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ये हैं रियल लाइफ के बजरंगी भाईजान 

raghvendra
Published on: 3 Aug 2018 9:20 AM GMT
ये हैं रियल लाइफ के बजरंगी भाईजान 
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आसिफ अली

शाहजहांपुर: ‘बजरंगी भाईजान’ का नाम आते ही सबसे पहले बात सलमान खान की होती है, लेकिन हम आपको धनीराम नाम के एक ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे है जो रील नहीं बल्कि रियल लाइफ का बजरंगी भाईजान है। उसने एक खोए हुए लडक़े को उसके परिवार से मिलाने के लिए काफी परेशानियां झेलीं मगर कभी हार नहीं मानी। आखिरकार उसे इस खोए हुए लडक़े को उसके परिवार से मिलाने में कामयाबी मिली।

ये है पूरा मामला

धनीराम मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के रहने वाला है। वह जम्मू-कश्मीर में राज मिस्त्री का काम करता है। धनीराम के मुताबिक दो माह पहले उसके पास रंजीत नाम का एक युवक आया और उससे काम मांगने लगा। राज मिस्त्री ने युवक को काम देने के साथ रहने और खाने का भी इंतजाम कर दिया। इसी बीच युवक को अपने परिवार की याद आने लगी। उसने अपनी आपबीती राज मिस्त्री को सुनाई और मदद की गुहार लगाई। तब धनीराम ने रंजीत को उसके परिवार के लोगों से मिलाने का फैसला किया।

परिवार से ऐसे बिछड़ गया था रंजीत

23 साल के रंजीत वर्मा ने बताया कि वह अम्बेडकर नगर जिले के जलालपुर अंतर्गत ग्राम सुराही का रहने वाला है। उसके पिता राम सिधार वर्मा गांव मे चाय का होटल चलाते थे। पांचवीं कक्षा की पढ़ाई के दौरान उसका पढ़ाई में मन नहीं लगता था। स्कूल जाने पर टीचर मारते थे। घर आने पर स्कूल का काम न करने पर पिता भी उसकी पिटाई करते थे। एक दिन उसके पिता ने काम न करने पर उसे पीटना शुरू कर दिया। इससे नाराज होकर वह स्टेशन जाकर एक ट्रेन पर बैठ गया। उसे यह भी नहीं पता था कि वह कहां जा रहा है।

ट्रेन के हिमाचल प्रदेश पहुंचने पर उसकी मुलाकात एक युवक से हुई। उसने युवक को पूरी बात बताई। उसके बाद वह उसे अपने साथ ले गया और वहां पर रंजीत उसके घर पर काम करने लगा। तभी जम्मू का रहने वाला एक आदमी हिमाचल प्रदेश आया और वह उसके साथ जम्मू चला गया जहां उसने कई साल तक काम किया। दो महीने पहले उसकी वहीं पर राज मिस्त्री धनीराम से मुलाकात हुई। इतने दिनों तक घर से दूर रहने के बाद आखिरकार वह धनीराम की मदद से अपने घरवालों तक पहुंचने में कामयाब रहा।

ऐसे शुरू की बिछड़े परिवार से मिलाने की मुहिम

धनीराम राज मिस्त्री का काम छोडक़र रंजीत को उसके परिवार से मिलाने के काम में जुट गया। वह रंजीत को कई शहरों में लेकर घूमते हुए बाद में शाहजहांपुर के मीडिया तक पहुंचा। मीडिया में इस मामले के आने के बाद लोग धीरे-धीरे लोग उसकी मदद के लिए आगे आने लगे। लोगों ने रंजीत के घरवालों को ढूंढऩे के लिए इंटरनेट की सेवा लेना शुरू कर दिया। सोशल मीडिया में उसकी तस्वीरें और डिटेल के साथ पोस्ट अपलोड की गई। आखिरकार एक दिन रंजीत के घर का पता चल गया। लोगों ने धनीराम को रंजीत के घरवालों के बारे में बताया। उन्होंने यह भी बताया कि वह अम्बेडकर नगर के जलालपुर ब्लाक के ग्राम सुराही का रहने वाला है। लोगों के बताने के बाद धरीराम रंजीत को उसके घरवालों से मिलाने में कामयाब हो गया।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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