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Rampur-Azamgarh By Election: यूपी में दोहराया गया 2017 का इतिहास, तब BJP को लगा था झटका अब SP हुई शिकार

2017 में भी दो संसदीय सीटों गोरखपुर और फूलपुर के उपचुनाव में सपा ने जीत हासिल करके भाजपा को करारा झटका दिया था। वहीं, आज उपचुनाव के नतीजों के मुताबिक सपा को करारा झटका लगा है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 26 Jun 2022 2:02 PM GMT
Rampur-Azamgarh By Election: यूपी में दोहराया गया 2017 का इतिहास, तब BJP को लगा था झटका अब SP हुई शिकार
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Rampur-Azamgarh By Election: उत्तर प्रदेश में रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा सीटों (Rampur-Azamgarh By Election) पर हुए उपचुनाव में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) को बड़ा झटका लगा है। सपा के कद्दावर नेता आजम खान (SP Leader Azam Khan) के गढ़ माने जाने वाले रामपुर और मुलायम व अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के गढ़ रहे आजमगढ़ में भाजपा ने जीत हासिल करके प्रदेश में एक बार फिर अपनी ताकत दिखा दी है। मजे की बात यह है कि उत्तर प्रदेश में 2017 का इतिहास दोहराया गया है।

2017 में भी दो संसदीय सीटों गोरखपुर और फूलपुर में उपचुनाव हुए थे। उस चुनाव में योगी का गढ़ माने जाने वाले गोरखपुर और डिप्टी सीएम केशव देव मौर्य (Deputy CM Keshav Dev Maurya) की सीट फूलपुर में सपा ने जीत हासिल करके भाजपा को करारा झटका दिया था। तब भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था और आज उपचुनाव के नतीजों के मुताबिक सपा को करारा झटका लगा है।

भाजपा ने ध्वस्त किया आजम खान का किला

रामपुर सीट (Rampur Seat) पर हुए संसदीय उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी घनश्याम लोधी (BJP candidate Ghanshyam Lodhi) ने 42,000 वोटों से जीत हासिल की है। उन्होंने आजम खान (Azam Khan) के करीबी माने जाने वाले आदिम रजा को हराकर यह जीत हासिल की है। हालांकि यह भी सच्चाई है कि घनश्याम लोधी एक जमाने में खुद भी आजम खां के करीबी रहे हैं।

उन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान सपा से इस्तीफा देकर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी और भाजपा ने इस बार उन्हें रामपुर से चुनाव मैदान में उतार कर आजम खां के किले को ध्वस्त कर दिया। आजम खान ने खुद ही रामपुर में सपा के टिकट का फैसला किया था और अपने करीबी आसिम रजा (Asim Raza) को चुनाव मैदान में उतारा था। उन्होंने खराब सेहत के बावजूद आसिम रजा का चुनाव प्रचार भी किया था। ऐसे में भाजपा की इस जीत को सियासी नजरिए से काफी अहम माना जा रहा है।

सपा के गढ़ में निरहुआ की जीत

आजमगढ़ को समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता रहा है। 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) ने जीत हासिल की थी जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में आजमगढ़ के मतदाताओं ने सपा मुखिया अखिलेश यादव (SP Chief Akhilesh Yadav) को चुनकर लोकसभा भेजा था। हाल में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भी आजमगढ़ (Azamgarh) के मतदाताओं ने सपा की झोली भर दी थी। जिले की सभी दसों विधानसभा सीटों पर सपा प्रत्याशियों को ही जीत हासिल हुई थी। इस चुनाव नतीजे से आजमगढ़ पर समाजवादी पार्टी की पकड़ को बखूबी समझा जा सकता है मगर इस संसदीय क्षेत्र के उपचुनाव में भी सपा को हार का मुंह देखना पड़ा है।

इस बार हुए उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी दिनेश लाल यादव निरहुआ (Dinesh Yadav Nirhua) ने सपा प्रत्याशी और अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को 11,212 मतों से पराजित किया है। इस बार के लोकसभा उपचुनाव में सपा मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने रामपुर और आजमगढ़ दोनों सीटों पर पार्टी के प्रत्याशियों का चुनाव प्रचार नहीं किया था। सपा के गढ़ माने जाने वाले आजमगढ़ में निरहुआ की इस जीत को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। 2019 के चुनाव में तो उन्हें सपा मुखिया अखिलेश यादव से पराजित होना पड़ा था मगर इस बार उन्होंने जीत का परचम फहरा दिया है।

तब योगी के गढ़ में सपा ने दिखाई थी ताकत

2017 में भी प्रदेश की दो सीटों पर लोकसभा के उपचुनाव हुए थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) के इस्तीफा देने के बाद गोरखपुर संसदीय सीट (Gorakhpur parliamentary seat) पर उपचुनाव कराया गया था। सपा ने इस उपचुनाव में प्रवीण निषाद को चुनाव मैदान में उतारा था जबकि भाजपा की ओर से उपेंद्र दत्त शुक्ला चुनाव मैदान में उतरे थे।

प्रवीण निषाद को 4,56,513 मत हासिल हुए थे जबकि भाजपा के उपेंद्र दत्त शुक्ला को 4,34,632 मत मिले थे। गोरखपुर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गढ़ माना जाता रहा है मगर इसके बावजूद समाजवादी पार्टी ने इस सीट पर जीत हासिल करके भाजपा को करारा झटका दिया था। बाद में योगी आदित्यनाथ ने इस हार पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि पार्टी कार्यकर्ताओं के अति आत्मविश्वास के कारण भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा।

केशव का किला भी हो गया था ध्वस्त

इसी तरह 2017 में फूलपुर लोकसभा सीट डिप्टी सीएम केशव देव मौर्य के इस्तीफे के कारण खाली हुई थी। इस सीट पर कराए गए उपचुनाव में सपा ने नागेंद्र सिंह पटेल को चुनाव मैदान में उतारा था जबकि भाजपा की ओर से कौशलेंद्र सिंह पटेल को चुनाव मैदान में उतारा गया था। इस उपचुनाव में सपा और भाजपा दोनों दलों ने पूरी ताकत लगाई थी। उपचुनाव में सपा के नागेंद्र सिंह पटेल 3,42,922 मत हासिल करने में कामयाब हुए थे जबकि भाजपा के कौशलेंद्र सिंह पटेल को 2,83,462 मत मिले थे। सपा ने इस सीट पर जीत हासिल करके भाजपा को करारा झटका दिया था।

दोहराया गया 2017 का इतिहास

2017 में सपा ने भाजपा का गढ़ माने जाने वाले दोनों चुनाव क्षेत्रों के उपचुनाव में जीत हासिल की थी और इस बार भाजपा ने सपा का गढ़ माने जाने वाले दोनों लोकसभा क्षेत्रों के उपचुनाव में जीत हासिल करके सपा को करारा झटका दिया है। सियासी पंडितों का मानना है कि उत्तर प्रदेश के लोकसभा उपचुनाव में इस बार 2017 का इतिहास दोहराया गया है। अंतर सिर्फ इतना है कि 2017 में भाजपा को करारा झटका लगा था जबकि इस बार भाजपा ने सपा को बड़ा झटका दिया है।

Deepak Kumar

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