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Shahjahanpur Fake Encounter Case: शाहजहांपुर फर्जी एकाउंटर केस में 18 साल बाद न्याय, पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज
Shahjahanpur Fake Encounter Case: शाहजहांपुर फर्जी एनकाउंटर केस में 18 साल बाद जलालाबाद थाने में 18 पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।
Shahjahanpur Fake Encounter Case: उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर (Shahjahanpur) के जलालाबाद थाना क्षेत्र (Jalalabad Thana Chretra) में हुए फर्जी एनकाउंटर मामले (Shahjahanpur Fake Encounter Case) में 18 साल बाद जलालाबाद थाने में तत्कालीन एसपी समेत 18 पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। जिन पर मुकदमा दर्ज हुआ है, उनमें एसपी, एएसपी, 3 सीओ, 10 थानाध्यक्ष, एसओजी प्रभारी, एक एसआई और एक कांस्टेबल शामिल हैं। यह कार्रवाई मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट आभा पाल के आदेश पर की गई है।
बता दें कि 3 अक्टूबर 2004 को हुए एनकाउंटर में पुलिस ने दो ग्रामीणों को नरेशा धीमर गिरोह (Naresha Dheemar gang) के सदस्य बताते हुए मार दिया था। इस मामले में जलालाबाद थाना क्षेत्र के चचुआपुर गांव (Chhataurpurwa Gaon) निवासी रामकीर्ति ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर बताया था कि मुठभेड़ के दिन उसका भाई प्रह्लाद खेत जोतने के लिए गया था। साथ ही उसके दोस्त धनपाल और 2 अन्य पशु चराने के लिए खेत गए थे। उसी दौरान 17-18 पुलिसकर्मी वहां आ गए और प्रह्लाद और धनपाल को नरेशा धीमर गिरोह का सदस्य बताकर गोली मार दी थी।
18 साल बाद मिला न्याय
यही नहीं प्रार्थना पत्र में यह भी कहा गया था कि पुलिसकर्मियों ने प्रह्लाद और धनपाल को गोली मारने के बाद दोनों के कंधों पर बंदूक टांग दी थी और कमर में कारतूस की पेटी बांध दी थी। इसके बाद दोनों के शव को खेत किनारे फेंक दिया था। इस मुठभेड़ की जांच तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट अमित घोष ने कराई थी। 18 साल बाद इस मामले में तत्कालीन एसपी समेत 18 पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। एसपी एस. आनंद ने इस मामले की जांच क्राइम ब्रांच को सौंप दी है।
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