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Lakhimpur Kheri Kand: डीएम की रिपोर्ट की अनदेखी पड़ी भारी, साजिश के भी संकेत
Lakhimpur Kheri Kand: लखीमपुर खीरी मामले में खबर है कि जिलाधिकारी ने शासन को पहले ही ये रिपोर्ट भेज दी थी कि लखीमपुर खीरी में हालात ठीक नहीं हैं। गड़बड़ी की आशंका भी जता दी गई थी। फिर डीएम की रिपोर्ट (DM Ki Report) को नजरअंदाज कर कार्यक्रम का आयोजन महंगा पड़ गया, जिसके चलते सरकार संकट में आ गई।
Lakhimpur Kheri Kand: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के लखीमपुर खीरी जनपद (Lakhimpur Kheri) के तिकोनिया (Tikonia) में हालात अब धीरे धीर शांत हो रहे हैं। किसानों के रवाना होने का सिलसिला देर रात तक जारी रहा। इस दौरान एक खास बात देखने में ये आई है कि तिकोनिया किसानों के विरोध प्रदर्शन (Kisano Ka Pradarshan) में लखीमपुर के किसानों की उपस्थिति नगण्य रही। यहां जो भी किसान आए थे उनमें एक बहुत बड़ी संख्या उत्तराखंड के किसानों की थी। इसके अलावा बहराइच, शाहजहांपुर, पीलीभीत आदि जनपदों से किसान आए थे। इस बीच जानकारी मिली है कि पोस्टमार्टम में एक व्यक्ति के शरीर बुलेट इंजरी की पुष्टि हुई है। इस संबंध में आठ लोगों को पकड़ा गया है।
पूरे मामले में जहां सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) की 20 घंटे में हालात पर काबू पा लेने के लिए सराहना हो रही है तो वहीं केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी (Ajay Kumar Mishra) और उप मुख्यमंत्री पर सवाल भी उठ रहे हैं। क्योकि जानकारी में आ रहा है कि जिलाधिकारी ने शासन को पहले ही ये रिपोर्ट भेज दी थी कि लखीमपुर खीरी में हालात ठीक नहीं हैं। गड़बड़ी की आशंका भी जता दी गई थी। फिर डीएम की रिपोर्ट (DM Ki Report) को नजरअंदाज कर कार्यक्रम का आयोजन महंगा पड़ गया, जिसके चलते सरकार संकट में आ गई।
क्या आंदोलन के पीछे खालिस्तानी समर्थकों का हाथ?
पूरे मामले में चौंकाने वाली बात ये सामने आ रही है कि किसानों के इस आंदोलन के पीछे किसका दिमाग था। जिसमें शक के घेरे में तराई में सक्रिय खालिस्तानी समर्थकों के नाम लिए जा रहे हैं। ऐसी जानकारी आ रही है कि गड़बड़ी से पहले योजनाबद्ध तरीके से एक वाट्सएप ग्रुप बनाकर तैयारी की गई थी जिसमें चैट किये जाने की जानकारी भी मिल रही है। इसके अलावा भिंडरावाले की तस्वीर बनी टीशर्ट पहने लोगों की सक्रियता भी सवालों के घेरे में हैं। इसके अलावा उपद्रवियों की तैयारी का सबूत तराई के क्षेत्र के गुरुद्वारों से आंदोलनकारियों के लिए लंगर का प्रबंधन है।
पुलिस ने जिन आठ लोगों को पकड़ा है पुलिस के अनुसार वह किसान नहीं हैं लेकिन आंदोलन से जुड़े नेता उनके किसान होने का दावा कर रहे हैं। लखीमपुर में कुल दो ढाई हजार किसान हैं जिनकी इस आंदोलन में सक्रियता नहीं रही। जो भी लोग आए वह बाहरी थे फिर पुलिस प्रशासन ने उनको चेक क्यों नहीं किया? बार्डर पर क्यों नहीं रोका? इस बीच लखीमपुर के कुछ पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई होने की भी सूचना है।
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