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Up Election 2022 : भोजीपुरा सीट पर कभी किसी एक पार्टी का नहीं रह कब्जा

Up Election 2022 : भोजीपुरा में जाति-धर्म के मुद्दों पर त्रिकोणीय मुकाबले के संकेत हैं। सपा और कांग्रेस से मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में हैं, तो वहीं भाजपा से बहोरन लाल मौर्य और बसपा से कुर्मी बिरादरी के योगेश पटेल चुनाव लड़ रहे हैं।

Neel Mani Lal
Report Neel Mani LalPublished By Ragini Sinha
Published on: 12 Feb 2022 7:05 AM GMT
UP Election 2022
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यूपी विधानसभा चुनाव की प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो:न्यूज़ट्रैक)

Up Election 2022 : यूपी विधानसभा चुनाव (Up election 2022) में रुहेलखंड (Rohilkhand) की भोजीपुरा सीट (Bhojipura assembly seat) पर कोई भी पार्टी अपना प्रभुत्व नहीं जमा पाई है यानी किसी एक पार्टी का यहां कब्जा नहीं रहा है। वैसे, गुजरे जमाने में यानी 1957 से 1974 तक इस सीट पर कांग्रेस (Congress) और जनसंघ (Jan sangh) के बीच जंग रही थी। कांग्रेस ने इस सीट पर अंतिम बार 1985 में जीत दर्ज की थी। पिछले पांच चुनावों की बात करें तो दो बार भाजपा, एक बार सपा, एक बार बसपा और एक बार आईएमसी के प्रत्याशी को जीत मिली है।1977 में यहां पहली बार निर्दलीय प्रत्याशी जीता था।

त्रिकोणीय संघर्ष

भोजीपुरा में जाति-धर्म के मुद्दों पर त्रिकोणीय मुकाबले के संकेत हैं। सपा और कांग्रेस से मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में हैं तो वहीं भाजपा से बहोरन लाल मौर्य और बसपा से कुर्मी बिरादरी के योगेश पटेल चुनाव लड़ रहे हैं। जबकि सपा ने शहजिल इस्लाम और कांग्रेस ने सरदार खान को टिकट दिया है। इनकी उम्मीद मुस्लिम वोटों पर टिकी है।

शहजिल को धार्मिक नेता का समर्थन मिलता रहता था

शहजिल की खासियत है कि वे किसी न किसी का टिकट लेकर हर बार मैदान में उतरते रहे हैं।वह इस बार सपा में हैं इसलिए उनको मुस्लिम वोट के एकजुट रहने की उम्मीद है। 2007 में जब वह बसपा में थे, तब भी मुस्लिम मतदाता उनके साथ था और 2012 में इत्तेहादुल मिल्लत काउंसिल में रहने पर भी यही समीकरण थे। दोनों बार वही जीते थे। शहजिल को धार्मिक नेता तौकीर रजा का समर्थन मिलता रहता था लेकिन इस बार तौकीर उनके साथ नहीं हैं। इस बार उनकी टक्कर सीधे भाजपा से है।

मुस्लिम वोट मिलता नहीं दिख रहा

भाजपा से बगावत करके बसपा में गए योगेश पटेल को टिकट देकर बसपा ने बहोरन मौर्य के लिए दिक्कत खड़ी कर दी है। योगेश पटेल कुर्मी मतदाताओं पर मजबूत दावेदारी जता रहे हैं। लेकिन उनके सामने सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि उन्हें मुस्लिम वोट मिलता नहीं दिख रहा है। इस क्षेत्र में कुर्मी वोट निर्णायक भूमिका निभाने की स्थिति में है। अगर ये वोट भाजपा की तरफ गया तो बसपा और सपा के लिए लड़ाई कठिन हो जाएगी। यहां मुस्लिम समुदाय के बाद कुर्मी मतदाता ही सबसे अधिक है।

कुल मिलाकर भोजीपुरा में धर्म और जातीय समीकरण पर चुनाव चल रहा है और सभी प्रत्याशी इसी हिसाब से अपने अभियान में लगे हुए हैं। भोजीपुरा किसी भी चीज के लिए उल्लेखनीय नहीं है और यहां के बाशिंदे खेती और छोटे मोटे रोजगार में लगे हैं। कोई बड़ी इंडस्ट्री नहीं और काफी कुछ बरेली पर टिका हुआ रहता है।

भोजीपुरा सीट पर अब तक 16 चुनाव हुए हैं, इनमें 12 बार कुर्मी बिरादरी के विधायक चुने गए। तीन बार मुस्लिम और एक बार मौर्य प्रत्याशी ने जीत हासिल की है। परिसीमन न होने के कारण 1952 से 1957 तक यह सीट निष्क्रिय रही और यहां चुनाव नहीं हुआ।

Ragini Sinha

Ragini Sinha

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