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हाईकोर्ट की फटकार के बाद राईट टाईम हुआ यूपी सूचना आयोग
कोर्ट ने सूचना आयोग को 24 घंटे का समय देते हुए सुप्रीम कोर्ट के द्वारा विशाखा मामले में दिए गए निर्देशों और महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण प्रतिषेध एवं प्रतितोष) अधिनियम 2013 की धारा 4 के अनुपालन में आयोग में आतंरिक परिवाद समिति गठित करने के सम्बन्ध में की गई कार्यवाही पर जबाब मांगा था।
लखनऊ: हाईकोर्ट की फटकार के बाद उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग महज 24 घंटे में ही सुधर गया। महिला उत्पीड़न के मामलों की जांचों के लिए आतंरिक परिवाद समिति बनाए जाने को लेकर दसियों साल से टालमटोल करने वाले राज्य सूचना आयोग हाई कोर्ट की फटकार के बाद कुछ ही घंटों में विशाखा समिति का न सिर्फ गठन कर दिया बल्कि सम्बंधित आदेश को 24 घंटों में ही हाई कोर्ट के सामने पेश भी कर दिया।
गौरतलब है कि सूचना आयोग में महिलाओं के अधिकारों के संरक्षण के लिए आरटीआई एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा लम्बे समय से प्रयास कर रही थी।
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उर्वशी ने इसके लिए हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में याचिका भी डाली थी। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस देवेन्द्र कुमार अरोड़ा और जस्टिस अलोक माथुर की बेंच ने बीती 29 मई को आयोग द्वारा महिला अधिकारों के प्रति उदासीन रवैया रखने की बात सामने आने पर सख्त रुख अख्तियार किया था और यूपी के सूचना आयोग और मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी को जमकर लताड़ लगाई थी।
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कोर्ट ने सूचना आयोग को 24 घंटे का समय देते हुए सुप्रीम कोर्ट के द्वारा विशाखा मामले में दिए गए निर्देशों और महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण प्रतिषेध एवं प्रतितोष) अधिनियम 2013 की धारा 4 के अनुपालन में आयोग में आतंरिक परिवाद समिति गठित करने के सम्बन्ध में की गई कार्यवाही पर जबाब मांगा था और मामले को सुनवाई के लिए अगले दिन फिर से सूचीबद्ध कर दिया था।
अगले दिन सुनवाई पर सूचना आयोग के अधिवक्ता ने न्यायालय को विशाखा समिति गठित किये जाने की सूचना देते हुये संबंधित आदेश भी न्यायालय के समक्ष पेश किया, जिसे न्यायालय ने रिकार्ड में ले लिया है।
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