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संघ ने UP में झोंकी ताकत, चुनाव तक लखनऊ बना बड़े पदाधिकारियों का गढ़
लखनऊः बिहार विधानसभा चुनाव परिणामों से सबक लेते हुए आरएसएस ने यूपी चुनाव में बढ़त के लिए अभी से अपनी पूरी ताकत लगा दी है। ऐसा पहली बार हो रहा है जब संघ के राष्ट्रीय स्तर के बड़े पदाधिकारी यूपी में कई दिनों तक प्रवास कर रहे हैं। अब इसे संयोग कहें अथवा सुनियोजित प्लानिंग पर रविवार को संघ प्रमुख मोहन भागवत के लखनऊ पहुंचने और दो दिनी प्रवास ने राज्य के अन्य सियासी दलों की भी बेचैनी बढ़ा दी है। इसे यूपी चुनाव की तैयारियों से जोड़ कर देखा जा रहा है।
हसबोले चुनाव तक लखनऊ को मुख्यालय बना कर रहेंगे
बीते दिनों भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में संघ से भाजपा संगठन में आए पदाधिकारियों को भी बुलाया गया था। वहां इन्हें अलग—अलग प्रदेशों में भेजे जाने का निर्णय लिया गया। बताया जा रहा है कि इसी बैठक में तय हुआ कि संघ में नंबर तीन की हैसियत रखने वाले दत्तात्रेय हसबोले लखनऊ को मुख्यालय बना कर रहेंगे।
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अमित शाह यूपी के एक-एक मामले का खुद रख रहें ख्याल
इसके अलावा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह खुद यूपी से जुड़े मामलों पर नजर रखेंगे। जबकि ओम माथुर और सुनील बंसल को पहले से ही यूपी का प्रभार दिया गया है। भाजपा में संघ के प्रभारी कृष्ण गोपाल भी यूपी में भूमिका तय की गयी है। जानकारों का कहना है कि ऐसा इसलिए किया गया है ताकि संगठन चौबीसो घंटे चुनाव तैयारियों में खपा रहे।
भाजपा यूपी को लेकर इसलिए है आत्मविश्वास में
दरअसल भाजपा यूपी को लेकर कुछ ज्यादा ही आत्मविश्वास में है। वह इसलिए क्योंकि मुजफ्फरनगर दंगों के बाद पश्चिमी यूपी में वोटों का ध्रुवीकरण हुआ है। संघ और भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि इससे यूपी में भाजपा बनाम सपा या बसपा के बीच लड़ाई होगी। वहीं पूर्वी यूपी में बसपा और भाजपा के बीच मुकाबला तय माना जा रहा है। तर्क दिया जा रहा है कि पूर्वी यूपी की जमीन हिंदुत्व के लिए काफी उर्वरा है।
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यह भी है कारण
यूपी से उपजे राम मंदिर आंदोलन ने एक समय भाजपा के लिए केंद्र की राह आसान की थी। मौजूदा समय में भी विपक्षी दल, मोदी सरकार पर हिंदुत्व के एजेंडे को लेकर हमलावर हैं। राज्य में चुनाव नजदीक है। भगवा एजेंडे के लिए यूपी की सियासी जमीन काफी उर्वरा है। इसको देखते हुए संघ—भाजपा को यूपी में काफी संभावनाएं दिख रही हैं।
भारत मां की जय नारे से उपजे विवाद ने संघ को दी मजबूती
इसके अलावा भारत मां की जय नारे से उपजे विवाद ने भी संघ को मजबूती दी है। संघ के पदाधिकारी इसी विवाद का हवाला देते हुए जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं को एकजुट करने में जुटे हुए हैं। इसके उनको सकारात्मक परिणाम भी मिल रहे हैं।
बिहार चुनाव की गल्तियों को न दोहराने की नसीहत
बिहार चुनाव में संघ प्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण पर दिए गए बयान के बाद भाजपा की काफी छीछालेदार हुई थी। इसी को देखते हुए अब संघ—भाजपा के पदाधिकारियों को सोच समझ कर बयान देने की नसीहत दी गयी हैं और इस पर नजर रखी जा रही है कि बिहार चुनाव की गल्तियां यूपी में न दोहराई जाएं।