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Lakhimpur Kheri Violence : पोस्टमार्टम-अंतिम संस्कार, मुआवजा से सरकार ने बांटा दर्द, फिर खोला राजनीतिक संवाद का रास्ता
Lakhimpur Kheri Violence : योगी सरकार ने लखीमपुर कांड में राजनीतिक दलों को खुलकर खेलने का मौका नहीं दिया।
Lakhimpur Kheri Violence : लखीमपुर खीरी कांड (Lakhimpur Kheri Violence) से उपजी विषम स्थितियों से निपटने के लिए योगी सरकार ने सरकारी मशीनरी को सक्रिय करने के साथ ही पीड़ितों के दर्द को भी समझने की कोशिश की। पीड़ितों की मांग के अनुरूप कार्रवाई पर जोर दिया। पोस्टमार्टम (Lakhimpur Kheri Incident),अंतिम संस्कार (Lakhimpur Kheri Kisan Post Martam Report) और मुआवजा की प्रक्रिया पूरी करने के बाद ही राजनीतिक प्रक्रिया को महत्व दिया। लिहाजा अब कांग्रेस से लेकर सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने लखीमपुर खीरी की ओर दौड़ लगा दी है।
योगी सरकार (Yogi Sarkar) ने लखीमपुर कांड(Lakhimpur Kheri Violence) में राजनीतिक दलों को खुलकर खेलने का मौका नहीं दिया। हाथरस कांड (hatharas Kand) से धोखा खा चुकी सरकार ने वारदात के तुरंत बाद सरकार ने सबसे पहले अपने वरिष्ठ अधिकारियों को मौके पर भेजा।
मोर्चा में कोई भी सर्वमान्य किसान नेता नहीं
एडीजी लॉ एंड आर्डर प्रशांत कुमार और अपर मुख्य सचिव देवेश चतुर्वेदी ने मौके की नजाकत को समझा और भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) को लखीमपुर खीरी तक पहुंचने दिया।
दरअसल, लखीमपुर खीरी में किसान आंदोलन (Lakhimpur Kheri Mein Kisan Andolan)का नेतृत्व संयुक्त किसान मोर्चा कर रहा है । लेकिन इस मोर्चा में कोई भी सर्वमान्य किसान नेता नहीं है।
ऐसे में राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने वहां पहुंचकर किसानों के अलग—अलग गुटों के नेताओं को संभाला और सरकार के साथ समझौते की प्रक्रिया को रफ्तार दी। सरकार भी पूरे मामले की गंभीरता को समझ रही थी, ऐसे में सोमवार की दोपहर में ही समझौते पर सहमति बन गई और शाम तक समझौते का एलान भी कर दिया गया।
भाकियू नेता राकेश टिकैत(Rakesh Tikait) की मदद लेकर सरकारी अधिकारियों ने मारे गए किसानों के अंतिम संस्कार को भी संपन्न कराया। बहराइच में मृतक किसान गुरुविंदर सिंह के परिवारीजनों ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर सवाल उठाए तो फिर राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) की मदद ली गई। दोबारा पोस्टमार्टम का फैसला सरकार ने किया।
कोई भी विपक्षी राजनेता नहीं कर पाया लखीमपुर खीरी में प्रवेश
मंगलवार को ही सभी पीड़ितों को सरकार की ओर से मुआवजे का 45—45 लाख रुपया भी दे दिया गया। इस बीच प्रियंका गांधी से लेकर अखिलेश यादव तक किसी भी विपक्षी राजनेता को लखीमपुर खीरी(Lakhimpur Kheri) की सीमा में प्रवेश नहीं करने दिया गया। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भी मंगलवार को लखनऊ एयरपोर्ट से बाहर नहीं निकलने दिया गया ।
लेकिन बुधवार को जब राहुल गांधी ने भूपेश बघेल और पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के साथ लखनऊ का रुख किया तो उनके लखनऊ पहुंचने से पहले ही सरकार ने सभी राजनीतिक दलों को लखीमपुर जाने की अनुमति दे दी। अब सभी राजनीतिक दलों के नेता लखीमपुर , बहराइच जाकर पीड़ित परिवारों से मिल सकते हैं ।
लेकिन दो दिनों में ही सरकार ने उनके जख्म पर बहुत सारा मरहम लगा दिया है। किसानों पर कार चढ़ाने के आरोपित केंद्रीय गृह मंत्री राज्य अजय मिश्र टेनी के पुत्र आशीष मिश्र के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज हो चुका है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अजय मिश्र को दिल्ली तलब किया है।
कोरी संवेदना जताकर लौटेगें विपक्षी
चर्चा है कि टेनी का इस्तीफा हो जाएगा। जाहिर है कि जब तक राजनीतिक दलों के नेता पीड़ित परिजनों से मिलेंगे तब तक इंसाफ की उनकी लड़ाई अंजाम के करीब दिखाई देगी। उनके घावों पर मरहम लग चुका है अब इसका असर होना बाकी है।
योगी सरकार ने राजनीतिक दलों का असमंजस बढ़ा दिया है, जिन पीड़ितों के पास वह मिलने जाना चाहते थे, आखिर अब उन्हें क्या देकर आएंगे। क्या पीड़ित परिवारों से मिलकर कोरी संवेदना जता कर फोटो खिंचवाकर लौट आएंगे।