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यहां काठ के रथ पर राम करते हैं रावण दहन, डेढ़ सौ साल पुरानी है ये प्रथा

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Published on: 11 Oct 2016 9:23 AM GMT
यहां काठ के रथ पर राम करते हैं रावण दहन, डेढ़ सौ साल पुरानी है ये प्रथा
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बहराइचः यूं तो पूरे देश में विजयादशमी का पर्व और इस दिन होने वाले रावण दहन का ऐतिहासिक महत्व है, लेकिन इन सबके बीच बहराइच जिले में स्थित राजा हरदत्त सवाई के बौंडी किले के समीप पिछले डेढ़ सौ सालों से चल रही ऐतिहासिक रामलीला और रावण दहन का अपना अलग महत्त्व है।

स्थानीय लोग खींचते हैं रथ

यहां विजयादशमी के अवसर पर विशालकाय रावण के पुतले का दहन तो होता ही है लेकिन इसमें खास आकर्षण का केंद्र सात तले का काठ का राम रथ है। इसकी लकड़ी की नक्कासी देखते बनती है। इसको चलाने के लिए इसमें सैकड़ों साल पुराने लकड़ी के बड़े चार पहिए लगे हुए हैं। पहले इसको खींचने के लिए इसमें सात घोड़े जोड़े जाते थे लेकिन अब घोड़ों का स्थान स्थानीय लोगों ने ले लिया है और हर साल वही इस रथ को खींचते हैं।

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घाघरा की कटान में बही रामलीला की जमीन

इस ऐतिहासिक राम रथ को डेढ़ सौ साल पहले बौंडी के तत्कालीन महाराज हरदत्त सवाई ने यहां की रामलीला कमेटी को दिया था। इतना ही नहीं उस समय राजा हरदत्त सवाई ने दशहरे के आयोजन के लिए सैकड़ों एकड़ भूमि भी रामलीला कमेटी को दी थी। तब से इस रथ पर भव्य रामलीला होने के साथ ही विजयादशमी के दिन विशालकाय रावण के पुतले का दहन भी होता है। इसे देखने के लिए सुदूर क्षेत्रों से हजारों की तादात में लोग एकत्र होते हैं लेकिन बाढ़ प्रभावित इस क्षेत्र में घाघरा नदी की कटान में न केवल बौंडी का किला कटा बल्कि राजा द्वारा रामलीला कमेटी को दी गई जमीन भी नदी में समाहित हो गई। बाद में किले के दूसरे छोर पर हर साल दशहरे का आयोजन होता है। वहां राम रथ पर सवार होकर विशालकाय रावण के पुतले का दहन करते हैं।

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