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इस मुस्लिम परिवार ने पेश की गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल, गाय के दूध से किया इफ्तार
मुरादाबाद: जिले के मोहल्ला जाहिद नगर निवासी मेहंदी हसन ने मोहम्मद जान तुर्की की सलाह से गंगा-जमुनी तहजीब की एक नई मिसाल पेश की है। मेहंदी हसन अंसारी ने अपने परिवार के लोगों के साथ रमजान के पहले रोजे का इफ्तार गाय के दूध के साथ किया।
मेहंदी हसन बताया कि 'इस वक़्त जब हिन्दू-मुस्लिम बेवजह लड़ाई में फंसकर मुल्क को तनावग्रस्त कर रहे हैं।हमें उस सोच से निकलना चाहिए। इस तहजीब में आपस में सदभाव और भाईचारे की बात होती है। मैंने इस इफ्तार को मोहम्द जान तुर्की साहब की सलाह से किया। उन्होंने कहा था इस तरह की मिसाल से हिन्दू-मुस्लिम एकता को बल मिलेगा।' मेहंदी हसन ने बोले, 'हम हमेशा से गोहत्या के विरोधी हैं और रहेंगे।'
दूसरे धर्म का करें सम्मान
इस संबंध में जब मोहम्मद तुर्की जान से बात की गई तो उन्होंने बताया, कि 'बादशाह बहादुरशाह जफर और हुमायूं ने भी गाय की कुर्बानी पर रोक लगाईं थी। मेरा मकसद इस समय मुल्क में भाईचारे के संदेश को आगे बढ़ाना है। दूसरे धर्म का सम्मान करना एक सच्चे मुसलमान का फर्ज है।'
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सभी भाईचारा निभाएं
मोहम्मद तुर्की जान ने कहा, 'इस समय मुल्क में रमजान का महीना चल रहा है। हम सभी हिन्दू और मुस्लिम आपस में भाईचारे के साथ रहें। इससे देश में सदभाव बढ़ेगा। जो आपसी नफरत ही नहीं दिलों की दूरियां कम करने का काम करेगा।'
कुरान में गाय को 'शिफा' माना गया है
उन्होंने कहा, 'कुरान शरीफ में गाय को 'शिफा' माना गया है। साथ ही गाय के कत्ल को गुनाह। जब सभी इसी भाईचारे से रहना चाहते हैं तो दूरियां किस बात की। इस परिवार ने गाय के दूध से रोजा इफ्तार कर वास्तव में एक मिशाल पेश की है।'