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यहां 100 सालों से हो रहा रामलीला का मंचन, 14 दिनों तक लगता है जमावड़ा
बलरामपुर: उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में भी शारदीय नवरात्रि का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यहां शारदीय नवरात्रि के प्रथम दिन से ही रामलीला का मंचन पूरे जिले के तमाम गांव और कस्बों में किया जाता है। बलरामपुर जिले के नगर में भी रामलीला का मंचन किया जाता है। जो प्रथम से 14 दिनों तक चलती है। स्थानीय कलाकारों के साथ-साथ बाहरी कलाकारों को भी निमंत्रण देकर उन्हें बुलाया जाता है।
दिन रात डटे रहते हैं लोग
बलरामपुर नगर क्षेत्र में होने वाली रामलीला लगभग 100 वर्ष पुरानी है। यहां भगवान प्रसाद गुप्ता ने सर्वप्रथम रामलीला का मंचन शुरू कराया था, और उसका नाम "श्री 108 सत्य प्राचीरिणी" रखा था। जब यहां रामलीला का मंचन होता था तो दूर दराज से लोग रजाई गद्दों के साथ रामलीला मैदान आते थे और पूरी रात मंचन का आनंद लेते थे।
रामलीला कमेटी के पास अपना निजी भवन मैदान और कुछ दुकाने भी है जिसको समय समय पर किराये पर देकर प्रतिवर्ष आयोजित होने वाली इस रामलीला में आने वाले खर्च को वहन किया जाता है। साथ ही स्थानीय समाजसेवी व कुछ प्रबुद्ध राजनीतिक लोगो का भी सहयोग कमेटी को मिलता है।
जब बंद होने के कगार पर थी रामलीला
श्री 108 सत्य प्राचीरिणी कमेटी के अध्यक्ष राजकुमार श्रीवास्तव ने बताया कि आज से करीब 40 वर्ष पूर्व रामलीला कमेटी आर्थिक तंगी से गुजर रही थी, रामलीला बन्द होने के कगार पर आ चुकी थी। तब कमेटी व समाज के कुछ प्रबुद्ध लोगो ने पेशे से वकील राजकुमार जी से आग्रह किया कि आप रामलीला कमेटी की अगुवाई करें। जिसके बाद सर्वसम्मति से उन्हें कमेटी का अध्यक्ष चुना गया और आज वर्तमान समय मे रामलीला स्वयं में सक्षम है हर एक आयोजन के लिए।
प्रथम दिन से 9 दिन तक लगातार प्रभु श्री राम के जन्म से सीता के हरण उसके बाद लंका के दहन तक की पूरी कहानी मंचन के माध्यम से उपस्थित दर्शकों और श्रद्धालुओं को दिखाया जाता है। साथ ही स्थानीय बड़े परेड ग्राउंड में करीब 100 फिट ऊंचे रावण, मेघनाथ, कुम्भकर्ण के पुतलो का दहन किया जाता है। जिसके बाद भारत मिलन का कार्यक्रम भी रामलीला ग्राउंड में सम्पन्न कराया जाता है।