TRENDING TAGS :
Rampur News: शिक्षक का ट्रांफर होने पर बच्चों का रो-रो कर बुरा हाल
Rampur News: सरकारी स्कूल में पिछले 5 वर्षों से शिक्षण कार्य कर रहे एक अध्यापक का जब स्थानांतरण हुआ तो बच्चे बिलख बिलख कर रोने लगे।
Rampur News: आए दिन खबरों की सुर्खियां बनती है कि छात्रों ने गुरु जी के साथ अभद्रता की, गुरु जी को ही पीट डाला। ऐसे दौर में क्या किसी टीचर के ट्रांसफर होने पर बच्चे इतने भावुक हो सकते हैं कि बिलख बिलख कर रोने लगें और गुरु जी को छोड़ने को तैयार ही ना हो। यहां तक कि वह बेसिक शिक्षा अधिकारी से गुरु जी को स्कूल से न हटाये जाने की गुहार लगा रहे हैं।
रामपुर में दिखा अद्भुत नजारा
रामपुर के एक गांव में जहां सरकारी स्कूल में पिछले 5 वर्षों से शिक्षण कार्य कर रहे एक गुरुजी का जब स्थानांतरण हुआ तो बच्चे बिलख बिलख कर रोने लगे। इस विषय पर विद्यार्थी सुहाना ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि मेरे सर का ट्रांसफर हो गया कल्याणपुर पट्टी और हम नहीं चाहते कि हमारे सर वहां पर जाएं। हमें कुछ नहीं पता, हमारे सर हमें स्कूल में चाहिए। हम सब लोग यहां यूं रो रहे हैं हमें कुछ नहीं पता था की खेल क्या होता है, पढ़ाई क्या होती है, सिर्फ हमारे सर ने बताया। उन्होंने 5 साल में क्या बदलाव दिया है हमारे गांव के अंकल से आप जाकर पूछिए। मैं स्टेट के लिए खेलने भी गई हूं और हमारे साथ का भाई उसको तो स्टेट में मेडल भी मिला है। हम बस इतना चाहते हैं हमारे सर हमें स्कूल में चाहिए।
बच्चों का रो रो कर बुरा हाल
इस विषय पर टीचर राकेश विश्वकर्मा ने मीडिया से बात करते हुए बताया,, मेरा नाम राकेश कुमार विश्वकर्मा है मेरी जॉइनिंग साढ़े 5 साल पहले कंपोजिंग स्कूल सनाया जट में हुई थी। सितंबर 2018 में मेरी जॉइनिंग हुई थी। जब से जॉइनिंग हुई है स्कूल के लिए मैंने बहुत प्रयास किया है। लोगों को लगता था कि सरकारी स्कूल में कुछ नहीं हो रहा है, पढ़ाई नहीं होती है, टीचर वहां पढ़ाते नहीं है, बच्चे कुछ नहीं कर पाते हैं लेकिन मैने जब से जॉइनिंग की तब से मैं बहुत ऐसे प्रयास कर रहा हूं। हमारा स्कूल और वहां के बच्चे बहुत आगे बढ़ गए हैं और हर साल बच्चे स्टेट खेलने जाते हैं, हर प्रतियोगिता में अपना झंडा बुलंद करते हैं। बहुत सी ऐसी चीजे हैं जो हम लोगों ने लगातार स्कूल के लिए और बच्चों के लिए प्रयास किया, तभी लोगों से सामुदायिक सहयोग के रूप में फर्नीचर दिलाते थे, स्मार्ट क्लास के लिए कहते थे और स्कॉलरशिप भी हमने शुरू की।
5 साल से पढ़ा रहे थे शिक्षक
लोगों के माध्यम से और लोगों को लगता था की टीचर्स बहुत मेहनत कर रहे हैं और उसी का परिणाम है कि यह 5 साल बहुत अच्छे रहे और फाइनली कल मेरा वहां से ट्रांसफर हुआ। किसी वजह से दूसरे स्कूल में स्थानांतरण हुआ और कल मैं जब बच्चों से विदा ले रहा था तो शायद वह पल मेरी जिंदगी का सबसे भावुक पल था और बहुत ही यादगार पल था क्योंकि उस फिलिंग्स को शायद मैं आपके सामने बता भी नहीं सकता कैसे मैं उनसे विदा हुआ। बच्चे रो रहे थे, मैं रो रहा था ऐसा लगा जैसे किसी से सच्ची मोहब्बत करी और वह हमसे अलग हो रहा है। एक शख्स जो काफी समय से जुड़ा हुआ था वह कैसे अलग हो सकता है। यह सब बच्चों का प्यार था और एक सर के प्रति भरोसा था की सर हमेशा हमारे साथ हैं, सर हमारी केयर करते हैं, हमें पढ़ते हैं। बच्चे यह फील कर रहे थे कि उनके प्रिय सर उनसे अलग हो रहे हैं और कोशिश कर रहे थे कि सर यहां से नहीं जाएं और इसी क्रम में वह शाम को हमारे घर भी आए और मेरी मम्मी से भी उन्होंने कहा की सर को वापस भेज दो। लगातार उनके गार्जियन भी मुझे कॉल कर रहे हैं। आज भी लगातार उनसे बात हो रही है।
विद्यालय के बच्चों से था अनोखा जुड़ाव
बच्चे रो रहे हैं कि सर आप वापस आ जाओ तो यह पल मेरे लिए बहुत यादगार रहा और मुझे ऐसा फील हुआ कि मैंने बच्चों के लिए कुछ किया है। बच्चे मेरे लिए इतना परेशान है लेकिन यह एक संसार का नियम है कहीं ना कहीं कुछ परिवर्तन होते हैं। उसी क्रम में मैंने सोचा आज नहीं तो कल बच्चे ठीक हो जाएंगे। मैं अपने बच्चों को परिवार की तरह मानता था मैंने भी सरकारी स्कूल से ही पढ़ाई की है। मैं हर वह चीज अपने बच्चों के साथ करता था जो मुझे अपने टाइम में नहीं मिल पाई। पहले स्कूलों में खेलने के संसाधन नहीं होते थे, स्मार्ट क्लास तो बहुत दूर की चीज होती थी तो मैं इन सब चीजों को सोचता था कि मैं बच्चों पर अप्लाई करूंगा। मैं उनको अपना परिवार मानता था शायद इसी वजह से बच्चे मुझसे ज्यादा अटैच हो गए थे। कुल मिलाकर एक ऐसा रिश्ता बन गया था जो टीचर और बच्चों में होता है उससे कहीं ज्यादा एक इमोशनल अटैचमेंट हो गया था और मैं कह सकता हूं कि मैं बहुत लकी इंसान हूं कि मेरे साथ बच्चे ऐसे जुड़े।