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Sonbhadra: कमरे में बंधक बनाकर नाबालिग से किया था दुष्कर्म, मिली 10 वर्ष की कैद, साढ़े आठ वर्ष पूर्व के मामले में आया फैसला
Sonbhadra News: नाबालिग को कमरे में बंधक बनाकर दुष्कर्म किए जाने के मामले में दोषी को 10 वर्ष कैद की सजा सुनाई गई है। विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट निहारिका चौहान ने फैसला सुनाया।
Sonbhadra News: साढ़े आठ वर्ष पूर्व नाबालिग को कमरे में बंधक बनाकर दुष्कर्म किए जाने के मामले में दोषी को 10 वर्ष कैद की सजा सुनाई गई है। अपर सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट निहारिका चौहान की अदालत ने सोमवार को मामले सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया। अधिवक्ताओं के दलितों और पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर दोष सिद्ध पाकर दोषी अजीत कुमार को 10 वर्ष की कैद और 50 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई गई।
करीब आठ साल पुरानी घटना
अभियोजन कथानक के मुताबिक बभनी थाना क्षेत्र के एक गांव की निवासी दलित तबके की एक नाबालिग के साथ कमरे में बंधक बनाकर और उसका हाथ- पैर बांधकर दुष्कर्म किए जाने का मामला 25 सितंबर 2014 को सामने आया था तो हड़कंप मच गया था। दुद्धी कोतवाली में दी तहरीर में पीड़िता ने अवगत कराया था कि वह अपने कमरे में थी, तभी बभनी थाना क्षेत्र के भंवर गांव निवासी अजीत कुमार यादव पुत्र शिवसम्पत यादव आयख और उसे चार पहिया वाहन से अनपरा स्थित अपने रूम में ले गया।
वहां पर हाथ-पैर बांधकर उसके साथ जबरन दुष्कर्म किया। जाति सूचक शब्दों का प्रयोग करते हुए जान मारने की धमकी दिया। इसके बाद बेहोशी की हालत में उसे तालाब के किनारे हाथ-पैर बंधे हाल में ही फेंक दिया। जब होश आया तो रोने की आवाज सुनकर एक वृद्ध व्यक्ति ने उसका हाथ, पैर खोला। उसके बाद उसे वह अपने साथ दुद्धी कोतवाली ले गया। कोतवाली पुलिस ने इस मामले में दुष्कर्म, पॉक्सो एक्ट एवं एससी/एसटी एक्ट में एफआईआर दर्ज कर विवेचना शुरू की।
जिला न्यायालय से सजा हुई
विवेचक ने पर्याप्त सबूत मिलने की बात कहते हुए न्यायालय में चार्जशीट दाखिल की। कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्क सुने। गवाहों के बयान एवं पत्रावली का अवलोकन किया। इसके आधार पर दोषसिद्ध पाकर दोषी अजीत कुमार यादव को 10 वर्ष की कैद और 50 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। जेल में बिताई गई अवधि सजा में समाहित की जाएगी। अर्थदंड की पूरी धनराशि जमा होने के बाद पीड़िता को प्रदान की जाएगी। अभियोजन पक्ष की तरफ से सरकारी अधिवक्ता दिनेश प्रसाद अग्रहरि, सत्य प्रकाश त्रिपाठी और नीरज कुमार सिंह एडवोकेट ने मामले की पैरवी की।