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Rampur News: नैनीताल हाईवे बंद, सूख रही धान की फसलें, जमे हैं बाढ़ से बर्बाद किसान

Rampur News: रामपुर उत्तराखंड के तराई में बसा हुआ जिला है यहां पर मुख्य रूप से धान और गेहूं की फसलें उगाई जाती हैं ।

Azam Khan
Report Azam KhanPublished By Monika
Published on: 24 Oct 2021 11:35 AM IST
80 percent paddy damage
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धान खराब  

Rampur News: उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे इलाकों में उत्तराखंड में भारी बारिश (Uttarakhand me Bhari Barish) के चलते नदियों में डैम से छोड़े गए पानी ने जिस तरह कहर ढाया है उससे किसानों की फसलें बर्बाद (kisano ki fasal barbad) हो गई हैं और अब तक खेतों में पानी भरा है वही कुछ किसान अपनी धान की फसलें काटने के बाद उन्हें सुरक्षित स्थानों पर सुखाने के लिए मजबूर हैं और कुछ अपनी बची कुची धान की फसलें नैनीताल हाईवे (nainital highway ) पर सुखाने को मजबूर हैं। जिसके चलते नैनीताल हाईवे पूरी तरह बंद हो गया है।

रामपुर उत्तराखंड के तराई में बसा हुआ जिला है यहां पर मुख्य रूप से धान और गेहूं की फसलें उगाई जाती हैं । जनपद में कोसी, रामगंगा, पीलाखार और भाखड़ा नदी जहां कुदरत के एक वरदान की तरह है, इन फसलों को सींचे जाने में अपनी अहम भूमिका अदा करती है। लेकिन तेज बारिश में जब यह नदियां उफनाती हैं तो अभिशाप बन कर किसानों को तबाह बर्बाद कर डालती हैं। तीन दिन पहले हुआ भी यही हुआ जब उत्तराखंड स्थित डैम से पानी छोड़े जाने के बाद इन नदियों ने उफन कर अपना कहर ढा दिया, किसान अपनी फसलों के जलमग्न होने के चलते बर्बाद हो गये।

रामपुर के नैनीताल नेशनल हाईवे पर कई किलोमीटर तक किसान अपनी बची खुची धान की फसल को सुखा रहे हैं ताकि इसे बेचकर उन्हें कुछ दाम मिल सके और वह फिर से बाढ़ से हुई तबाही को भूलकर एक नई सुबह की तलाश मे जुट जायें और पहले की तरह ही अपनी आने वाली फसलों की बुवाई कर सकें।

तबाह हो चुके किसान प्रशासन से चाहते हैं कि जो इन फसलों की खरीदारी में मंडी समिति द्वारा अपनाये जा रहे नियमों कुछ छूट मिल सके, उन्हें फसलों की खरीदारी के समय नमी आदि के नियमों में कुछ छूट मिल सके। प्रशासन की ओर से इस समस्या का हल निकाले जाने को लेकर मंथन भी शुरू हो चुका है।

हाईवे पर अपना धान सुखा रहे किसान

किसान लवप्रीत सिंह के मुताबिक हाईवे पर अपना धान सुखा रहे हैं, गीला हो गया था बारिश के कारण और नमी बहुत ज्यादा है, हम हाईवे पर धान सुखा रहे हैं, नैनीताल हाईवे पर यह धान इसलिए सूखा पड़ रहा है क्योंकि बारिश के कारण हमारा धान भीग गया था और हमें हाईवे पर आकर इसलिए धान सुखाना पड़ रहा है क्योंकि खेतों में कैसे सुखाते, खेतों में अभी पानी बहुत आ रहा है, खेत तो बहुत गीले हैं। हां हाईवे बंद ही समझ लो। हां धान थोड़ा बहुत ही सूखा है। कल का ओर दिन है अभी कल तक सूख जाएगा। सरकार से हम यही मदद चाहते हैं, हमें इसका मुआवजा मिले जो हमारा धान खराब हुआ है। अभी हमें कोई मुआवजा नहीं मिला है। यह कल से डाला हुआ है। रात भी यहीं रुके हम सुबह से भी यही हैं।

किसान इशरत अली के मुताबिक धान सुखा रहे हैं मजदूर आदमी हैं नैनीताल हाइवे पर धान सुखा रहे हैं हाईवे पर इसलिए सुखाया जा रहा है कि कुछ सही हो जाएगा तो अच्छा है। नहीं तो यह धान बेकार हो जाएगा। खेत में जगह नहीं है, खेत में तो बाढ़ आई हुई है।

80 परसेंट धान डैमेज (80 percent paddy damage)

हरमन ज्योत सिंह के मुताबिक सबसे पहले तो सर मैं यह कहना चाहूंगा इस एरिया में जो धान कटने वाला रह गया था उसमे 80 परसेंट धान डैमेज हो चुका है ।जिसको एफसीआई को छोड़कर जो प्राइवेट buyer है उसको रिजेक्ट कर देंगे। किसान के पास शायद अल्टरनेटिव नहीं रह पाएगा। उसके बावजूद अगर वह कुछ सुखा रहे हैं दिन-रात उसको अगर सूखी जगह नहीं मिल रही है तो वे हाईवे पर सड़कों के किनारे आ रहे हैं और उसको सुखा रहे हैं। दो-तीन दिन सुखाने के बाद फिर वह लेकर आते हैं और कई सारे प्रोसीजर से निकलना पड़ता है। पता नहीं इसका मॉस्चर एक्सेप्टेबल होगा या नहीं होगा। अगर ट्रॉली में से कहीं से भी मॉस्चर थोड़ा सा भी बढ़ता है तो बहुत सारी परेशानी का सामना करना पड़ता हैं। दोबारा फिर जाकर सुखाना पड़ता है। उस पर लेबर कॉस्ट इतनी ज्यादा आ जाती है।

देखिए सर सरकार से यही उम्मीद है इतना बड़ा नुकसान हो गया है किसान का, तो कहीं ना कहीं पर ग्राउंड लेवल पर आकर वह देखे। किसानों को एसिस्ट करे, अदर वाइज किसान हमेशा हर एक जो फसल होती है तो उसको कहीं ना कहीं पर उधार लेकर कर चुका होता है और एक ही फसल बर्बाद होने पर बिल्कुल खत्म होने के कगार पर आ चुका होता है और उसके बाद कोई अपॉर्चुनिटी नहीं रहती है।

एडीएम रामपुर वैभव शर्मा के मुताबिक लगभग 180 गांव है जो बाढ़ के स्तर से प्रभावित हुए हैं लगभग 1193 गांव में अभी भी पानी भरा हुआ है जहां तक क्षति का आकलन है टीमें लगभग 100 से अधिक जिलाधिकारी महोदय के आदेश पर लगाई गई हैं और प्रथम दृष्टि से लगता है किसानों को काफी धान की क्षति हुई है। सभी अधिकारियों को कहा गया है कि एक हफ्ते में कार्य पूर्ण कर लें, ताकि कोई भी कृषक ना छूटे, सहायता से वंचित न रह सके। अभी वर्तमान में सरकार का 17 परसेंट का पैमाना है और अगर सरकार इसमें कोई ढिलाई देती है उसी मानक पर कृषक से लिया जाएगा। सरकार किसान हित में निर्णय लेगी और मुझे उम्मीद है इसमें कोई निर्णय आएगा किसानों के हित में ही आएगा ।

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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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