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अपनी ही पार्टी में घिरे स्वामी प्रसाद, जूही सिंह ने कहा- 'विरोध कुरीतियों का हो, मानस का क्यों'
Ramcharitmanas Controversy: सपा महिला सभा की राष्ट्रीय अध्यक्ष जूही सिंह ने स्वामी प्रसाद मौर्य को उनके विवादित बोल पर घेरा। इससे पहले भी कई पार्टी नेताओं ने सवाल उठाए थे।
Ramcharitmanas Controversy: रामचरितमानस पर विवादित बयान देकर सुर्खियों में आने वाले समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) को अब पार्टी के भीतर से ही जवाब मिलने लगा है। सपा महिला सभा की राष्ट्रीय अध्यक्ष जूही सिंह (Juhi Singh) ने करारा जवाब दिया। जूही सिंह ने ट्वीट कर स्वामी प्रसाद मौर्य के विवादित बयान के खिलाफ अपनी बात रखी।
जूही सिंह ने ट्वीट किया, 'रामचरितमानस मर्यादा पुरुषोत्तम राम का जीवन चित्रण है, तत्कालीन सामाजिक अन्याय भी ग्रंथ में उल्लेखित हैं,तपस्वी राम ने महिलाओं, हर शोषित,वंचित वर्ग पर अत्याचार का सहज,मुखर विरोध किया,मानस पाठ मंदिरों में ही नहीं घर घर होता है, विरोध कुरीतियों का हो होता रहा भी है मानस का क्यों?'
क्या कहा था स्वामी प्रसाद ने?
समाजवादी पार्टी के MLC स्वामी प्रसाद मौर्य ने तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस के कुछ हिस्सों पर यह कहते हुए पाबंदी लगाने की मांग की, कि उससे समाज के एक बड़े तबके का जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर अपमान होता है। सपा नेता स्वामी प्रसाद ने कहा 'धर्म का वास्तविक अर्थ मानवता के कल्याण और उसकी मजबूती से है। यदि रामचरितमानस की किन्हीं पंक्तियों के कारण समाज के एक वर्ग का जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर अपमान होता हो तो यह निश्चित रूप से धर्म नहीं अधर्म है। रामचरितमानस में कुछ पंक्तियों में कुछ जातियों जैसे कि तेली और कुम्हार का नाम लिया गया है।'
स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) ने ये भी कहा 'इन जातियों के लाखों लोगों की भावनाएं आहत हो रही हैं। इसी तरह से रामचरितमानस की एक चौपाई यह कहती है कि महिलाओं को दंड दिया जाना चाहिए। यह उन महिलाओं की भावनाओं को आहत करने वाली बात है, जो हमारे समाज का आधा हिस्सा हैं।'
ऋचा सिंह ने भी घेरा
स्वामी प्रसाद के इस बयान के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति में बवाल मचा है। न केवल विपक्षी नेता बल्कि पार्टी के भी नेताओं ने बोल तीखे हो चले हैं। स्वामी प्रसाद पर पार्टी नेता ऋचा सिंह (Richa Singh) ने कहा, 'छद्म समाजवादी स्वामी प्रसाद मौर्य को लोहिया जी के समाजवाद को पढ़ना चाहिए जो समाजवाद और श्रीराम में सामंजस्य देखते हैं। साथ ही, इस बात का भी स्पष्टीकरण देना चाहिए अभी तक अपनी बेटी को उन्होंने समाजवाद रास्ता क्यों नहीं दिखाया या वो भी अवसर आने पर।'