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भयानक हादसे से कांपा UP: खाई में गिरी कार, कई लोगों की मौत, लाशों के उड़े चीथड़े
सड़क दुर्घटना नहटौर में रिलायंस पेट्रोल पंप के पास लगभग 11.40 बजे हुई। कलियर शरीफ के रास्ते में शुक्रवार देर रात नहटौर में पुल से गुजरते वक्त कार नहर में जा गिरी।
लखनऊ: भारत में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ती जा रही हैं। उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में एक बड़ा सड़क हादसा हुआ है। शुक्रवार रात एक कार खाई में गिर गई। बताया जा रहा है कि हादसे में चार लोगों की मौत हो गई है। जबकि एक घायल हो गया। घायल को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मौके पर पहुंची पुलिस ने शवों को कब्जे में लेकर जांच शुरू कर दी है।
चार युवकों की मौत
यह सड़क दुर्घटना नहटौर में रिलायंस पेट्रोल पंप के पास लगभग 11.40 बजे हुई। कलियर शरीफ के रास्ते में शुक्रवार देर रात नहटौर में पुल से गुजरते वक्त कार नहर में जा गिरी। इस हादसे में नहर में डूबे बरेली के चार युवकों की मौत हो गई, जबकि एक युवक किसी तरह नहर से बाहर निकलने में कामयाब हो गया।
परिवार में मचा कोहराम
हादसे की खबर आते ही चारों युवकों के परिवारों में कोहराम मच गया। पुराना शहर के दादू कुंआ और रबड़ी टोला में रहने वाले पांच युवक शुक्रवार शाम ईद मीलादुन्नबी पर जियारत करने के लिए कार से कलियर शरीफ रवाना हुए थे।
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क्यों होती हैं सड़क दुर्घटनाएं
हमारे देश में सड़क दुर्घटनाएं इतनी आम हो चुकी हैं कि थोड़े-थोड़े अंतराल के बाद ऐसे दुखद समाचार सुनने को मिलते ही रहते हैं। अब तो लगता है कि हम ऐसे समाचार सुनने के आदी हो चुके हैं और छोटी-मोटी सड़क दुर्घटना, जिसमें एक-दो लोगों की जान चली गयी हो, उससे किसी को कोई फर्क ही नहीं पड़ता। हाँ, जब कोई बड़ी दुर्घटना हो जाती है, तब खूब हो-हल्ला मचता है, पर फिर कुछ दिनों बाद सब शांत हो जाता है। सरकार 'उच्च-स्तरीय' जांच बैठाकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेती है और मीडिया भी अपना ध्यान किसी अन्य समाचार पर फोकस कर लेता है।
भारत में सड़क दुर्घटनाओं की स्थिति
देश में सड़क दुर्घटनाओं की भयावह स्थिति को देखते हुए वर्ष 2015 में भारत ने ब्राज़ीलिया घोषणा-पत्र पर हस्ताक्षर करके आने वाले समय में इनकी संख्या में 50% कमी करने का लक्ष्य रखा है। यद्यपि बाद के वर्षों में इसमें कुछ कमी देखने को मिली है, परन्तु मंजिल अभी दूर है, क्योंकि आज भी देश में प्रतिवर्ष होने वाली लगभग 4.50 लाख सड़क दुर्घटनाओं में घायल होने वालों की संख्या लगभग 5.00 लाख तथा मृतकों की संख्या 1.50 लाख तक हो जाती है, जो हमारे देश के किसी छोटे शहर की कुल जनसंख्या के बराबर है।
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परिवार पर पड़ता है बुरा असर
इन दुर्घटनाओं में मरने वालों की तो असमय जीवन डोर टूटती ही है, जो बच्चे अनाथ, महिलायें विधवा और बूढ़े माँ-बाप बेसहारा हो जाते हैं, उनका जीवन भी बर्बाद हो जाता है। साथ ही घायल लोगों के शारीरिक, मानसिक, आर्थिक व पारिवारिक कष्ट का अंदाजा लगाना भी कोई मुश्किल काम नहीं है। अतः प्रासंगिक है कि हमारे देश में इतनी बड़ी संख्या में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं के कारण व निवारण हेतु उपायों पर गंभीरता-पूर्वक विचार कर उनका त्वरित क्रियान्वयन भी सुनिश्चित किया जाए।
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