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August Kranti Diwas: अंग्रेजी हुकूमत के गाल पर एक जोरदार तमाचा था काकोरी कांड, शाहजहांपुर में बना था पूरा प्लान

9 अगस्त 1925 के काकोरी कांड में क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों के सामने एक ऐसा जज्बा दिखाया जो अंग्रेजी हुकूमत के गाल पर एक जोरदार तमाचा मारने जैसा था।

Sanjay Srivastava
Published on: 9 Aug 2021 3:02 PM IST
Shahjahanpur: Kakori incident was like a slap on the cheek of British rule
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शाहजहांपुर: काकोरी कांड, अंग्रेजी हुकूमत के गाल पर एक जोरदार तमाचा मारने जैसा था  

August Kranti Diwas: आज पूरा देश काकोरी कांड की वर्षगांठ मना रहा है। आज ही के दिन 9 अगस्त 1925 को अंग्रेजों को चुनौती देने और उनका खजाना लूटने के लिए काकोरी कांड को अंजाम दिया गया था। काकोरी कांड देश के इतिहास में एक ऐसी घटना है, जिसने हर देशवासियों के दिलों में अंग्रेजों के प्रति नफरत पैदा कर दी थी।

9 अगस्त 1925 की इस घटना में क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों के सामने एक ऐसा जज्बा दिखाया जो अंग्रेजी हुकूमत के गाल पर एक जोरदार तमाचा मारने जैसा था। मात्र 10 क्रांतिकारियों ने काकोरी में एक ट्रेन में डकैती डाली। जिसमें 3 क्रांतिकारी शाहजहांपुर के हैं जिन्हें काकोरी कांड के लिए अंग्रेजों ने राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्लाह खां और रोशन सिंह को 19 दिसंबर,1927 को फांसी दे दी।

शहीदों की मजारों पर हर लगेंगे हर बरस मेले...

"शहीदों की मजारों पर हर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मिटने वालों का बस यही बांकी निशां होगा" ये लाइनें अमर शहीदों के लिए हैं जिन्होंने मुल्क की आजादी की खातिर हंसते हंसते फांसी को गले में डाल लिया। बिस्मिल की दोस्ती के साथ हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिशाल पेश करने वाले इस शहीद की कुर्बानी पर आज हर कोई फक्र करता है।


शहीदों की नगरी के नाम से जाना जाने वाला शहर शाहजहांपुर

दरअसल' शहीदों की नगरी के नाम से जाना जाने वाला शहर शाहजहांपुर है जहां एक नहीं बल्कि तीन तीन शहीदों ने देश की आजादी के लिए अपनी जान दे दी। जिनमें एक नाम है अमर शहीद आश्फाक उल्लां खां। शहर के मोहल्ला एमन जई जलाल नगर में 22 अक्टूर 1900 में जन्में इस शहीद की तमाम चीजें आज भी इनके परिवार ने संभाल कर रखी है जिनमें जेल में जिन्होंने जिन्होंने लिखी उनकी एक डायरी और अपनी मां को लिखी कई चिटिठयां शामिल हैं। उनके परिवार में उनके तीन पोते आज भी उनकी विरासत को जिन्दा रखे हुए हैं।


आश्फाक और बिस्मिल की दोस्ती हिन्दू मुस्लिम एकता की मिशाल

आश्फाक उल्ला खां और प0 राम प्रसाद बिस्मिल की दोस्ती आज भी मुल्क में हिन्दू मुस्लिम एकता की मिशाल पेश करती है। उनके परिवार वालों को इस बात का फक्र है कि उन्होंने ऐसे परिवार में जन्म लिया है जिन्हें आज पूरा मुल्क सलाम करता है। काकोरी कांड की रूपरेखा यहां के आर्य समाज मंदिर में रखी गई जिसमें राम प्रसाद बिस्मिल कट्टर हिंदू और हवन करते थे तो वहीं इति आर्य समाज मंदिर में अशफाक उल्ला खां जो कट्टर मुसलमान थे नमाज का समय होने होने पर आर्य समाज मंदिर में नमाज अदा करते थे दोनों की दोस्ती हिंदू मुस्लिम एकता की जीती जागती के लिए मिसाल पेश करती है।


एक ही थाली में खाना खाया करते थे आश्फाक और बिस्मिल

दोनों एक ही थाली में खाना खाया करते और देश की आजादी के लिए काकोरी कांड की रूपरेखा तैयार करते थे जिसके बाद 9 अगस्त 1925 को पंडित राम प्रसाद बिस्मिल अशफाक उल्ला खां और ठाकुर रोशन सिंह ने काकोरी कांड को अंजाम दिया इन्होंने इस कांड की रूपरेखा आर्य समाज मंदिर में तैयार की थी और 9 अगस्त 1925 को काकोरी स्टेशन पर अंग्रेजों का खजाना देश भक्तों ने लूट लिया था। जिसके बाद महानायकों को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया। उसके बाद काकोरी कांड के महानायक पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, ठाकुर रोशन सिंह, अशफाक उल्ला खां को 19 दिसंबर 1927 को जेल में फांसी दे दी गई थी

Shashi kant gautam

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