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Lakhimpur Kheri News: सरकार बदली, मगर दूर नहीं हुई अस्पतालों की बदहाली

प्रदेश की सत्ता बदली और निजाम भी बदला मगर नहीं बदली स्वास्थ्य व्यवस्था है। आज भी जनपद का जिला अस्पताल अपनी बेबसी पर आंसू बहा रहा है। वहीं मरीज भी अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई लुटाने को मजबूर हैं।

Sharad Awasthi
Report Sharad AwasthiPublished By Ashiki
Published on: 7 Sept 2021 11:36 PM IST
Lakhimpur Kheri News
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 अस्पतालों की बदहाली  

Lakhimpur Kheri News: प्रदेश की सत्ता बदली और निजाम भी बदला मगर नहीं बदली स्वास्थ्य व्यवस्था। आज भी जनपद का जिला अस्पताल अपनी बेबसी पर आंसू बहा रहा है। वहीं मरीज भी अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई लुटाने को मजबूर हैं। इस समय जिला मुख्यालय पर लखनऊ मंडल के कमिश्नर रंजन कुमार जिला मुख्यालय पर विभिन्न विभिन्न योजनाओं का जायजा ले रहे हैं मगर जिला के अधिकारियों ने जिला अस्पताल की तरफ कमिश्नर का ध्यान केंद्रित नहीं कराया खा लिया है। यहां तो डॉक्टर से लेकर वार्ड बॉय और पंचम श्रेणी के कर्मचारी भी भ्रष्टाचार के दलदल में गोते लगा रहे हैं मगर इन पर कार्रवाई करना तो दूर की बात स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी सब कुछ जान कर भी अंजान बने हुए हैं। जनसंख्या के हिसाब से सबसे बड़े जिले के जिला अस्पताल में एक दांत की एक्स-रे की मशीन करीब 30 साल पहले आई थी जो वर्षों से खराब पड़ी है।

केस नंबर 1

पहला मामला ईसापुर से है। मरीज रमेश सिंह बताते हैं कि जिला अस्पताल में नर्स से लेकर प्राइवेट कर्मी तक बेड चार्ज के नाम पर 200 रुपये रोज मांगते हैं। मामला यहीं पर नहीं रुकता इसके बाद ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर बाहर की दवा लिखते हैं, जो करीब 17 सो रुपए की 1 दिन की दवा होती है। पूछने पर डॉक्टर कहते हैं राज करना है यार अपना लखनऊ कर दें या छुट्टी कर दें। बता दें कि जिले में भाजपा के 8 विधायक दो सांसद एक भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और एक केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जिनके गृह जनपद में जिला अस्पताल में भ्रष्टाचार चरम पर है। कहना गलत ना होगा, लेकिन जहां अस्पताल खुद बीमार है वहां मरीजों का उपचार कैसे होगा।


केस नंबर दो

शहर के मोहल्ला ईदगाह से है। रामजी शुक्ला जिन्हें कल सीवियर एनीमिया के चलते भर्ती किया गया। जैसे ही अवार्ड पहुंचे वार्ड में तैनात नर्स और वार्ड बॉय के प्राइवेट लड़कों ने 300 रुपये वार्ड की फीस मांगी और दवा के नाम पर भी 500 रुपये मांगे। जिला अस्पताल इन दिनों भ्रष्टाचार के चरम पर डूबा है। वहीं जिला अस्पताल में सुविधाएं ना के बराबर हैं। आधे पंखे बंद हैं, मरीज के तीमारदार हाथ के पंखे से हवा कर मरीजों की गर्मी दूर कर रहे हैं।


केस नंबर 3

अपनी मां का इलाज कराने आए रामसेवक निवासी राजापुर थाना फूलबेहड़ बताते हैं वह अपने मां को लेकर कल जिला अस्पताल आए थे जहां पर डॉक्टरों ने मां का इलाज शुरू किया और एक प्राइवेट पर्ची उनके हाथ में थमा दी जिसकी दवा करीब 13 00 रुपये की थी। प्रेमा देवी के स पुत्र ने पुत्र ने फिजिशियन से लाख मिन्नतें की मगर धरती के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर लखीमपुर में हैवान बन गए हैं। जिन्हें सेटिंग की दवा लिखने के अलावा मरीजों की जिंदगी से कोई मतलब नहीं है।


केस नंबर 4

जिला अस्पताल में बने अल्ट्रासाउंड कक्ष में एक अल्ट्रासाउंड ऐसा नहीं होता है, जिसमें मरीजों को उत्तर प्रदेश सरकार के नियमों के तहत फ्री सुविधा मिले। यहां पर भी रेडियोलॉजिस्ट ने अपना एक प्राइवेट चला रखा है जो आशाओं से लेकर मरीज के तीमारदारों से 200 रुपये प्रति अल्ट्रासाउंड की वसूली कर रहा है और भीड़ का आलम तो यह है कि इस अस्पताल में कोविड-19 तक काल की धज्जियां कैसे उड़ रहे हैं यह तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है।


केस नंबर 5

जिला महिला अस्पताल में तैनात डॉक्टर रंजन नेवी अल्ट्रासाउंड को अपनी आमदनी का जरिया बना रखा है। वह भी बिना 200 रुपये लिए एक भी अल्ट्रासाउंड मरीजों का नहीं कर रहे हैं इस पूरे मामले पर जिले के स्वास्थ विभाग के आला अधिकारी कुछ भी बोलने से कतराते नजर आ रहे हैं।


केस नंबर 6

जिला पुलिस अस्पताल के ब्लड बैंक में आजकल एक सीनियर लैब टेक्नीशियन द्वारा लाल खून का कारोबार अस्पताल में तैनात पंचम श्रेणी कर्मचारियों के बल पर धड़ल्ले से हो रहा है। वहीं जब इस संवाददाता ने उनसे खून की दलाली की बात की तो उन्होंने पत्रकार को धमकाते हुए बताया 50 लड़के भिजवा के तुम्हारे गोरी मरवा देंगे मामले की शिकायत के संवाददाता ने सीएमओ से भी की है।


मामले को लेकर जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक चंद्रशेखर सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया मैं इस अस्पताल में आर्थोपेडिक सर्जन के रूप में काम कर रहा था। अभी चंद दिनों पहले मुझे सीएमएस का प्रभार मिला है। जिला अस्पताल में व्याप्त भ्रष्टाचार की जानकारी मुझे मिली है, जिस पर कार्यवाही कर रहा हूं। रही बात दवाओं की दवा कारपोरेशन से आती हैं तमाम जीवन रक्षक दवाएं जिला अस्पताल में उपलब्ध नहीं है। इसलिए हमारे डॉक्टर बाहर से दवाएं लिख रहे हैं।

Ashiki

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