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अपने किये वादों पर खरे नहीं उतर रहे सीएम योगी, RTI में हुआ खुलासा
लखनऊ: यूपी की आम जनता को उसकी परेशानियों से निजात दिलाने की बात कहकर योगी से राजा बने आदित्यनाथ भी सत्तानशीन होने के बाद पहले के मुख्यमंत्रियों की मानिंद अपने वादे पूरे नहीं कर पा रहे हैं, और सरकार बदलने पर नई सरकार द्वारा बड़ी-बड़ी बातें कर जनता को नई उम्मीदें बंधाने पर उन उम्मीदों पर खरा न उतरने की पुरानी परिपाटी का अनुसरण करते नज़र आ रहे हैं। यह बात योगी के जनता दरबार और मुख्यमंत्री के जनसुनवाई पोर्टल पर दर्ज शिकायतों के संदर्भ में उठाई गई है, और यह बात उठाई गई है यूपी की राजधानी लखनऊ में रहने वाले इंजीनियर और आरटीआई एक्टिविस्ट संजय शर्मा द्वारा मुख्यमंत्री कार्यालय में दायर की गई आरटीआई पर दिए गए जवाब के आधार पर।
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दरअसल मानवाधिकार के क्षेत्र में कार्य करने वाले समाजसेवी संजय शर्मा ने बीते मई महीने में मुख्यमंत्री कार्यालय में एक एक आरटीआई अर्जी देकर जनता दरबारों के संबंध में 6 बिंदुओं पर सूचना मांगी थी। संजय की आरटीआई पर मुख्यमंत्री कार्यालय के अनुभाग अधिकारी और जनसूचना अधिकारी सुनील कुमार मंडल ने बीते 10 जुलाई को पत्र भेजकर जो सूचना दी है उससे सीएम योगी की जनता दरबार और जनसुनवाई जैसी महत्वाकांक्षी योजनाओं पर शासन की असंवेदनशीलता और गैर जिम्मेवाराना रवैये को उजागर करके रख दिया है।
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मंडल ने संजय को बताया है कि मुख्यमंत्री कार्यालय में विभिन्न माध्यमों से प्राप्त प्रत्यावेदन आईजीआरएस प्रणाली के अंतर्गत अपलोड किये जाते है, और इनका अलग से कोई डाटा उपलब्ध नहीं होने के कारण जनता दरबारों में प्राप्त शिकायतों और इन शिकायतों में से निस्तारित शिकायतों की सूचना देने में असमर्थता व्यक्त कर दी है।
जनता दरबारों में प्राप्त शिकायतों के आधार पर किसी भी अधिकारी को दंडित न किये जाने और जनता दरबारों पर राजकोष से व्यय की गई धनराशि की जानकारी न होने का चौंकाने वाला खुलासा भी मंडल के इस जवाब से हुआ है।
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एक्टिविस्ट संजय ने इस आरटीआई खुलासे के आधार पर सीएम योगी के जनता दरबारों और आईजीआरएस के नाम पर चल रहे ऑनलाइन जनसुनवाई पोर्टल को जनता के साथ किया जा रहा छलावा बताया है और सीएम योगी को पत्र लिखकर जनता दरबारों और आईजीआरएस जनसुनवाई पोर्टल की शिकायतों के अनुश्रवण और दोषी लोकसेवकों को दंडित करने की मुकम्मल व्यवस्था करने और उसे लगातार बनाये रखने की मांग उठाने की बात कही है।
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पीआईएल एक्टिविस्ट संजय ने बताया कि यदि सीएम जनहित के इस मुद्दे पर गंभीरता पूर्वक कार्य करने में विफल रहते है, तो वे इस मामले को जनहित याचिका के माध्यम से उच्च न्यायालय लेकर जाएंगे।