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कान्हा की नगरी में 172 वां ब्रह्मोत्सव, मथुरा में रथ मेले की मची धूम

उत्तर भारत में दक्षिण शैली के इस मंदिर में साल भर के 365 दिनों में 370 उत्सव मनाये जाने की परंपरा है ।

Shraddha
Published on: 4 April 2021 10:16 AM GMT (Updated on: 5 April 2021 10:01 AM GMT)
कान्हा की नगरी में 172 वां ब्रह्मोत्सव, मथुरा में रथ मेले की मची धूम
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mathura photos (social media)

मथुरा :कान्हा की नगरी में आज भगवान गोदा रंगमन्नार की धूम दिखाई दी । उत्तर भारत में दक्षिण शैली के इस मंदिर के उत्सवों की अपनी एक अलग पहचान है। इस मंदिर में साल भर के 365 दिनों में 370 उत्सव मनाये जाने की परंपरा है । इसी परंपरा के तहत पिछले 172 साल से चले आ रहे ब्रह्मोत्सव में रथ मेले का अयोजन किया गया । भगवान रंगमन्नार केनिस रथ को खींचने के लिए देश के कोने कोने से हजारों श्रद्धालु वृन्दावन धाम पहुंचे हुए है।

172 वें ब्रह्मोत्सव में आज रथ मेले का आयोजन किया गया

उत्तर भारत में दक्षिण शैली में स्थापित रंग जी मन्दिर के 172 वें ब्रह्मोत्सव में आज रथ मेले का आयोजन किया गया । इस रथ मेले के माध्यम से भगवान रंगमन्नार अपने उन भक्तो के साथ मंदिर से बाहर निकलते है जो रोज मंदिर आते है और शहर का भ्रमण करते हैं। यह रथ अपने आप में अपनी एक अलग विशेषता रखता है । इस रथ की लंबाई 10 फिट और ऊंचाई है लगभग 58 फिट इस रथ के मेले का आयोजन पिछले लगभग 172 वर्षो से वृन्दावन में किया जाता है और इस मेले को देखने के लिए देश भर से लाखों भक्त यहां आते हैं। जिसके बाद 58 फिट ऊंचे चन्दन की लकड़ी से बने इस रथ को अपने हाथों से खींचकर कमाते है पुण्य लाभ।

रथ का मेला भगवान रंगजी के मंदिर से शुरु होता है

ये रथ का मेला भगवान रंगजी के मंदिर से शुरु होता है और रंगजी के बगीचे तक जाता है वहा पर भगवान अपने सभी भक्तों को रथ में सवार होकर अपनी प्रियतमा लक्ष्मी के साथ दर्शन देते है। भक्त जब इस रथ को खीचते है तो वे रंग नाथ की भक्ती में सराबोर हो जाते है और कहा जाता है कि इस रथ को एक पग खीचने से ही एक अस्व मेघयज्ञ के बराबर पुण्य की प्राप्ती होती है और ये रथ का मेला सेकड़ों साल से चला आ रहा है। लोग इस रथ यात्रा में खूब नाचते और गाते हैं और बड़े ही खुशी के साथ लगाते हैं।

rath mela photos (social media)

यात्रा में बैंड बाजों के साथ हाथी घोड़े भी शामिल होते हैं

रंग नाथ भगवान के जयकारे रंग जी की इस रथ यात्रा में बैंड बाजों के साथ हाथी घोड़े भी शामिल होते हैं। ये आयोजन मंदिर में चल रहे ब्रह्मोत्सव के अंतर्गत किया जाता है। सबसे खास बात ये है कि चन्दन से बना ये रथ वर्ष भर में सिर्फ आज ही के दिन रथ खाने से बाहर निकाला जाता है और पूरे दिन दर्शन के वाद भक्तों द्वारा खींचने के बाद इसे दोबारा रथ खाने में ही खड़ा कर दिया जाता है।

mathura mela photos (social media)

लाखों की संख्या में श्रद्धालु वृन्दावन पहुंचते हैं

रंग नाथ मंदिर से सुबह शुरू होने वाली ये रथ यात्रा पूरी की। मंदिर से निकालने के बाद रथ यहां से करीब दो किलोमीटर दूर मंदिर के बगीचे में पहुंचता है जहां भगवान कुछ समय विश्राम करने के बाद पुनः रथ में विराजमान हो कर मंदिर के लिए प्रस्थान कर देते हैं। सुबह आठ बजे शुरू होकर शाम पांच बजे तक चलने वाली इस रथ यात्रा में शामिल होने के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु वृन्दावन पहुंचते हैं और भगवान के रथ को खींचते है।

रिपोर्ट : नितिन गौतम

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