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JUSPRUDENTIA की नेशनल कांफ्रेंस में पहुंची मंत्री रीता बहुगुणा, ह्यूमन राइट्स पर की बात

एमिटी युनिवर्सिटी में जुस्प्रूडेंशिया ने कन्हैया लाल मिश्र नेशनल कांफ्रेंस आयोजित करवाया। कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी मुख्य

tiwarishalini
Published on: 16 April 2017 2:48 PM IST
JUSPRUDENTIA की नेशनल कांफ्रेंस में पहुंची मंत्री रीता बहुगुणा, ह्यूमन राइट्स पर की बात
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लखनऊ : जस्प्रूडेंशिया की ओर से एमिटी इंटरनेशनल स्कूल ऑडिटोरियम में मानवाधिकार पर कन्हैया लाल मिश्र नेशनल कांफ्रेंस आयोजित की गई। कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद रही। यहां उनके साथ बीबीएयू की ह्यूमन राइट्स डिपार्टमेंट की डीन प्रोफेसर प्रीती सक्सेना भी मौजूद रहीं। बता दें 'newstrack.com' और अपना भारत' इस कार्यक्रम के मीडिया पार्टनर थे।

कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने सीनियर जर्नलिस्ट और यश भारती से सम्मानित योगेश मिश्रा की तारीफ की। उन्होंने कहा कि योगेश मिश्रा ने अपनी कलम की धार से पत्रकारिता क्षेत्र में नया मुकाम हासिल किया है। वह समय समय पर जनहित के मुद्दों को निष्पक्ष रूप से समाज के सामने उठाते रहे हैं।

मानव अधिकार का उल्लंघन है औरतों और पड़ोसियों का अपमान

- कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने शुरआत में कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वीसी प्रोफेसर निशीथ राय,प्रोफेसर प्रीती सक्सेना सहित सबका आभार व्यक्त किया।

-उन्होंने कहा कि - आप अगर पड़ोसी को सम्मान नहीं देंगे, घर में औरतों को सम्मान नहीं देंगे तो मानव अधिकार का उल्लंघन है।

-आज हम एक सभ्य समाज में रहते हैं। सभ्य समाज की व्यवस्था होती है कि सबके अधिकार सुरक्षित रहे। ह्यूमन राईट प्राकृतिक अधिकार है।

-मानव अधिकारों की रक्षा के लिए सिर्फ मंत्री, मुख्यमंत्री , सुप्रीम कोर्ट ही नहीं बल्कि सभी को आगे आना चाहिए।

- जो सीरिया में हो रहा अच्छा नहीं हो रहा है। जब से हिरोशिमा नागासाकी की घटना हुई तब से इसकी ज्यादा चर्चा शुरू हो गयी। ये बिलकुल भी ठीक नहीं की एक ग्रुप की जरूरतों की दुसरे ग्रुप के लोगों के अधिकारों का उल्लंघन करके पूरा करें।

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जन्म से नहीं कर्मों से श्रेष्ठ होता है इंसान

-जातिवाद पर बात करते हुए रीता ने कहा- आज शहर या ग्रामीण अंचलों में जाए, तो जो अपर कास्ट है वो ये सोंचती है कि हम जन्म से श्रेष्ठ हैं।

- लेकिन ऐसा नहीं है। व्यक्ति अपने कर्मों से श्रेष्ठ बनता है।

-कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए बीबीएयू की ह्यूमन राइट्स की डीन प्रोफेसर प्रीती सक्सेना ने कहा कि 1958 में ह्यूमन राइट्स चर्चा में आए।

- हालाँकि उस समय इसे कोई विधिक मान्यता प्राप्त नहीं थी, पर विश्व के कई देशों में इन्हें माना गया।

-फिर 1993 में वियना कॉन्फ्रेंस के बाद कई देशों ने ये स्वीकार किया कि हम इसको अपने देश की अलग अलग संस्थाओं में लागू करेंगे।

इन्होंने रखे विचार

समापन सत्र में मानवाधिकारों के क्षेत्र में कार्य कर रहीं जानी-मानी लेखिका शालिनी माथुर, वरिष्‍ठ पत्रकार योगेश मिश्र और शकुंतला मिश्रा राष्‍ट्रीय पुनर्वास विवि के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ शैल शाक्‍य ने अपने विचार व्‍यक्‍त करते हुए शोधपत्र प्रस्‍तुत करने पर प्रथम द्वितीय और तृतीय स्‍थान पाने वाले प्रतिभागियों को पुरस्‍कृत किया।जस्‍प्रुडेंशिया के संस्थापक अध्यक्ष और कार्यक्रम संयोजक शुभम त्रिपाठी ने रीता बहुगुणा समेत वहां मौजूद सभी छात्रों और अतिथिगण का स्वागत किया । कांफ्रेंस को सफल बनाने में जस्‍प्रुडेंशिया की टीम के सदस्‍यों अश्‍वनी सिंह, कौस्‍तुभ मिश्रा, उत्‍कर्ष मिश्रा, गौरव शुक्‍ला, रितु सक्‍सेना, नैन्‍सी श्रीवास्‍तव, सृजन सिन्‍हा, अभिषेक प्रताप सिंह, शिवम तिवारी, मनीष मिश्रा, गौरव पाण्‍डेस, संजीव वर्मा, रजत पाण्‍डेय, निधि जायसवाल, देवानंद पाण्‍डेय, आशीष सिंह परिहार, सर्वेश कुमार सेन, अनुभव निरंजन, शिवम त्रिपाठी आदि का उल्‍लेखनीय योगदान रहा।आगे की स्लाइड्स में देखें फोटोज ...

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Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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