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Lucknow News: हिन्दी के खिलाफ राजनीति पर रालोद ने खोला मोर्चा: इण्डी गठबंधन समेत अन्य घटक दलों से मांगा जवाब, राहुल-अखिलेश की चुप्पी पर उठाए सवाल

आरएलडी के राष्ट्रीय महासचिव अनिल दुबे ने कहा कि 2020 में जब नई शिक्षा नीति बनाई गई, तब यह निर्णय लिया गया कि हिन्दी, अंग्रेजी और एक क्षेत्रीय भाषा को हर राज्य में अनिवार्य रूप से लागू किया जाएगा।

Virat Sharma
Published on: 28 Feb 2025 7:35 PM IST
Lucknow News
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Lucknow News: Photo-Social Media

Lucknow News: राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय महासचिव अनिल दुबे ने इण्डी गठबंधन के प्रमुख दल डीएमके द्वारा नई शिक्षा नीति 2020 के खिलाफ उठाए गए विरोध को लेकर इण्डी गठबंधन के अन्य प्रमुख घटक दलों, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस से अपना स्पष्ट मत व्यक्त करने की अपील की है। राष्ट्रीय महासचिव अनिल दुबे ने कि कहा कि इन दलों को इस मुद्दे पर चुप्पी नहीं साधनी चाहिए।

डीएमके का विरोध और तमिलनाडु सरकार की भूमिका पर सवाल

रालोद के राष्ट्रीय महासचिव अनिल दुबे ने कहा कि तमिलनाडु में डीएमके द्वारा त्रिभाषा फॉर्मूले का विरोध करना और इस मुद्दे को लेकर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और उनकी सरकार द्वारा झूठा आरोप लगाना गलत राजनीति का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री स्टालिन का यह कहना कि वे बहुभाषी होने के पक्षधर हैं। जबकि राज्य में हिन्दी का अनिवार्य स्वीकार नहीं किया जा रहा, यह राजनीति से प्रेरित है।

त्रिभाषा फॉर्मूला और तमिलनाडु का विरोध

अनिल दुबे ने कहा कि त्रिभाषा फॉर्मूला 1968 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी द्वारा पेश किया गया था। जिसके तहत सभी राज्यों में हिन्दी, अंग्रेजी और एक क्षेत्रीय भाषा पढ़ाई जानी थी। हालांकि, तमिलनाडु में इस फॉर्मूले को कभी लागू नहीं किया गया। और केवल तमिल अंग्रेजी पढ़ाई गईं। उन्होंने 1986 में भी इस फॉर्मूले का विरोध करने का उदाहरण दिया, जब तमिलनाडु सरकार ने इसका विरोध किया था।

नई शिक्षा नीति और राष्ट्रीय एकता का मसला

आरएलडी के राष्ट्रीय महासचिव अनिल दुबे ने कहा कि 2020 में जब नई शिक्षा नीति बनाई गई, तब यह निर्णय लिया गया कि हिन्दी, अंग्रेजी और एक क्षेत्रीय भाषा को हर राज्य में अनिवार्य रूप से लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह नीति राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बनाई गई है और यह किसी भी राज्य में भाषा को जबरन नहीं थोपी जाएगी। इसके बावजूद, तमिलनाडु सरकार इसका विरोध कर रही है, जो राष्ट्रीय एकता को कमजोर करने वाली बात है।

तमिलनाडु सरकार की संकीर्ण सोच पर हमला

अनिल दुबे ने कहा कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और उनके मंत्री अपनी संकीर्ण सोच और राजनीतिक स्वार्थ के कारण त्रिभाषा फॉर्मूले का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने महात्मा गांधी का उदाहरण देते हुए कहा कि स्वाधीनता आंदोलन के दौरान 1918 में गांधीजी ने दक्षिण भारत में हिन्दी प्रचार सभा की स्थापना की थी, जो इस बात का संकेत है कि हिन्दी का प्रचार राष्ट्रीय एकता के लिए जरूरी है।

कांग्रेस और समाजवादी पार्टी की चुप्पी पर सवाल

राष्ट्रीय महासचिव अनिल दुबे ने कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के नेताओं, खासकर राहुल गांधी और अखिलेश यादव से सवाल किया कि वे इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर क्यों चुप हैं। उन्होंने कहा कि यह चुप्पी हिन्दी भाषा के सम्मान के खिलाफ है, और यह दिखाता है कि इन दलों के नेता अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए हिन्दी भाषा का अपमान होने दे रहे हैं। वहीं राष्ट्रीय लोकदल ने प्रदेश की जनता से हिन्दी के सम्मान में सहयोग की अपील की है और इस मुद्दे पर सपा और कांग्रेस के खिलाफ अभियान चलाने की योजना बनाई है।



Virat Sharma

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Lucknow Reporter

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