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Meerut News: CAA के विरोध में नुकसान की होगी वसूली, नहीं होगी कहीं भी कोई सुनवाई
Meerut News: नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर सार्वजनिक व निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वाले 86 उपद्रवियों से 4,27,439 रुपये की वसूली की जाएगी।
Meerut News: नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर सार्वजनिक व निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वाले 86 उपद्रवियों से 4,27,439 रुपये की वसूली की जाएगी। यानी अब प्रत्येक व्यक्ति पर समान रूप से 4,971 रुपये का अर्थदंड लगाया गया है। उप्र लोक व निजी संपत्ति क्षति वसूली दावा न्यायाधिकरण मेरठ संभाग द्वारा दिए गए। इस फैसले के बाद मेरठ, संभल, रामपुर, बिजनौर, मुजफ्फरनगर, फिरोजाबाद के लंबित मामलों के आरोपियों और उनके परिजनों में हड़कंप मचा है।
बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर सार्वजनिक व निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने के मामले में इन जनपदों में 20 मामले दर्ज किये गये थे, जिनमें 277 लोगों को नामजद किया गया था।
सीएए विरोधी प्रदर्शन में मुआवजे का भुगतान करने का आदेश
उप्र लोक व निजी संपत्ति क्षति वसूली दावा न्यायाधिकरण मेरठ संभाग न्यायाधिकरण के अध्यक्ष डा. अशोक कुमार सिंह (एचजेएस) और प्रवीणा अग्रवाल (अपर आयुक्त मेरठ मंडल सदस्य) द्वारा अमरोहा मामले को लेकर दिए गया फैसला प्रदेश में यह पहला मामला है, जिसमें न्यायाधिकरण ने सीएए विरोधी प्रदर्शन में मुआवजे का भुगतान करने का आदेश दिया है। यही नहीं इस फैसले के खिलाफ किसी न्यायालय में अपील नहीं की जा सकती है।
न्यायाधिकरण द्वारा डीएम अमरोहा को दिये गये आदेश में उप्र लोक और निजी संपत्ति क्षति वसूली अधिनियम 2020 की धारा-23 के अनुपालन में अर्थदंड वसूलकर राजकोष में जमा कराने को कहा गया है। इसके लिए 30 दिन का समय दिया गया है। 30 दिन के बाद उनसे छह प्रतिशत ब्याज व वसूली का खर्चा भी वसूला जाएगा। बता दें कि अमरोहा में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों की पुलिसकर्मियों से हुई झड़प के दौरान 4,27,439 रुपये की संपत्ति को क्षति पहुंचाई गई थी। इस मामस् में 86 लोगों को आरोपित बनाया गया था।
योगी सरकार का प्रदर्शनकारियों के खिलाफ बड़ा फैसला
बता दें कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने मार्च 21 में प्रदर्शन या आंदोलन की आड़ में सरकारी या निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों को सबक सिखाने के लिए कड़ा फैसला लिया था। फैसले के अनुसार किसी भी आंदोलन, प्रदर्शन, हड़ताल, राजनीतिक जुलूस के दौरान सरकारी और निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने पर जुर्माना देने का प्रावधान किया गया था। इस विधेयक में स्पष्ट किया गया है कि नुकसान पहुंचाने वाले की पहचान होने पर उससे पांच हजार रुपये से लेकर 1 लाख रुपये तक का जुर्माना वसूल किया जाएगा। इसके साथ ही आंदोलन या प्रदर्शन करने वालों पर सख्त कार्रवाई भी होगी।