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Meerut News: दलालों के कब्जे में रजिस्ट्रार फ‌र्म्स सोसाइटी एंड चिट्स ऑफिस

Meerut News: मेरठ में स्थित डिप्टी रजिस्ट्रार फर्म्स सोसाइटीज एवं चिट्स, कार्यालय इन दिनों दलालों के कब्जे में है। दलाल अपना जाल फैलाए क्लाइंट के इंतजार में बैठे रहते हैं।

Sushil Kumar
Report Sushil KumarPublished By Shashi kant gautam
Published on: 30 March 2022 11:11 PM IST
Meerut News: Registrar Firms Society and Chits Office in possession of touts
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मेरठ: दलालों के कब्जे में रजिस्ट्रार फ‌र्म्स सोसाइटी एंड चिट्स ऑफिस

Meerut News: उत्तर प्रदेश के मेरठ में स्थित डिप्टी रजिस्ट्रार फर्म्स सोसाइटीज एवं चिट्स, कार्यालय इन दिनों दलालों के कब्जे में है। कार्यालय के बाहर सुबह से शाम तक दलाल अपना जाल फैलाए क्लाइंट के इंतजार में बैठे रहते हैं। जैसे ही कोई कार्यालय में पहुंचता है, दलालों के जाल में फंस जाता है। बताया जा रहा है कि पहले ट्रस्ट के रजिस्ट्रेशन भी यहीं पर होते थे, लेकिन 2006 में ट्रस्टों के रजिस्ट्रेशन को यहां से अलग कर दिया गया।

न्यूजट्रैक संवाददाता से बातचीत में डिप्टी रजिस्ट्रार मेरठ अरविंद कुमार ‌सिंह यह तो स्वीकार करते हैं कि दलाल अपना जाल फैलाए हुए हैं। लेकिन इनकी रोकथाम के सवाल पर वें अपने आपको असहाय बताते हैं। वें कहते हैं,पूरे नोएडा,गाजियाबाद में पांच सौ से ज्यादा दलाल घूम रहे हैं। अब लोग जाते ही क्यों हैं इन दलालों के पास। बकौल अरविन्द कुमार सिंह जो सीधे मेरे सम्पर्क में आते हैं उनका भला हो जाता है।

कैसे रोक सकता हूं?

आपकी तरफ से दलालों की रोकथाम के लिए कोई कार्रवाई की गई है? न्यूज ट्रैक संवाददाता के इस सवाल पर अरविन्द कुमार सिंह कहते हैं, कैसे रोक सकता हूं। मेरे पास स्टाफ के नाम पर मात्र चार कर्मचारी हैं। फिर भी हमारी कोशिश है कि दलाली हर हाल में रोकी जाए। अपने स्तर से हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। पब्लिक को चाहिए कि वह अपने कार्य के लिए सीधे संपर्क करें।

बता दें कि मेरठ, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, बागपत, हापुड़ व बुलंदशहर जिलों की फर्म व सोसायटियों का रजिस्ट्रेशन से लेकर रिन्यूवल तक का काम होता है। यही कारण है कि मेरठ मंडल के छह जिलों से प्रतिदिन सैकड़ो की संख्या में संस्थाओं के पदाधिकारी किसी ना किसी काम को लेकर यहां पहुंचते हैं लेकिन यहां पर काम कराना टेढ़ी खीर है, क्योंकि बिना रिश्वत के यहां कोई काम नहीं होता। इस कार्यालय से इन संस्थाओं की वैधानिकता और संस्थाओं के वैध पदाधिकारियों की सूची इत्यादि जारी होती है, इसलिए यह कार्यालय महत्वपूर्ण है। इसी का फायदा यहां मौजूद दलाल उठाते हैं।

दलालों के पूरा गिरोह का आतंक

यह लोगों को डराकर उनसे काम कराने के नाम पर मोटी रकम की वसूली करते हैं। दलालों का पूरा गिरोह का आतंक इतना है कि कर्मचारी और अधिकारी भी इनसे उलझने से बचते हैं। बता दें कि फर्म का रजिस्ट्रेशन बिजनेस के लिए होता है। जबकि सोसायटी-एनजीओ सामाजिक कार्यों के लिए होती है। हर पांच साल बाद सोसायटी-एनजीओ का रिन्यूवल होता है, जबकि फर्म का एक बार रजिस्ट्रेशन होने के बाद रिन्यूवल नहीं होता।

सोसायटी-एनजीओ के रिन्यूवल की फीस एक हजार रुपये होती है। सोसाइटी-एनजीओ के रिन्यूवल से पहले उसके सभी कागजात पूरे करने पड़ते हैं। जिसमें सीए के द्वारा सत्यापित बैलेंस शीट से लेकर किए गए सभी कार्यों का ब्योरा होता है। जिस समय कोई अपनी सोसायटी का रिन्यूवल कराने आता है तो उसको रिश्वत देनी पड़ती है। नहीं देने पर उसकी फाइल को रोक दिया जाता है, और फिर चक्कर लगवाए जाते हैं। बाहरी जिलों से आनें वाले लोगों को इससे खासी परेशानी होती है। जब वह थक जाते हैं तो उन्हें मजबूरी में रिश्वत देनी पड़ती है। तब कहीं जाकर उनका काम होता है।

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