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यूपी का ऐतिहासिक किला: आस्था-विश्वास का है प्रतीक, द्वापर युग से गहरा नाता

नारायणपुर में ही भगवान श्री कृष्ण व बाणासुर के बीच युद्ध हुआ। भगवान श्रीकृष्ण ने  बाणासुर का वध कर दिया।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 27 Sept 2020 7:16 PM IST
यूपी का ऐतिहासिक किला: आस्था-विश्वास का है प्रतीक, द्वापर युग से गहरा नाता
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बाणासुर का परिवार उस किले में रहा करता था। लेकिन इसी दौरान नारायणपुर में ही भगवान श्री कृष्ण व बाणासुर के बीच युद्ध हुआ। भगवान श्रीकृष्ण ने  बाणासुर का वध कर दिया।

रसूलाबाद: जनपद के रसूलाबाद क्षेत्र के अंतर्गत पड़ने वाले नारायणपुर सोडितपुर गांव की जहां पर द्वापर युग के समय बाणासुर का किला बहुत ही ऐतिहासिक और विशाल किला था। 70 बीघे के क्षेत्रफल का किला बना हुआ था। बाणासुर का परिवार उस किले में रहा करता था। उसकी बेटी ऊषा का विवाह प्रद्युम्न के बेटे अनुरुद्ध के साथ हुआ। लेकिन इसी दौरान नारायणपुर में ही भगवान श्री कृष्ण व बाणासुर के बीच युद्ध हुआ। भगवान श्रीकृष्ण ने बाणासुर का वध कर दिया।

शिव का बहुत बड़ा भक्त

बता दें कि बाणासुर भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था और जानकारों की माने तो अपनी बेटी के साथ लगभग 11 किलोमीटर लंबी सुरंग के रास्ते से पैदल चलकर बाणेश्वर शिव मंदिर जिनई बानीपारा में जलाभिषेक किया करता था। कहीं कहीं आज भी बारिश के समय पर वह सुरंग खेतों पर दिख जाती है जहां से बाणासुर जिनई जाया करते थे।

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बारिश के मौसम

महल के आसपास उस समय लगभग एक सैकड़ा से अधिक पानी के कुए थे जिसमें 41 कुएं आज भी मौजूद है। ग्रामीणों ने बताया कि गांव में बने कुएं में चरते समय दूसरे गांव के जानवर चलते-चलते गिर जाते हैं लेकिन नारायणपुर गांव के जानवर कभी भी उन कुओं में नही गिरे। बारिश के मौसम के बाद खेरे पर कुछ न कुछ अजीब अवश्य देखने को मिलता है। जैसे बारिश के बाद मानव कंकाल, बहूमूल्य मूर्तियां, मिट्टी के बर्तन इत्यादि देखने को मिलते हैं। खेरे पर आज भी किले की आधारशिला है और दीवारें भी देखने को मिलती है।

वहीं बारिश के चलते भी गड्ढे के रूप में कुएं दिखाई पड़ते हैं। यहां के लोग बताते हैं इस समय लगभग 52 बीघा का खेड़ा है। जिसमें कभी बाणासुर का किला हुआ करता था। पास में ही एक विशाल तालाब था। जहां पर बाणासुर की बेटी ऊषा स्नान करने के बाद जलाभिषेक करने के लिए बाणेश्वर शिव मंदिर जिनई बानीपारा जाया करती थी।

खुदाई और जमीन

ग्रामीणों ने बताया कि गांव में स्थित खेड़े में कहीं पर भी एक फावड़ा मारे तो विभिन्न प्रकार के जीव देखने को मिल जाते हैं। जैसे काली बिच्छू आसानी से एक फावड़े में ही बाहर निकल आती है। लेकिन कभी उन जीवों और बिच्छू ने किसी को हानि या नुकसान नहीं पहुंचाया। स्थानीय लोगों ने बताया कि कि खेरे से निकली बहुत ही पुरानी व हजारों साल पुरानी मूर्ति आज भी मंदिर में मौजूद हैं। जो खेड़े की खुदाई और जमीन से निकली है।

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मंदिर के सुंदरीकरण

उन्होंने बताया कि स्वपन देकर खुदाई करने पर विभिन्न प्रकार की मूर्तियां इस खेड़े से निकली है। नारायणपुर में स्थित यह मंदिर आज भी आस्था विश्वास का प्रतीक बना हुआ। गौरतलब हो कि द्वापर युग के समय काफी दिनों तक भगवान श्री कृष्ण बाणासुर का युद्ध चला और अंत मे भगवान श्री कृष्ण ने बाणासुर का वध कर दिया।

इतिहास के पन्नों में दर्ज सोणितपुर को अब नारायणपुर के नाम से जाना जाता है। लेकिन प्रशासनिक अनदेखी व जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा के चलते यह प्राचीन पौराणिक किला आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि इतना प्राचीन और पौराणिक मंदिर हमारे गांव में है। लेकिन किसी भी जनप्रतिनिधि व अधिकारी ने मंदिर के सुंदरीकरण सहित अन्य कार्यों के विषय में नहीं सोचा। जिससे ग्रामीणों में रोष व्याप्त है।

मनोज सिंह कानपुर देहात



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Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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