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कभी नौकरी न मिलने पर चलाया था रिक्शा, आज हैं ई-रिक्शा कंपनी के GM

Admin
Published on: 1 May 2016 5:51 AM GMT
कभी नौकरी न मिलने पर चलाया था रिक्शा, आज हैं ई-रिक्शा कंपनी के GM
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वाराणसी: पीएम नरेंद्र मोदी जैसे खुद जमीन से जुड़े इंसान हैं वैसे ही वे जिन लोगों को अपने मिशन में जोड़ते हैं, उनकी पृष्ठभूमि भी कहीं न कहीं जमीन से ही जुड़ी होती है। काशी में जिस कंपनी के जरिए ई-रिक्शा वितरित किया जा रहा है। उस कंपनी के महाप्रबंधक भी जमीन से ही जुड़े हुए हैं।

गरीबी में गुजरा जीवन

-भारतीय माइक्रो क्रेडिट के महाप्रबंधक विजय पांडेय मिर्ज़ापुर जिले के बहुरा के रहने वाले हैं।

-इनका जीवन भी बेहद कठिनाई,संघर्ष और गरीबी में गुज़रा है।

-किसी तरह से इन्होंने लालडिग्गी मिर्ज़ापुर से पढ़ाई की।

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-कुछ काम और भविष्य को बेहतर बनाने के लिए वह इलाहाबाद गए।

-तमाम परेशानियों से गुज़रने के बाद कोई ठोस आजीविका का साधन नहीं मिला तो विजय रिक्शा चलाने लगे।

चलाया किराए का रिक्शा

-छः महीने तक विजय ने किराए के रिक्शे चलाए।

-1999 में उनके एक साथी ने कैस्पर माइक्रो क्रेडिट संस्था के बारे में बताया।

-यह संस्था गरीबों को लोन पर पैडल रिक्शा मुहैया कराती थी।

-उन्होंने संस्था के माध्यम से अपना रिक्शा खरीदा।

-विजय ने 2003 में कुछ लोगों का समूह बना कर संस्था से जोड़ा।

-2008 एक अन्य संस्था से जुड़कर बहुतों को रिक्शे का मालिक बनवाया।

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खुद की संस्था का किया निर्माण

-2008 में ही विजय ने भारतीय माइक्रो क्रेडिट नामक संस्था का निर्माण किया।

-इस संस्था के माध्यम से उन्होंने पैडल रिक्शा किस्तो पर देना शुरू किया।

-कुल तीन लोगों द्वारा बनाई गई संस्था में इस वक्त 500 सौ से ज्यादा लोग हैं।

-वित्तीय समावेशन के अन्तर्गत लगभग एक लाख लोगों को पैडल रिक्शे का मालिक बनवाया।

मोदी से मुलाक़ात कर बताई इक्षा

-जून 2015 में पीएम मोदी से मिलकर पैडल रिक्शा चालकों को ई-रिक्शा का मालिक बनाने की योजना पर बातचीत की।

-उनके द्वारा सहमति मिलने पर अपनी योजना को मूर्त रूप देना शुरू कर दिया।

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-पीएम द्वारा चलाए योजनाओं मुद्रा स्किम,स्किल इंडिया,मुद्रा लोन,जीवन ज्योति,जीवन सुरक्षा,अटल पेंशन आदि से भी इनको जोड़ने का कार्य करने लगे।

-पूरे सोल्युशन के साथ योजना का लाभ पहुंचाने में सक्रियता दिखाई।

विजय ने पीएम के अलावा राजीव प्रताप रूडी, स्मृति ईरानी, गिरिराज सिंह और कलराज की अगुआई में कुल पांच राज्यों में ई-रिक्शा वितरण के कई आयोजन कर चुके है। ई-रिक्शा के लिए कुल 10 हज़ार लोगों को शामिल किया गया है, उसमें से एक हज़ार लोग वाराणसी से हैं।

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