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इस रिटायर्ड फौजी ने तैयार किए 3500 लड़ाके, युवतियों को भी किया बिग्रेड में शामिल

sudhanshu
Published on: 7 July 2018 6:46 PM IST
इस रिटायर्ड फौजी ने तैयार किए 3500 लड़ाके, युवतियों को भी किया बिग्रेड में शामिल
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गोरखपुर: जिले की सीमा से बाहर दूर एक छोटे से गांव सहसराव में एक खास ‘जंग’ की तैयारी चल रही है। इण्ड़ियन आर्मी के रिटायर्ड कैप्टन आद्या प्रसाद दूबे को रिटायर्ड कहना भी गलत होगा क्योंकि वे पूरी शिद्दत से अकेले दम पर मोर्चा लिए हुए हैं। बस समय, जंग का मैदान और दुश्मन अलग हैं। दरअसल अबादी के बीच लड़ी जाने वाली यह लड़ाई बेरोजगारी और उसके कारण समाज में पैदा होने वाली विकृतियों के खिलाफ है। वर्ष 1992 में रिटायर हुए कैप्टन आद्या प्रसाद युवाओं के लिए फ्री सैनिक कैरियर सेंटर चलाते हैं। उनके सेंटर से अब तक आर्मी, नेवी, एनडीए, एयरफोर्स, यूपी पुलिस व अलग-अलग फोर्सों में 3500 से अधिक युवक-युवतियां सेलेक्‍ट होकर देश की सेवा कर रहे हैं।

गांव के अपराधों ने किया विचलित

नौकरी के दौरान कैप्टन छुट्टियों में कई बार घर आये थे। पर इन्‍हें गांव की बदली आबो-हव का एहसास रिटायरमेंट के बाद लौटने पर ही हुआ। गांव की मासूमियत खो चुकी थी। जिस गांव में छोटी सी घटना भी हलचल मचा देती थी। वहां लूटपाट और चोरी जैसी आपराधिक वारदातें आम हो गई थीं। इस बात से इन्‍हें बहुत कष्‍ट होता था।

इण्ड़ियन आर्मी से रिटायर्ड कैप्टन आद्या प्रसाद दूबे बताते हैं कि अधिकतर घटनाओं में युवाओं का इन्वालमेन्ट होता था। एक बार केवल 500 रूपये के लिए मर्डर कर दिया गया था। इस घटना ने उन्हें सोचने पर मजबूर कर दिया। उनके मन में ख्याल आया कि बेरोजगारी कम होने से युवाओं के कदम बहकने से रूक सकते हैं। इसके साथ ही साथ उनके मन में देश के लिए कुछ करने की भावना व जज्बा भी था।

लड़कियों को मिलती है खास ट्रेनिंग

वर्ष 1996 में कैप्टन ने सैनिक कैरियर सेंटर की नींव रखी। अमूमन बदलाव के लिए बढे़ कदम को शुरू में लोगों की नकारात्मक प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ता है। उनके साथ भी यही हुआ। एक साल तक सेंटर में पहले लड़कों को ट्रेनिंग दी जाती थी। लड़कियों को सेल्फ डिपेन्डेड और अपनी रक्षा खुद कर सकने योग्य बनाने के लिए लगभग तीन साल लग गया। अब लड़कियां भी बढ़-चढ कर ट्रेनिंग में हिस्सा लेती हैं। वह भी अब डिफेन्स के अलग-अलग क्षेत्र में चयनित होती हैं।

कंपटीशन की भी होती है तैयारी

इस सेंटर पर शुरूआत में केवल शारीरिक ट्रेनिंग दी जाती थी। बाद में कैप्टन ने एकेडमिक ट्रेनिंग देनी भी शुरू कर दी। हर बुद्धवार को यहां क्लासेज चलती हैं। जिसमें कम्पटीशन एग्जाम के लिए तैयारी करायी जाती है। समय-समय पर एग्जाम पैटर्न पर टेस्ट लिए जाते है। क्लासेज में स्टूडेंट्स को अंग्रेजी भी सिखाई जाती है।

भाषण तक सीमित है सहयोग

कैप्‍टन बताते हैं कि अगर हर आदमी रिटायरमेंट के बाद अपनी सर्विसेज फ्री में दे तो देश की तस्वीर बदल जायेगी। वह लम्बे समय से अपने सेंटर के लिए वालंटियर्स ढूढ रहे हैं। लेकिन अभी तक उनको कोई ऐसा नहीं मिला। सबसे बड़ी बात सेंटर की मेंटनेंस वह अपने रिर्सोसेज से करते हैं। उन्होनें बताया कि वह हर साल दो अक्टूबर को जिला स्‍तर पर एथलेटिक्स कराते हैं। इसमें आने वाले जनप्रतिनिधि अपनी बड़ी-बड़ी बातों से बच्चों के प्रति एक छाप छोड़ जाते हैं। लेकिन वह बस राजनीतिक खेल करते हैं, जो बहुत गंदा है।

अनुशासन है मूल सिद्धांत

सैनिक कैरियर सेंटर सबसे पहले लड़के व लड़कियों को अनुशासित और देश के प्रति सच्ची जागरूकता सिखाता है। इसके बाद उनको समाज का एक अच्छा नागरिक बनाता है। सैनिक कैरियर सेंटर से ट्रेनिंग लिया हुआ हर लड़का-लड़की अनुशासित रहते हैं। वह समाज के प्रति जागरूक रहते हैं। सैनिक कैरियर सेंटर ने अपनी ट्रेनिंग के माध्यम से लगभग दस हजार से अधिक लोगो को अनुशासित बनाने का कार्य किया है। जिसका विवरण उपलब्ध है।

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