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Rampur News: आखिर हो गया नवाब खानदान के 50 साल पुराने संपत्ति विवाद का अंत

Rampur News:जनपद रामपुर में ब्रिटिश शासन काल (British rule) के दौरान की रियासत के बंटवारे का फैसला आ गया है, जिला जज (District Judge) की अदालत ने आखिरकार 49 सालों से अदालत में चल रहे मामले का फैसला सुना ही दिया है।

Azam Khan
Report Azam KhanPublished By Shashi kant gautam
Published on: 11 Dec 2021 4:12 PM IST
Rampur News: Finally 50 years old property dispute of Nawab family ended
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रामपुर: जिला एवं सत्र न्यायालय  

Rampur news: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के जनपद रामपुर (District Rampur) की जिला जज (District Judge) की अदालत ने आखिरकार 49 सालों से अदालत में चल रहे नवाब खानदान (Nawab family) के बंटवारे पर फैसला सुना ही दिया है। 26 सौ करोड़ (26 hundred crore) की चल व अचल संपत्ति के बंटवारे का फैसला देश की सर्वोच्च अदालत (supreme court) के दिशा निर्देशन में कुल 18 पक्षकारों के बीच शरीयत के मुताबिक किया गया है। जिसमें पांच बड़ी चल संपत्तियों के अलावा कई अचल संपतिया भी शामिल है।

आइए दिखाते हैं क्या है पूरा मामला...

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में जनपद रामपुर ब्रिटिश शासन काल (British rule) के दौरान रियासत हुआ करती थी। सन 1774 में इसे नवाब फैज उल्ला खान (Faiz Ullah Khan) ने बरेली जनपद (Bareilly District) के आंवला से आकर बसाया था, तब से देश की आजादी के समय भारत गणराज्य (Republic of India) में रियासत के विलय होने तक कुल 10 नवाबों ने यहां पर स्वतंत्र रूप से अपनी हुकूमत की। आजादी के बाद अंतिम नवाब रजा खान (Nawab Raza Khan) के समय में उनके बड़े बेटे नवाब मुराद अली खान को इस रियासत का युवराज घोषित किया गया था लेकिन आजादी के बाद यह पहली रियासत थी जो भारत गणराज्य में विलय हो गई और इसका अस्तित्व आधिकारिक रूप से समाप्त हो गया।


दिलचस्प बात यह रही संपत्ति बंटवारे को लेकर नवाब खानदान के कुल 18 वारिसान अपना अपना अधिकार जताते हुए कोर्ट की शरण में पहुंच गए। 49 सालों से लगातार चली आ रही इस लंबी लड़ाई अब लगभग अंत हो चुका है और जिला जज की अदालत ने देश की सर्वोच्च अदालत के दिशा निर्देशन में इस 26 सौ करोड़ रुपए की चल व अचल संपत्ति को 18 पक्षकारों के बीच बंटवारा कर डाला है।

आजादी के बाद रियासत रामपुर को भारत गणराज्य में विलय कर दिया गया

आजादी के बाद नवाब रजा अली खान ने अपने रियासत रामपुर को भारत गणराज्य में विलय कर दिया था, जिसके बाद समझौते के तहत उनके हिस्से में यहां की कई बड़ी संपत्तियां आई थीं जिनमें चल संपत्ति कोठी खास बाग, कोठी लखीबाग, कोठी बेनजीर, नवाब रेलवे स्टेशन व नवाबों वाला कुंडा के अलावा अचल संपत्ति जिनमें हथियारों का जखीरा पुरानी पेंटिंग जीवन शैली में इस्तेमाल होने वाले बर्तन आदि शामिल हैं।

26 सौ करोड़ रुपए की कीमत की इस संपत्ति का आकलन जिला जज की अदालत ने इस प्रकार किया है कोठी खास बाग की कुल कीमत 1435 करोड़, लखीबाग कोठी की कीमत 721 करोड़, कोठी बेनजीर, नवाब रेलवे स्टेशन एवं नवाबों वाला कुंडा जिसकी कीमत 432 करोड़ के साथ ही अचल संपत्ति में 1 हजार हथियारों के जखीरे के अलावा पेंटिंग आदि की कुल कीमत 64 करोड़ होने का आकलन किया गया है।

बेटी मेहरून्निसा की संपत्ति, शत्रु संपत्ति घोषित किए जाने की अपील की गई है

रामपुर रियासत (princely state of rampur) के अंतिम नवाब रजा अली खान की 26 सौ करोड रुपए की कीमत की इस प्रॉपर्टी को 18 पक्षकारों के बीच में शरीयत के हिसाब से उनके हिस्से तय कर दिए गए हैं। बताते चलें की नवाब रजा अली खान के तीन बेटे नवाब मुर्तजा अली खान नवाब जुल्फिकार अली खान नवाब आबिद रजा खान के अलावा उनकी कई बेटियां भी थी जिनके वारिसान मौजूद हैं। वही उनकी एक बेटी मेहरून्निसा पाकिस्तान के पूर्व एयर मार्शल अब्दुल रहीम खान की पत्नी हैं, जिसको लेकर सरकार द्वारा उनके hisse को शत्रु संपत्ति घोषित किए जाने की अपील की गई है ताकि उनके हिस्से को सरकार अपना अधिकार क्षेत्र में शामिल कर सकें।


नवाब काजिम अली खान के मुताबिक ऐसा था के हमारे दादा का इंतकाल नवाब रज़ा अली खां जो आखिरी शासक थे रामपुरी शासन के, उनका इंतकाल 1966 में हुआ था उसके बाद चुंकी स्टेट तो मर्ज हो चुकी थी 1949 में, इस्लामिक लॉ भी आ गया था, जो शरीयत है वह भी आ गई थी तो उसके बाद जो उनकी संपत्ति थी उसका बंटवारा शरीयत के हिसाब से होना था। उसी पर मुकदमा दर्ज हुआ। चाचा ने कहा सब मेरा है, उस पर यह मुकदमा चलता रहा।


नवाब काजिम अली खान बताते हैं कि जुलाई 2018 में चीफ जस्टिस की ट्रिपल बेंच ने यह फैसला सुनाया जो ऐतिहासिक था क्योंकि ज्यादातर सब रियासतों के मुकदमे चल रहे हैं और चीफ जस्टिस का जो फैसला था उन्होंने कहा एक दफा जब स्टेट मर्ज हो गई हिंदुस्तान में, तो जो कानून एक आम नागरिक पर अप्लाई करता है वही कानून जो रईस है जैसे नवाब थे, राजा थे, वह भी उसी तरीके से एक आम नागरिक हो गए हिंदुस्तान के तो सब पर एक ही कानून अप्लाई करेगा और जिस नागरिक का जो मजहब है उसके हिसाब से कानून अप्लाई होगा।

लॉक डाउन लगने के कारण बंटवारे की तारीख आगे को बढ़ गई

नवाब रजा अली खान (Nawab Raza Ali Khan) की जितनी भी संपत्ति थी, उस पर जो इस्लामिक शरीयत कानून है उनके बच्चों को, उसी के हिसाब से बटवारा होगा। फैसला आया 2018 में उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने डिस्ट्रिक्ट जज रामपुर को आदेश किया कि बंटवारे की आप स्कीम तैयार कीजिए उसके लिए एक तारीख मुकर्रर कर दी गई लेकिन बीच में क्योंकि कोविड पैंडमिक आ गया लॉक डाउन लग गया तो वह तारीख आगे को बढ़ गई। अब मेरे ख़्याल से दो-तीन दिन पहले जो डिस्ट्रिक्ट जज है रामपुर उन्होंने पार्टीशन स्कीम तैयार करके सुप्रीम कोर्ट को भेज दिया। शरीयत के हिसाब से जैसे कि मेरा 12 परसेंट है, मेरे अकेले का 12 परसेंट है। उन्होंने पार्टीशन स्कीम बना दी अब इंप्लीमेंटेशन होगा टेकओवर करने का, जो जो पार्टी इसमें है हमारे परिवार के जितने सदस्य हैं उनको सुप्रीम कोर्ट फिर आदेश देंगे जो पोर्शन है अपने हिस्से का वह आप ले लीजिए। उसके बाद हम फिजिकल पजेशन ले लेंगे।


अब मेरे ख्याल से जो 17 या 18 वारिसान हैं उसमें हमारी जो एक फुफ्फी थीं वह पाकिस्तान चली गई थी वहां उन्होंने अपनी नेशनलिटी बदल ली तो जो कानून है हमारे संविधान के हिसाब से तो उनका जो शेयर है वह कस्टोडियन में चला जाएगा। एनीमी प्रॉपर्टी का एक डिपार्टमेंट है गवर्नमेंट के पास उसमें चला जाएगा उनका शेयर। बाकियों का सब उनके हिसाब से ही होगा। बहुत साल हो गए मुझे तो बचपन से याद है मुकदमा चलते हुए कई साल हो गए 50 या 52 साल लगभग।


सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर 2019 में हुआ- राजीव अग्रवाल

राजीव अग्रवाल सरकारी वकील (Rajeev Agarwal Public Prosecutor) के मुताबिक ये मामला लगभग 49 साल से नवाब संपत्ति के बंटवारे के लिए चल रहा था और जो नवाब साहब की निजी संपत्ति थी उसकी हद तक ये बटवारा की स्कीम बनाई गई है। सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर 2019 में हुआ कि इसमें कमिश्नर अप्वॉइंट किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा यह मामला काफी पुराना हो गया है लिहाजा जिस भी तरीके से हो 1 साल के अंदर इस मैटर को कमिश्नर के थ्रू अगर पार्टी स्वयं कोआर्डिनेशन के थ्रू करती हैं तो ठीक है, अदर वाइज कमिश्नर एक अप्वॉइंट करके उसके वैल्यूएशन के थ्रू स्कीम बनाई जाए।


एक इनिशियल स्कीम तैयार कर दी गई थी उस पर लोगों की आपत्तियां आई और अब एक फाइनल स्कीम तैयार करके पहले इसको हाईकोर्ट और एक कॉपी सुप्रीम कोर्ट डिस्ट्रिक्ट जज साहब ने भेज दी है। देखिए अभी कल ही जजमेंट आया है। लगभग 34 पेज का आर्डर है और हमने नकल अप्लाई कर दी है। नकल जैसे ही आती है हम उसकी भी सारी डिटेल्स आपको बताएंगे।

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