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Khatauli By-Election: खतौली में जीत से रालोद को वेस्ट यूपी में मिली नई संजीवनी, पांचवीं बार विधायक बने मदन भैया
Khatauli By-Election Result 2022: मदन भैया को पिछले विधानसभा चुनाव में लोनी सीट पर हार का मुंह देखना पड़ा था मगर उपचुनाव में उन्होंने जीत हासिल करते हुए भाजपा को बैकफुट पर ढकेल दिया है।
Khatauli By-Election Result 2022: खतौली विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में सपा-रालोद गठबंधन के प्रत्याशी मदन भैया ने 22,165 मतों से जीत हासिल की है। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी और पूर्व विधायक विक्रम सिंह सैनी की पत्नी राजकुमारी सैनी को हराकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रालोद को नई संजीवनी दी है। मदन भैया को पिछले विधानसभा चुनाव में लोनी सीट पर हार का मुंह देखना पड़ा था मगर उपचुनाव में उन्होंने जीत हासिल करते हुए भाजपा को बैकफुट पर ढकेल दिया है।
2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर भाजपा के विक्रम सिंह सैनी ने जीत हासिल की थी और उनकी विधायकी रद्द होने के बाद इस सीट पर उपचुनाव कराए गए हैं। भाजपा ने यह सोचकर विक्रम सैनी की पत्नी राजकुमारी सैनी को चुनाव मैदान में उतारा था कि उन्हें सहानुभूति लहर का लाभ मिलेगा मगर रालोद प्रत्याशी मदन भैया ने भाजपा के सपनों को ध्वस्त करते हुए इस सीट पर जीत हासिल की है। चुनाव में जीत हासिल करने के बाद मदन भैया पांचवी बार विधायक बनने में कामयाब हुए हैं।
भाजपा की जीत का सिलसिला टूटा
2012 में नए परिसीमन के बाद खतौली सीट का समीकरण भी बदल गया। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 24 साल बाद इस सीट पर जीत हासिल की थी।
2017 के चुनाव में भाजपा के विक्रम सैनी ने इस सीट पर विजय पताका फहराई थी। 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने इस सीट पर अपना कब्जा बनाए रखा मगर हेट स्पीच में सजा सुनाए जाने के बाद विक्रम सैनी की विधायकी चली गई थी।
इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा की ओर से विक्रम सैनी की पत्नी राजकुमारी सैनी को चुनाव मैदान में उतारा गया था। भाजपा को उम्मीद थी कि राजकुमारी सैनी सहानुभूति वोटों के दम पर जीत हासिल कर सकती हैं मगर यह उम्मीद नहीं पूरी हो सकी।
रालोद का गुर्जर समीकरण
खतौली विधानसभा सीट पर हुए पिछले विधानसभा चुनाव में रालोद ने सपा से आए राजपाल सैनी को प्रत्याशी बनाया था मगर रालोद का यह सैनी दांव सफल नहीं हो सका था। उन्हें भाजपा के विक्रम सैनी के हाथों हार का मुंह देखना पड़ा था। 2017 के विधानसभा चुनाव में रालोद ने शाहनवाज राणा को प्रत्याशी बनाया था मगर वे भी विक्रम सैनी के सामने ढेर हो गए थे। इन दोनों चुनावों में रालोद की हार का एक बड़ा कारण सैनी समुदाय का वोट भाजपा को मिलना था। यही कारण है कि इस बार रालोद के मुखिया जयंत चौधरी ने गुर्जर समीकरण अपनाने का फैसला किया। जयंत का यह दांव इस बार सटीक निशाने पर बैठा और मदन भैया को चुनाव में जीत हासिल हुई।
चार बार विधायक रह चुके हैं मदन भैया
जयंत चौधरी ने इस बार मदन भैया को प्रत्याशी बनाया जो इस चुनाव से पहले चार बार विधायकी का चुनाव जीत चुके हैं। गुर्जर समुदाय से ताल्लुक रखने वाले मदन भैया ने 1991, 1993, 2002 और 2007 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी। गाजियाबाद के रहने वाले मदन भैया ने हर बार अलग-अलग सीट और अलग-अलग दलों से जीत हासिल की। उन्होंने 2022 का विधानसभा चुनाव लोनी सीट से लड़ा था मगर उन्हें भाजपा के नंदकिशोर गुर्जर के सामने हार का मुंह देखना पड़ा था।
जातीय समीकरण साधने में कामयाबी
खतौली कस्बा 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों का केंद्र रहा था। भाजपा की ओर से सीट पर कब्जा बनाए रखने के लिए पूरी ताकत लगाई गई थी मगर फिर भी पार्टी को कामयाबी नहीं मिल सकी। आजाद समाज पार्टी के मुखिया चंद्रशेखर आजाद ने इस चुनाव में रालोद प्रत्याशी मदन भैया का समर्थन किया था। उन्होंने मदन भैया के चुनाव प्रचार में सक्रिय भूमिका भी निभाई थी। खतौली विधानसभा क्षेत्र में 80,000 मुस्लिम मतदाताओं के साथ ही पचास हजार एससी मतदाता भी हैं जिनकी भूमिका काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है। सैनी समुदाय का 35,000 वोट भी काफी अहम माना जाता है।
चुनाव नतीजों के बाद माना जा रहा है कि रालोद प्रत्याशी को गुर्जर,ओबीसी और मुस्लिम मतदाताओं के साथ एससी मतदाताओं का भी समर्थन हासिल हुआ है। इस तरह रालोद मुखिया जयंत चौधरी इस बार खतौली विधानसभा क्षेत्र में जातीय समीकरण साधने में कामयाब रहे हैं जिससे मदन भैया को जीत हासिल हुई है।