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UP Politics: वर्षो पुरानी है रामपुर के इन दो खानदानों की सियासी लड़ाई
UP Election 2022: कांग्रेस के नवाब अली उर्फ नावेद मियां ने आजम खां के परिवार पर हमला किया ही था कि उन्हे भी बड़ा झटका लगा।
UP Election 2022: उत्तर प्रदेश में जब भी कोई चुनाव आता है तो सबकी निगाह पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बसे दो सियासी खानदानों पर आकर टिक जाती है। जहां हर चुनाव में एक दूसरे को कमजोर और नीचा दिखाने की कवायद शुरू हो जाती है। कभी एक खानदान की सत्ता से नजदीकियां हो जाती है तो कभी दूसरे खानदान की। अब जब फिर यूपी में विधानसभा का चुनाव हो रहा है तो यहाँ एक दूसरे पर दोनो तरफ से हमले शुरू हो गए हैं।
जी हां, यहां बात हो रही है रामपुर जिले के नवाबी खानदान की बेगम नूरबानों और राजनीति के क्षेत्र के अपनी विषेष पहचान रखने वाल मो आजम खां के परिवार की। इन दिनों समाजवादी पार्टी की सरकार में सबसे ताकतवर मंत्री मो आजम खां जेल में हैं। जिनके बेटे अब्दुल्लाह आजम हाल ही में जेल से बाहर आकर अपने पिता को लेकर रो पडे़।
नावेद मियां ने आजम खां के परिवार पर किया हमला
इस पर उनके विरोधी और कांग्रेस नेता नवाब काजिम अली उर्फ नावेद मियां को उन्हे चिढ़ाने का मौका मिल गया। अब्दुल्ला के रोने पर नावेद मियां ने कहा पांच साल लोगों को रूलाया अब बो खुद रो रहा है। उन्होंने कहा कि बाप जेल में है तो बेटा परेशान होगा ही. मां और बाप का दर्द तो होता ही है। अपने बाप पर जो गुजर रही है तो बेटा परेशान होगा ही।
अभी कांग्रेस के नवाब अली उर्फ नावेद मियां ने आजम खां के परिवार पर हमला किया ही था कि उन्हे भी बड़ा झटका लगा। उनके बेटे हैदरअली उर्फ हमजा मियां ने कांग्रेस छोडकर अपना दल की सदस्यता लेे ली। रामपुर के इन दोनो खानदानों में में कभी एक परिवार की हार तो कभी दूसरे परिवार की जीत होती आई है। पिछला चुनाव आजम खां के बेटे अब्दुल्लाह आजम जीत गए थें लेकिन कागजों में हेराफेरी के चलते उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द हो गयी और उन्हे जेल भी जाना पड़ा।
नवेद मियां पांच बार रह चुके विधायक
रामपुर में नावेद मियां के पिता जुल्फिकार अली खान उर्फ मिकी मिया 1967 में पहली बार यहां से सांसद चुने गए। इसके बाद वह लगातार चुनाव जीतते रहे। यह बात अलग है कि 1977 में जनता पार्टी की लहर में वह चुनाव हार गए। बाद में नावेद मियां की पत्नी बेगम नूरबानों ने उनकी राजनीतिक विरासत संभाली और यहां की जनता ने संसद का रास्ता दिखाया। बाद में उनके बेटे नवाब काजिम अली भी स्वारटांडा सीट से विधायक बनते रहे। कभी कांग्रेस से तो कभी बसपा से पर जनता ने उन्हे हाथो हाथ लेती रही।
कई बार पार्टी बदलने वाले नवेद मियां यहां से पांच बार विधायक रह चुके हैं। बसपा सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण एवं हज मंत्री तथा सपा शासन में पर्यटन निगम के चेयरमैन चुके हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में वह रामपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी थे। इसके बाद वह बसपा में शामिल हो गए थे। बाद में 2019 में वह फिर कांग्रेस में शामिल हो गए।
पर पिछला चुनाव वह हार गए। उन्हे पहली बार चुनाव मैदान में उतरे आजम खां के बेटे अब्दुल्लाह आजम ने हराया। अब जब फिर चुनाव आ गए हैं तो अब्दुल्लाह आजम स्वारटांडा और उनके पिता मो आजम खां जेल में रहकर रामपुर सदर से चुनाव लड़ना चाह रहे हैं।
आजम खान रामपुर शहर विधानसभा सीट से 9 बार विधायक रह चुके हैं । पिछले 23 महीनों से सीतापुर की जेल में वह बंद हैं। वह फिलहाल सांसद है और उन्होंने पिछले चुनाव में फिल्म अभिनेत्री और भाजपा उम्मीदवार जयाप्रदा को हराया था।