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Rampur By Election 2022: क्या लोक सभा की तरह रामपुर विधान सभा से भी ख़त्म होगी आज़म की बादशाहत ?
Rampur By Election 2022: उत्तर प्रदेश की दो हाई प्रोफाइल सीटों पर उपचुनाव का ऐलान हो गया है। चुनाव आयोग ने नोटिफिकेशन जारी करते हुए बताया कि मैनपुरी लोकसभा सीट और रामपुर विधानसभा सीट पर 5 दिसंबर को उपचुनाव की वोटिंग और 8 दिसंबर को नतीजे आएंगे।
Rampur By Election 2022: उत्तर प्रदेश की दो हाई प्रोफाइल सीटों पर उपचुनाव का ऐलान हो गया है। चुनाव आयोग ने नोटिफिकेशन जारी करते हुए बताया कि मैनपुरी लोकसभा सीट और रामपुर विधानसभा सीट पर 5 दिसंबर को उपचुनाव की वोटिंग और 8 दिसंबर को नतीजे आएंगे। मैनपुरी लोकसभा सीट सपा संस्थापक और पूर्व सीएम मुलामय सिंह यादव के निधन से खाली हुई थी। वहीं, रामपुर विधानसभा सीट कद्दावर सपा नेता आजम खान की सदस्यता रद्द होने के कारण रिक्त हुई है। ये दोनों सीटें सूबे की सियासत में मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के गढ़ के तौर पर पहचानी जाती रही है।
रामपुर सीट पर विधानसभा उपचुनाव के काफी दिलचस्प होने की उम्मीद है। क्योंकि यह सीट सपा के संस्थापकों में गिने जाने वाले पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान का मजबूत किला रहा है। लंबे अरसे से इस सीट पर उनका कब्जा रहा है। उनके न रहने की सूरत में भी ये सीट खान परिवार से बाहर नहीं गई। ऐसे में इस सीट पर होने वाला उपचुनाव उनके लिए नाक की लड़ाई से कम नहीं होगा। बता दें कि आज़म खान कुछ माह पहले ही रामपुर लोकसभा सीट बीजेपी के हाथों गंवा चुके हैं।
रामपुर में क्यों हो रहा उपचुनाव
दरअसल, साल 2019 में आम चुनाव के दौरान वरिष्ठ सपा नेता आजम खान रामपुर संसदीय क्षेत्र से चुनाव मैदान में थे। अपने विवादित बयानों के कारण अक्सर मुश्किलों का सामना करने वाले आजम ने लोकसभा चुनाव के दौरान एक जनसभा को संबोधित करते हुए जमकर भड़काऊ बयान दिए। भाजपा नेता ने सपा नेता के खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने उन पर आचार सहिंता का उल्लंघन और भड़काऊ भाषण देने का मामला दर्ज किया था। पुलिस की जांच-पड़ताल के बाद यह मामला रामपुर एमपी/एमएलए कोर्ट पहुंचा, जहां उन्हें दोषी करार देते हुए तीन साल की सजा सुनाई गई। जिसके बाद उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई।
रामपुर में आजम खान का रसूख
उत्तर प्रदेश की सियासत में रामपुर का मतलब आजम खान का गढ़ है। सपा नेता यहां से 1977 से चुनाव लड़ रहे हैं। तब से लेकर अब तक इक्का-दुक्का मौकों को छोड़ दें तो उन्होंने इस सीट पर हमेशा अपना परचम फहराया है। 1977 में अपना पहला चुनाव हारने के बाद आजम यहां से 1980 से लेकर 1993 तक लगातार जीते। फिर 1996 में कांग्रेस के अफरोज अली खान से उन्हें शिकस्त झेलनी पड़ी थी। इसके बाद के चुनाव में वे लगातार जीतते रहे। ये सिलसिला आज तक जारी है। 2017 में यूपी में बीजेपी की आंधी चलने के बावजूद वह अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे।
इतनी ही नहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रचंड मोदी लहर में न केवल उन्होंने रामपुर लोकसभा सीट से जीत हासिल की बल्कि उनके इस्तीफे से खाली हुई रामपुर शहर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में पत्नी डॉक्टर तंजीम फातिमा को जीत दिलाई। इस विधानसभा सीट पर आजम खान के प्रभाव का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने जेल में रहते ही 10वीं बार जीत हासिल की।
लोकसभा उपचुनाव में बड़ा उलटफेर
जेल में रहकर विधानसभा चुनाव जीतने वाले सपा नेता आजम खान ने सांसदी छोड़ विधायकी रखने का फैसला किया। जिससे रामपुर में लोकसभा उपचुनाव का मार्ग प्रशस्त हुआ। रामपुर की सियासत में आजम खान का दखल और इस सीट के समीकरण को देखते हुए सपा की आसान जीत की भविष्यवाणी की जा रही थी। बीजेपी की तरफ से यहां मैदान में घनश्याम लोधी थे जबकि सपा ने आजम की पसंद के उम्मीदवार आसिफ रजा को टिकट दिया था। मुस्लिम दबदबे वाले इस सीट पर आए नतीजे ने सबको चौंका दिया। बीजेपी उम्मीदवार ने सपा उम्मीदवार को करीब 41 हजार वोटों से हरा दिया। इस चुनाव नतीजे ने सपा से अधिक आजम खान को ठेस पहुंचाई। इसे इलाके में खान के घटते रसूख के तौर पर देखा जाने लगा।
क्या सीट बचा पाएंगे आजम ?
पांच माह पूर्व बीजेपी के हाथों अपनी लोकसभा सीट गंवाने वाले सपा नेता आजम खान के सामने अब अपनी विधानसभा सीट बचाने की चुनौती होगी। कभी यूपी की राजनीति में दहाड़ मारने वाले आजम वर्तमान में कई केस मुकदमों के बोझ तले दबे हुए हैं, साथ ही अब स्वास्थ्य भी उनका ठीक से साथ नहीं दे रहा। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि काफी हद तक मुमकिन है कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव इस सीट से आजम की पत्नी डॉक्टर तंजीम फातिमा को ही उम्मीदवार बनाएंगे।
ऐसे में क्या आजम खान साल 2019 की तरह इस बार भी अपनी पत्नी की चुनावी नैया को पार लगा, इस सीट पर अपनी बादशाहत कायम रख पाएंगे, देखना दिलचस्प होगा। अगर सपा रामपुर लोकसभा उपचुनाव की तरह ये सीट भी गंवाती है तो ये निश्चिततौर पर एक और बड़ा उलटफेर होगा। जिसका प्रतिकूल प्रभाव आजम खान की सियासी प्रतिष्ठा पर पड़ना तय है।