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Rampur News: गन्ने से बढ़ रही है गुड़ की मिठास, नगद पेमेंट में किसान कोल्हू पर गन्ना डालने को मजबूर

Rampur News : रामपुर में 3 शुगर मिल हैं इन मिलों पर किसान अपने खून पसीने से सीचे गए गन्ने को वाजिब दाम लेने के लिए डालते हैं लेकिन मिलो द्वारा किसानों के गन्ने का भुगतान सही समय पर ना होने के चलते उनके चेहरों पर मायूसी की झलक देखने को मिलती है

Azam Khan
Report Azam KhanPublished By Ragini Sinha
Published on: 3 Dec 2021 1:21 PM IST
Rampur News
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Rampur News: गन्ने से बढ़ रही है गुड़ की मिठास, नगद पेमेंट में किसान कोल्हू पर गन्ना डालने को मजबूर (social media)

Rampur news: उत्तर प्रदेश का जनपद रामपुर तराई बेल्ट का वो हिस्सा है जिसके चलते यहां के किसान गेहूं धान के साथ ही गन्ने की फसल भी उगाते हैं, लेकिन चीनी मिलो से नगद पेमेंट ना मिल पाने के कारण किसान अपने गन्ने को छोटे-छोटे कोल्हू पर डालने को मजबूर हैं। वही किसानों के गन्ने से गुड़ की मिठास भी बढ़ने लगी है। आइए दिखाते हैं क्या है पूरा मामला।

जनपद रामपुर में 3 शुगर मिल हैं इन मिलों पर किसान अपने खून पसीने से सीचे गए गन्ने को वाजिब दाम लेने के लिए डालते हैं लेकिन मिलो द्वारा किसानों के गन्ने का भुगतान सही समय पर ना होने के चलते उनके चेहरों पर मायूसी की झलक देखने को मिलती है ।वही उनकी इस मायूसी को दूर करने की कोशिशों को गुड बनाने वाले कोल्हू मालिकान द्वारा उनका गन्ना नकद खरीद कर पूरा किया जा रहा है। बिलासपुर तहसील में कोल्हू मालिक राशिद भी अपनी तरफ से कुछ किसानों की मायूसी को दूर करने में जुटे हैं।


कोल्हू मालिक राशिद कहते हैं, बस ये कोलू चलाते हैं इस टाइम हालात बहुत गंभीर चल रहे हैं। हमारी सरकार ध्यान नहीं दे रही है बाकी गन्ना फैक्ट्री में जा नहीं रहा है। किसान मजदूर परेशान है वो गन्ना यही डालते हैं कोल्हू पर थोड़ा बहुत गुड निकालते हैं और फिर उसको बेचते हैं। किसानों की मदद करते हैं और जैसे कि जो मजबूर है जो गन्ना काटते हैं उनको भी पेमेंट चाहिए होती है। बाकी सरकार पेमेंट नहीं दे पाती है इसलिए फैक्टरी पर गन्ना नहीं डाल रहे हैं। फैक्टरी का रेट इस टाइम अच्छा है और हमारा रेट थोड़ा कम है क्योंकि हमें अपना भी देखना है। मजदूरों का भी देखना है। जो थोड़ी-बहुत पेमेंट होती है उसमे मजदूर ठीक रहते हैं बाकी सरकार से तो यही विनती है कि सरकार ठीक से गन्ना ले फैक्ट्रियों में ताकि मजदूर इतना परेशान नहीं हो। इस टाइम मजदूर बहुत ज्यादा परेशान है खेतों में गेहूं बोने हैं। इस टाइम लेकिन पैसा नहीं मिल रहा है तो इसलिए गन्ना हमारे कोल्हू पर डालते हैं और थोड़ी बहुत मिठाई बनाते हैं। फिर उनको पैसा देते हैं यह है कि यहां से उनका थोड़ा थोड़ा काम चलता रहता है। सरकार को गन्ना लेना चाहिए मजदूरों को पेमेंट टाइम से देना चाहिए।


किसान इस्माइल के मुताबिक हम यह गुड़ बनाते हैं गन्ना पेरते हैं कोल्हू से और भट्टी से पकाते हैं। गन्ना बस यही आ रहा है हल्का-हल्का आ रहा है। किसान परेशान है ना, तो यही मजदूरों के लिए डाल देता हैं और पैसा ले जाता हैं। फैक्ट्रियों में इसलिए नहीं डालते हैं, पेमेंट नहीं मिलती है, छह छह महीने लग जाते हैं। सरकार तो सोच नहीं रही है। किसान अब्दुल रज़ी के मुताबिक साहब सरकार से पेमेंट नहीं मिलती, अपनी मजबूरी के खातिर कोल्हू पर गन्ना डालते हैं। कोल्हू पर नगद पेमेंट हो जाती है एक आध दिन का उधार हो गया तो हो गया, नहीं तो वह भी नहीं। किसान की मजबूरी इस समय यही है कि किसान पिटा हुआ बहुत है और इस टाइम तेल, पेट्रोल, डीजल इन सब चीजों की महगाई हैं किसान क्या करें आत्म हत्या हो रही है सरकार जुल्म ढा रही है किसानों पर, अब क्या करें।


किसान असगर अली के मुताबिक साहब ऐसा है किसानों का गन्ना बिक नहीं रहा है और फैक्ट्रियां पेमेंट करती है 6 महीने में, तो यह कोल्हू पर डाल देते हैं इसमें मिट्टी है। तमाम कोल्हू वाले तो ऐसे ही मिट्टी समेत पेर देते हैं इन्हें भी नुकसान हैं। ये बिचारे बेच बांच के थोड़ा बहुत दे देते हैं। जिलाधिकारी रविंद्र कुमार मादर के मुताबिक गन्ना किसानों के लिए हमारे जनपद में तीन चीनी मील है जिसमें रूद्र विलास हमारी सरकारी मील है बाकी त्रिवेणी मिल है वह स्वार क्षेत्र में है और एक राणा शुगर मिल है वह शाहबाद क्षेत्र में है इन सभी का सबसे पहले पेराई सत्र प्रारंभ हो गया है। किसानों का गन्ना रिसीव करने के लिए सब जगह सेंटर बन गए हैं। समय से किसानों का गन्ना सेंटर पर रिसीव किया जाए गन्ने की घटतोली ना हो और जो चीनी उसकी बनती है उसकी सेल तेज़ी से करके, किसानों को समय से गन्ने मूल्य का भुगतान हो जाए यह कुछ प्रमुख मुद्दे थे जो डिस्कस किए गए हैं। सरकारी चीनी मिल से लगभग 97% के आसपास भुगतान हो चुका है। दो तीन परसेंट भुगतान अभी होना है तो उसमें जो भारत सरकार से सब्सिडी आती है चीनी की, तो उस पैसे का हम लोग वेट कर रहे हैं जैसे ही आ जाएगा वह भी किसानों को दे देंगे।

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Ragini Sinha

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