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UP Election 2022: उत्तर प्रदेश चुनाव का दूसरा चरण, इन खास सीटों पर रहेगी सभी की नजर

UP Election 2022: विधान सभा चुनावों में जहाँ पहले चरण में जाट मतदाता खासा प्रभाव रखते थे तो वहीँ इस दूसरे चरण में मुस्लिम वोट निर्णायक होंगे।

Rakesh Mishra
Report Rakesh MishraPublished By Divyanshu Rao
Published on: 11 Feb 2022 7:31 PM IST
UP Election 2022
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यूपी विधानसभा चुनाव 2022 की प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो:सोशल मीडिया)

UP Election 2022: उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव 2022 के दूसरे चरण के मतदान में अब बस दो दिनों का समय बाकी है। वैलेंटाइन डे यानि 14 फरवरी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश और रोहिलखण्ड क्षेत्र के 9 जिलों की 55 विधान सभा सीटों के लिए मतदान होगा। दूसरे चरण के लिए कुल 586 प्रत्याशी मैदान में हैं।

विधान सभा चुनावों में जहाँ पहले चरण में जाट मतदाता खासा प्रभाव रखते थे तो वहीँ इस दूसरे चरण में मुस्लिम वोट निर्णायक होंगे। इस क्षेत्र में मुस्लिमों के प्रभाव का आलम यह है कि किसी-किसी विधान सभा में तो 65 प्रतिशत तक मुस्लिम मतदाता हैं। मुस्लिम मतों को ही लुभाने के लिए इस बार सबसे ज्यादा बसपा ने 23 मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं, तो वहीँ सपा गठबंधन ने 20 मुस्लिम प्रत्याशी को टिकट दिया है। कांग्रेस ने भी 20 मुस्लिमों को अपना उम्मीदवार बनाया है। यही वह क्षेत्र हैं जहाँ से प्रदेश में भाजपा गठबंधन का एक एकमात्र मुस्लिम प्रत्याशी अपना दल (एस) के टिकट पर रामपुर की स्वार सीट से मैदान में है।

इसी क्षेत्र में नबाबों का गढ़ रामपुर आता है जहाँ के नेता आज़म खान हैं, जिनकी प्रदेश की राजनीति में एक समय तूती बोलती थी। मुस्लिम राजनीति का एक और बड़ा चेहरा इमरान मसूद, जिन्होंने कभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बोटी-बोटी काट डालने की बात कही थी, भी इसी क्षेत्र से आते हैं।

इन्ही 9 जिलों में यादव बाहुल्य संभल भी आता है जो मुलायम सिंह यादव परिवार का गढ़ है। अखिलेश यादव के मैनपुरी के करहल से चुनाव लड़ने की घोषणा से पहले इस बात की उम्मीद जतायी जा रही थी कि पूर्व मुख्यमंत्री संभल जिले के गुन्नौर विधान सभा से ही मैदान में उतर सकते हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इस जिले की राजनीति को हमेशा से ही समजवादी पार्टी ने डोमिनेट किया है। मुलायम सिंह यादव खुद संभल लोक सभा सीट से दो बार सांसद रह चुके हैं।

आइये नजर डालते हैं इस क्षेत्र की प्रमुख सीटों पर:

बेहट विधान सभा

मां शाकुम्भरी देवी और दारुल उलूम देवबंद के लिए प्रसिद्द सहारनपुर के सात विधान सभा क्षेत्रों में से एक है बेहट विधान सभा। 2017 में यहाँ से कांग्रेस के नरेश सैनी विधायक बने थे। सैनी कभी इमरान मसूद के बहुत करीबी थे और उन्ही की कृपा से विधायक भी बने थे। सैनी ने इस बार पाला बदल कर भाजपा ज्वाइन कर लिया है।

भाजपा ने सैनी को ही यहाँ से मैदान में उतारा है। सपा ने यहां से उमर अली खान को प्रत्याशी बनाया है। उमर अली जामा मस्‍ज‍िद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी के दामाद हैं और सपा की तरफ से एमएलसी रह चुके हैं। कांग्रेस ने पूनम कम्बोज तो बसपा ने यहां से रईस मलिक को टिकट दिया है। यहाँ सबसे ज्यादा मुस्लिमों की आबादी लगभग 1.50 लाख है।

दलितों की संख्या 65 हजार है तो 35 हजार सैनी, 15 हजार ठाकुर और 10 हजार कश्यप मतदाता हैं। अब जबकि सपा और बसपा दो पार्टियों ने यहाँ से मुस्लिम उम्मीदवार उतार दिए हैं ऐसे में मुस्लिम मतों का बॅटवारा तय माना जा रहा है। दलितों का रुख यहाँ से निर्णायक साबित हो सकता है।

यूपी विधानसभा चुनाव (फोटो:न्यूज़ट्रैक)

देवबंद विधान सभा

सूबे में सत्ता किसी की रही हो इस विधान सभा की चर्चा हमेशा रही है। इस बार तो यह नाम पुरे देश में चर्चा का विषय हो गया था क्यूंकि कुछ हलकों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के यहाँ से चुनाव लड़ने की सम्भावना जतायी जा रही थी। देवबंद ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण नगर है।

यहाँ के मदरसा दारुल उलूम देवबंद की ख्याति देश और दुनिया भर में है। देवबंद सीट सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के लिए चर्चा में रहती है। 2017 में यहाँ से भाजपा के बृजेश सिंह रावत चुनाव जीते। भाजपा से बृजेश सिंह फिर मैदान में हैं तो वहीँ सपा ने कार्तिकेय राणा को टिकट दिया है। हाथी की सवारी चौधरी राजेंद्र सिंह करेंगे तो कांग्रेस ने भी एक मुस्लिम प्रत्याशी राहत खलील को मैदान में उतारा है। यहां मुस्लिम आबादी करीब 1 लाख है। अनुसूचित जाति के 75 हजार मतदाता है तो वहीँ गुर्जर और राजपूतों की संख्या 35-35 हजार हैं।

रामपुर विधान सभा

रामपुर जिला समाजवादी पार्टी का गढ़ कहा जाता है। वहीँ नवाबों के गढ़ रामपुर में हमेशा से ही आजम खान और उनके परिवार का दबदबा रहा है। समाजवादी पार्टी के नेता आज़म खान वर्तमान में तो सांसद हैं लेकिन 2022 विधान सभा चुनाव में वो रामपुर सीट से मैदान में उतर रहे हैं। इस सीट पर आज़म खान के दबदबे का इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वो रामपुर सीट से नौ बार विधायक चुने गए हैं।

रामपुर सीट पर मौजूदा विधायक तंजीम फात्मा आजम खान की पत्नी हैं। आजम खान फिलहाल सीतापुर जेल में बंद हैं। समाजवादी पार्टी ने उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया है। भाजपा ने यहाँ से उस शख्श को मैदान में उतारा है जिन्होने आज़म खान के खिलाफ अकेले 30 से ज्यादा FIR दर्ज कराये। भाजपा ने यहाँ 46 वर्षीय आकाश सक्सेना को मैदान में उतारा है।

कांग्रेस ने यहाँ से काज़‍िम अली खान तो बीएसपी ने सदाकत हुसैन को मैदान में उतारा है। जातीय समीकरण की बात करें तो रामपुर सीट पर सबसे ज्यादा मुस्लिम मतदाताओं की संख्या है जो लगभग 80 हजार के आस पास है। वैश्य यहाँ 35 हजार हैं। लोधी- 35 हजार, एससी- 15 हजार तो वहीँ यादव मतदाताओं की संख्या 10 हजार के आस पास है। इस सीट पर भाजपा जहाँ मतों के ध्रुवीकरण पर अपनी उम्मीद लगाए बैठी है तो वहीँ आज़म खान मुस्लिम वोटों के सहारे अपनी नैया पार कराने की कोशिश करेंगे।

स्वार विधान सभा

स्वार सीट रामपुर जिले की पांच विधानसभा सीटों में से एक है। 2017 में यहाँ से आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम विधायक चुने गए थे। बाद में उनके उम्र को लेकर विवाद पैदा हो गया। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कम उम्र में चुनाव लड़ने के आरोप में उनकी विधायकी रद्द कर दी। इसके कुछ समय बाद ही अब्दुल्ला आजम पर दर्ज मुकदमों के चलते उन्हें जेल जाना पड़ा। उन्हें लगभग 23 महीनों तक जेल में रहना पड़ा। वो बीते महीने की 15 तारीख को सीतापुर जेल से रिहा हुए हैं।

दिसंबर 2019 से यहां कोई विधायक नहीं है‌। अब्दुल्ला आजम एक बार फिर सपा के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। यही वह विधान सभा क्षेत्र हैं जहाँ से प्रदेश में भाजपा गठबंधन का एक एकमात्र मुस्लिम प्रत्याशी हैदर अली अपना दल (एस) के टिकट पर मैदान में है। रामपुर के नवाब परिवार के हैदर अली कांग्रेस नेता नवाब काजिम अली खान के बेटे हैं।

काजिम 2017 में बसपा के टिकट पर स्वार सीट से चुनाव लड़े थे। वहीँ काजिम इस बार रामपुर में कांग्रेस के टिकट पर आज़म खान के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। बहुजन समाज पार्टी ने इस सीट पर अध्यापक शंकर लाल सैनी को मैदान में उतारा है। आज़म खान की रामपुर के नवाब परिवार से पुरानी अदावत है और ऐसे में दोनों परिवार के युवा नेताओं की लड़ाई इस विधान सभा सीट को दिलचस्प बनाती है।

सम्भल विधान सभा

संभल सीट बीत कई सालों से समाजवादी पार्टी के लिए सबसे सुरक्षित सीट मानी जाती है। संभल जिला मुलायम सिंह यादव परिवार का गढ़ रहा है। खुद मुलायम सिंह यहाँ की लोक सभा सीट से दो बार सांसद रह चुके हैं। इस सीट पर सपा 1996 से काब‍िज है। 1996 से 2017 तक हुए 5 चुनावों में सपा के इकबाल महमूद यहाँ से जीत दर्ज कर रहे हैं।

2017 में इकबाल महमूद ने एआईएमआईएम के जिया-उर्रहमान को हराया था। यहाँ के जातीय समीकरण पर नजर डालें तो पायेंगे की यह विधान सभा मुस्लिम बाहुल्य है। हिन्दुओं में यादव और दलितों की संख्या सबसे ज्यादा है। संभल विधानसभा सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 3,05,901 है उसमे लगभग ढाई लाख मुस्लिम मतदाता हैं।

भाजपा ने इस बार यहाँ से 2017 के चुनाव में तीसरे स्थान पर रहे राजेश सिंघल को मैदान में उतारा है तो वहीँ कांंग्रेस ने संभल के प्रमुख स‍ियासी पर‍िवार से संबंध रखने वाली पत्रकार न‍िदा अहमद पर भरोषा जताया है। एआईएमआईएम प्रत्याशी मुशीर खां तरीन होंगे तो आप के टिकट पर काशिफ खान मैदान में हैं। भाजपा ने अभी तक केवल एक बार 1993 में यहाँ से जीत दर्ज की थी। मुस्लिम बाहुल्य इस सीट पर इस बार त्रिकोणीय मुकाबले की उम्मीद जतायी जा रही है।

शाहजहांपुर विधान सभा

शाहजहांपुर जिले में कुल 6 विधानसभा सीटें आती हैं। इनमे से पांच पर वर्तमान में भाजपा का कब्ज़ा है। सूबे के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना इसी जिले की शाहजहांपुर सीट से विधायक हैं। कहा जाता है की इस सीट पर खन्ना का सिक्का चलता है। वो यहाँ पर लगातार 32 सालों से विधायक हैं। सुरेश खन्ना यहां 8 बार चुनाव जीत चुके हैं।

1989 के बाद से इस सीट से कोई और प्रत्याशी जीत हासिल नहीं कर पाया है। भाजपा ने एक बार फिर अपने वित्त मंत्री सुरेश खन्ना पर ही भरोषा जताया है। वहीं सपा ने भी पिछले दो बार के प्रत्याशी तनवीर खां को मैदान में उतारा है। हाथी की सवारी सर्वेश चन्द्र धांधू मिश्रा करेंगे तो कांग्रेस ने पूनम पांडेय पर विश्वास जताया है।

खन्ना का यहाँ जलवा इस कदर है कि इस सीट पर जातीय समीकरणों का भी कोई खास असर नहीं दिखता है। इस विधानसभा सीट पर चार लाख से अधिक मतदाता हैं, जिसमें सर्वाधिक संख्या मुस्लिम मतदाताओं की है। इस सीट पर दल‍ित मतदाता भी न‍िर्णायक भूम‍ि‍का निभाते है।

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