रवाना होने के बाद अयोध्या की सड़कों पर शोभायात्रा के तौर पर गुजऱ रही थी लेकिन उस यात्रा में भी बहुत लोग नहीं दिखे।
एक थी वह यात्रा जिसने देश को दिये कई नायक और भाजपा को आधार
आज से 28 साल पहले लालकृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या के लिए रथयात्रा निकाली थी। इस यात्रा का उद्देश्य भी राम मंदिर बनाना था। लेकिन मंदिर तो नहीं बना अलबत्ता विवादित ढांचा जरूर ढह गया और लालकृष्ण आडवाणी क्षेत्रीय फलक से निकलकर भारतीय राजनीति के वह देदीप्यमान सूरज बन गए जिनके तेज ने बहुतों को निस्तेज कर दिया। इसके अलावा इसी यात्रा ने देश को नरेंद्र मोदी, चंद्रशेखर, मुलायम सिंह यादव, प्रवीण तोगडिय़ा जैसे न जाने कितने नेता मिल गए। वैसे तो आडवाणी ने कई रथयात्राएं निकालीं लेकिन अयोध्या की रथयात्रा जैसा भूचाल किसी से नहीं आया।
इसी यात्रा की बदौलत गुजरात का एक मामूली संत आसाराम देश भर में छा गया। जो आज जेल में बंद है। आडवाणी की रथ यात्रा की अभूतपूर्व सफलता ने संघ परिवार और भाजपा को नई दिशा दी।
इसके बाद मुरली मनोहर जोशी ने भी कन्या कुमारी से लेकर श्रीनगर तक एकता यात्रा निकालकर श्रीनगर के लाल चौक में तिरंगा फहराया। यह उस रथ यात्रा का ही चमत्कार था कि उस रथ यात्रा में आडवाणी के सारथी रहे नरेंद्र मोदी आज देश के प्रधानमंत्री हैं। मोदी जब आडवाणी के सारथी बने थे तो भाजपा की गुजरात इकाई के महासचिव (प्रबंधन) थे। रथयात्रा से उनका राष्ट्रीय राजनीति में पदार्पण हुआ। 25 सितंबर को सोमनाथ से शुरू होकर यात्रा 30 अक्टूबर को अयोध्या में खत्म होने वाली रथयात्रा की कामयाबी ने मोदी को प्रबंधन का मास्टर बना दिया। इसके बाद उन्हें मुरली मनोहर जोशी की कन्या कुमारी से कश्मीर तक की एकता यात्रा का सारथी बनने का मौका मिल गया। इसी दौरान अपने तेजतर्रार भाषणों से संघ के प्रचारक और कैंसर सर्जन प्रवीण तोगडिय़ा ने भी देश की राजनीति पर छा गए। वैसे उस समय वह विहिप की गुजरात इकाई के महासचिव थे।इस रथयात्रा ने ही भाजपा के जीत की सीढियां चढऩे का द्वार खोला। इस बार की रामराज्य रथ यात्रा शुरू होने के समय तक बहुत कुछ बदल चुका है।
बहुत निकल चुकीं यात्राएं, अब अयोध्या में मंदिर बनाने का समय
पांच राज्यों की रथ यात्रा पर बोले संत
अब यात्रा वाला समय गुजर गया। काफी यात्राएं हो चुकी हैं। अब तो केंद्र से लेकर राज्यों तक भाजपा की ही सरकारें हैं। यात्राएं निकालना है तो निकालें लेकिन उससे ज्यादा जरूरी है, अयोध्या में श्रीराम मंदिर बनाएं। अब मंदिर बनाने का समय है, उसके लिए विधान बनाएं। लोगों में मंदिर के नाम पर काफी जागृति है। माहौल बनाने का दिखावा करने की जरूरत नहीं है। मंदिर बनाने की जरूरत है।
-शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानंद देवतीर्थ, जम्मू -कश्मीर
विहिप ने जब भाजपा के लिए घर घर जाकर वोट मांगा और सरकार बनवा दी। पूर्ण बहुमत वाली सरकार आ गई। अब सब जगह बीजेपी ही दिखती है लेकिन मंदिर के नाम पर न तो प्रधानमंत्री बोल रहे हैं, न मुख्यमंत्री। विहिप तो अंतिम सांसें ले रहा है। अब किस मुंह से जनता के बीच वोट मांगेगा। जिन प्रवीण तोगडिय़ा ने मंदिर की बात शुरू की उनके साथ षडय़ंत्र करके उन्हें फंसाने की कोशिश की गई। उनके प्राणों पर संकट आ गया। तीन तलाक पर अध्यादेश लाते हैं, मंदिर के लिए कानून नहीं बनाते। विहिप और आरएसएस सत्ता का शहद चाटने में मस्त हैं। 2018 में मंदिर न बना और चुनाव में आए तो जनता इनको सबक सिखा देती।
-स्वामी चक्रपाणि, हिंदू नेता
यात्रा निकाल रहे हैं, कोई बात नहीं। इससे जागृति आएगी। इसी बहाने सही, नेताओं को झकझोरने वाली बात है लेकिन मंदिर बनाने के लिए इससे बढिय़ा माहौल न कभी था और न कभी होगा। न तो मुस्लिम विरोध कर रहे हैं और न ही कोई राजनीतिक दल। मंदिर बनाने में देरी नहीं करनी चाहिए। अगर देरी हुई तो उसका नुकसान भाजपा को उठाना पड़ सकता है।
-स्वामी देवस्वरूपानंद, वृंदावन
यात्रा की सत्यता क्या है, आपको भी पता है, हमको भी पता है और सबको पता है। चुनाव आया है तो यात्रा तो निकलेगी ही। और भी कुछ होगा, देखते रहिए। अब जब मुस्लिम सहयोग देने को तैयार हैं तो यात्रा का दिखावा करने की जरूरत ही क्या है। यह युक्ति अब काम नहीं आएगी। वैसे लोगों को भाजपा सरकार पर भले न हो, पर योगी आदित्यनाथ पर विश्वास है कि वह मंदिर बनाने में मदद करेंगे। संत होने के नाते कुछ न कुछ कर गुजरेंगे, जैसे कल्याण सिंह ने किया था। मंदिर बनवाना जरूरी है, यात्रा नहीं।
-स्वामी महेशाश्रम, हरियाणा
यात्राएं तो निकलती रही हैं। ऐसी यात्रा निकालने का विचार उड़ुपी में हुई धर्म संसद में तय हुआ था। मंदिर बनाने का समय आ गया है। विहिप हो या सरकार, सबको मंदिर बनाने के लिए जरूरी काम करने चाहिए। जनता को राजनीति से उतना लेना देना नहीं है, जितना राम मंदिर से। इससे बढिय़ा समय भला कब आएगा। राजनीति चलती रहे लेकिन मंदिर बने, यह सबसे जरूरी है।
-शंंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती, काशी