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Keep Calm ! कुछ नहीं सिर्फ सामूहिक हिस्टीरिया है ‘चोटी कटवा’
देश के कई हिस्सों में महिलाओं की चोटी काटे जाने की ढेरों घटनाएं सामने आ चुकी हैं और इनका सिलसिला अभी खत्म नहीं हुआ है।
लखनऊ : देश के कई हिस्सों में महिलाओं की चोटी काटे जाने की ढेरों घटनाएं सामने आ चुकी हैं और इनका सिलसिला अभी खत्म नहीं हुआ है। जिन महिलाओं की चोटी कटी है उनमें लगभग सभी का कथानक एक जैसा है। जैसे कि रात में अचानक महसूस हुआ कि कोई उनका गला दबा रहा है, फिर वे अचेत हो गईं। बाद में लोगों ने देखा कि बिस्तर पर उनके बाल कटे पड़े थे। वैसे यह जितने मुंह उतनी बातों वाला मामला है। कोई इसे ओझाओं-तांत्रिकों की करतूत बता रहा है तो कोई अदृश्य शक्तियों का प्रकोप। आगरा में तो एक बूढ़ी महिला को चोटी काटने वाली डायन बताकर मार डाला गया। भयभीत लोग ‘चोटीकटवा’ से बचने के लिए अपने-अपने घरों के दरवाजों पर हल्दी और मेहंदी के छापे बना रहे हैं या नीम की डंठल लगा रहे हैं। भारत में इस तरह का सामूहिक हिस्टीरिया कोई नयी बात नहीं है। चोटीकटवा से पहले पिछले साल नमक खत्म होने का सामूहिक हिस्टीरिया फैला था। उससे कुछ साल पहले ‘रात में सोने वाला पत्थर का हो जायेगा’ की लहर आयी थी। 2006 में मुम्बई में अफवाह फैल गयी थी कि समुद्र का पानी अचानक मीठा हो गया है। उससे पहले 2001 में ‘मुंहनोचवा’ या ‘मंकीमैन’ का ‘प्रकोप’ फैला था। सैकड़ों लोग दावा करने लगे थे कि मुंहनोचवा ने उन पर हमला किया। 21 सितंबर 1995 की सुबह गणेश मूॢतयों के दूध पीने का मामला भी लोग भूले नहीं हैं। सच्चाई यह है कि खासतौर पर मीडिया में फिजूल की चर्चा बंद होते ही मुंहनोचवा जैसी अफवाहें अपने आप ही शांत हो गयीं और यही हश्र चोटीकटवा का भी होना है।
कुछ नहीं सिर्फ सामूहिक हिस्टीरिया है ‘चोटीकटवा’
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलीफोर्निया के प्रोफेसर गैरी स्मॉल ने अपनी एक पुस्तक में लिखा है कि जितना हम सोचते हैं उससे कहीं ज्यादा रहस्यमय बीमारियां हमारे चारों ओर फैलती हैं। अधिकांश मामलों में शारीरिक कारण खोज निकाला जाता है,लेकिन कुछ मामलों में ऐसी बीमारियों का कारण मानसिक तनाव, चिंता या घबराहट भी होता है। जब बड़े समूह में रहस्यमय बीमारी या ऐसी घटनाएं घटने लगती हैं जिनका स्पष्ट कारण कहीं नजर नहीं आता तो उसे ‘सामूहिक हिस्टीरिया’ की संज्ञा दी जाती है।
हिस्टीरिया के महामारी के रूप में फैलने की घटनाएं प्राचीन काल से दर्ज की गयीं हैं। यह देखा गया है कि ज्यादातर ऐसी महामारी बच्चों, लड़कियों और युवा महिलाओं में ही ज्यादा फैलती है। बेहोशी और तेज सांस चलना इस महामारी के सबसे कॉमन लक्षण होते हैं। कभी कभार लक्षण कई दिन तक मौजूद रहते हैं। पीडि़त लोग अपने साथ जो हुआ है उसके अजीबोगरीब कारण भी बताते हैं।
चोटी काटने पर गिनाते हैं ये कारण
-रात को लाल रंग की बिल्ली दिखी, बाल कट गये
-कोई औरत आई और बेहोश करके बाल काट गयी
-एक परछाईं दिखी और कट गए बाल
-बिजली जैसी चमकी, फिर बाल कटने का पता चला
-बिल्ली देखते ही बेहोशी छा गयी और चोटी कट गई
-बंदर जैसा जानवर देख बेहोशी छा गयी, फिर कट गई चोटी
मामले विदेशों के
जहरीली गैस : 1930 के दशक में अमेरिका के वर्जीनिया और इलिनॉय राज्यों में कुछ जगहों पर लोगों में यह वहम बैठ गया कि जिन घरों में लड़कियां हैं उन घरों के बाहर कोई व्यक्ति जहरीली गैस का स्प्रे करके उन्हें बेहोश कर रहा है। इससे लड़कियों के बेहोश होने की घटनाएं होनी लगीं। पीडि़त लड़किया बताती थीं कि उन्हें अजीब गंध महसूस हुई जिसके बाद वे बेहोश हो गयीं। हमलावर का आकार-प्रकार भी सब अलग अलग बतातीं थीं। पुलिस और खुफिया एजेंसियों की पड़ताल के बाद भी कोई सबूत नहीं मिला और न कोई पकड़ा गया।
‘कोरो’ सिन्ड्रोम : यह हिस्टीरिया तो ऐसा है कि बाकायदा इसे एक नाम-‘कोरो’ दे दिया गया है। मेडिकल पाठ्यक्रमों में इसके बारे में पढ़ाया भी जाता है। इसमें इनसान को लगता है कि उसका गुप्तांग सिकुडक़र शरीर के अंदर धंसता जा रहा है और जल्दी ही गायब हो जायेगा और पीडि़त की मौत हो जायेगी। यह ‘बीमारी’ दुनिया भर में समय-समय पर फैली है। 1967 में सिंगापुर, 1976 में थाईलैंड, 1982 में भारत (असम व अरुणाचल प्रदेश), 2010 में कोच्चि (केरल), 1997 में घाना, नाईजीरिया, 2003 में सूडान आदि में इसके मामले सामने आए। खास बात यह थी कि हमेशा यह वहम गरीब तबके के पुरुषों में ही फैला है।
अंतरिक्ष की किरणें : 50 के दशक में वाशिंगटन, अमेरिका में अफवाह फैल गयी कि पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र में बदलाव हो गया है, या एलियन आ गये हैं जिस कारण कारों में अपने आप गड्ढे हो रहे हैं।
डांस प्लेग : जर्मनी, स्विटजरलैंड, फ्रांस में 1518 और उसके पहले भी कई बार ‘डांस प्लेग’ फैला। अकेले या समूह में लोग जहां कहीं भी बिना कारण नाचने-कूदने लगते थे। ऐसे भी मामले हुए जहां नाचते-नाचते थक और डिहाइड्रेशन के कारण मौतें तक हो गयीं।
शारीरिक लक्षण
वहम के शिकार लोगों में बेहोशी या अन्य शारीरिक लक्षण क्यों दिखायी देते हैं इस पर मनो शरीर विज्ञानियों ने तर्क किये हैं कि जब लोग घबरा जाते हैं या बहुत उत्तेजित हो जाते हैं तो उनके शरीर से बहुत ज्यादा कार्बन डाई ऑक्साइड बाहर निकल जाता है। शरीर में कार्बन डाई ऑक्साइड का लेवल घट जाने से कुछ लोगों की मांसपेशियां एंठने लगती हैं और पीडि़त व्यक्ति में हाथ-पैर सुन्न होने, झुनझुनी और फडक़ने के लक्षण आ जाते हैं।
महिलाओं में ज्यादा वहम
ब्रिटिश मनोविज्ञानी जॉन वालर ने अपनी पुस्तक ‘टाइम टू डांस, ए टाइम टू डाई’ में लिखा है कि ‘रहस्यमय महामारियां’ महिलाओं और कम उम्र की लड़कियों में ही ज्यादा फैलने का एक कारण पुरुष प्रभुत्व वाले समाज व परिवार में रहने की वजह उनमेंं घर कर गयी निराशा है। कुछ विशेषज्ञों का तो यह भी मानना है कि सामूहिक हिस्टीरिया से औरतों को रोजमर्रा की दुश्वारी भरी जिंदगी और कष्टïों से कुछ समय के लिये बाहर निकलने का अवसर मिला है। इसके अलावा समाज में आत्मा, शैतान, बलि, टोना-टोटका की बातें भी सामूहिक हिस्टीरिया फैलाने में खूब मददगार साबित होती हैं।
खुद को चोट पहुंचाने के बाद भी नहीं रहता एहसास
सामूहिक हिस्टीरया में पीडि़त अपने शरीर को खुद ही चोट पहुंचाता है,लेकिन उसे याद ही नहीं रहता कि उसने ऐसा किया है। ‘चोटीकटवा’ का ही उदाहरण लें तो पाएंगे कि सभी घटनाओं भी चोटी तभी कटी जब पीडि़त अकेले थीं यानी किसी ने चोटी कटते देखा नहीं। आसपास लोग मौजूद भी थे, लेकिन सो रहे थे या देख नहीं पाए।
खास वर्ग के लोग ही हो रहे शिकार
मुंहनोचवा की तरह चोटीकटवा के शिकार भी गांव-कस्बे और गरीब और निम्र मध्यम वर्ग के लोग खासकर लड़कियां और महिलाएं हुई हैं। खास बात यह भी है कि जब चोटी कटी तो ‘शिकार’ या तो अकेला था या आसपास के लोग सोए हुये थे। सभी के बाल बड़े करीने से काटे पाए गए हैं। सभी में वही शारीरिक लक्षण पाए गए जो सामूहिक हिस्टीरिया में स्पष्टï रूप से पाए जाते हैं। जैसे कि बेहोशी, दम घुटना, सांस तेज चलना, शरीर गर्म हो जाना आदि।
राजस्थान से शुरू हुई अफवाह
चोटीकटवा की अफवाह राजस्थान के गांवों से शुरू हुई और हरियाणा, बिहार, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और दिल्ली आदि में फैलती गई। मजे की बात है कि अफवाह जहां शुरू हुई वहां धीरे-धीरे मामला शांत हो गया जबकि नयी जगह पर चोटियां कटने लगीं। उत्तर प्रदेश में इस अफवाह की शुरुआत राजस्थान और दिल्ली से सटे पश्चिमी उत्तर प्रदेश से हुई और धीरे-धीरे अन्य जिलों में फैली। अफवाह के आगे बढऩे के साथ पुरुषों की दाढ़ी, साधु की जटा और युवक की लंबी जुल्फ भी कट गयी।
बालों की फोरेंसिक जांच
चोटीकटवा मामले में फोरेंसिक साइंस की मदद ली जायेगी। उत्तर प्रदेश के फोरेंसिक विशेषज्ञों के मुताबिक जांच के दौरान माइक्रोस्कोप से बालों का पैटर्न देखा जाएगा। इससे यह पता चल पाएगा कि बाल सीधे काटे गए या तिरछे। अगर सीधे काटे गए हैं तो कैंची का इस्तेमाल किया गया होगा। अगर आड़े-तिरछे कटे हैं तो साफ है कि बाल धीरे-धीरे काटे गए हैं। बाल के नमूने से महिला के बालों को मैच कराके देखा जाएगा। इससे यह स्पष्ट हो जाएगा कि बाल उसी महिला के हैं या किसी और के।
तरह-तरह के मामले
गोरखपुर मंडल में रोज कट रही चोटीचोटीकटवा का आतंक गोरखपुर-बस्ती मंडल के सातों जिलों में सिर चढक़र बोल रहा है। मंडल में दर्ज किये गए दर्जन भर मामलों में काफी समानता हैं। कमोबेश सभी छात्राएं हैं और सभी गरीब परिवारों से हैं। सभी अंधविश्वास के चक्कर में ओझा-मौलवी के झांसे में फंसी हैं। दरअसल, पूर्वांचल में अशिक्षा के कारण फैले अंधविवास की जड़ें काफी गहरी हैं। घोकरकोसवा, छहफुटवा, खूनचुसवा, मुंहनोचवा जैसे अंधविश्वास के राक्षस समय-समय पर पैदा होते रहते हैं। दोनों मंडलों में हर दो-तीन गांवों में चर्चित ओझाओं की दुकान खूब चमक रही है। गरीब और अशिक्षित लोग इनके झांसे में आसानी से फंस जाते हैं। एसएसपी गोरखपुर सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज का कहना है कि अधिकांश मामले अफवाह के हैं। वहीं वरिष्ठ अधिवक्ता बृजबिहारी लाल श्रीवास्तव का कहना है कि अंधविश्वास के मामलों में धारा 505 के तहत तीन साल की सजा का प्रावधान है। पुलिस कड़ाई करे तो चोटीकटवा गायब हो जाएंगे।
ताजा मामला कैम्पियरगंज में रहने वाली सपना 9वीं की छात्रा है। सोते वक्त उसकी चोटी कटने की सूचना आग की तरह फैली। पुलिस की जांच के बाद खुलासा हुआ कि क्षेत्र के एक ओझा के कहने पर सपना की चोटी परिवार वालों ने ही काट ली थी। खेती-किसानी कर गुजारा करने वाले परिवार ने बार-बार बेहोश हो रही बेटी के इलाज के तौर पर उसके बाल काट डाले थे। पुलिस ने ओझा चन्द्रभान के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उसे जेल भेज दिया है। बस्ती के दुबौलिया की रहने वाली 17 वर्षीय रीता और महराजगंज के पुरंदरपुर निवासी 12 वर्षीय छात्रा की चोटी भी सोते वक्त कट गई। रीता का कहना है कि सोते वक्त महसूस हुआ कि कोई बाल खींच रहा है। नींद खुली तो चोटी कटी हुई थी। दोनों परिवार काफी गरीब हैं। कुशीनगर में किसान कादिर अंसारी की 8 वीं में पढऩे वाली बेटी काजल की चोटी भी बरामदे में सोते वक्त कट गई। पुलिस की जांच में बाद में पता चला कि काजल के पिता ने झाडफ़ूंक के फेर में बेटी की चोटी कटवा दी थी। बाद में चोटी कटने की अफवाह फैला दी।
--पूर्णिमा श्रीवास्तव
रायबरेली में नौ के कटे बाल
रायबरेली : जिले में महिलाओं व बच्चियों की चोटी काटने का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है। अब तो ऐसे वाकये शहर तक आ पहुंचे हैं। अब तक रायबरेली जिले के अलग अलग गांवों में 8 महिलाओं-किशोरियों व एक आदमी के बाल कट चुके हैं। ताजा मामला शहर के अली नगर का है जहां एक मुस्लिम किशोरी के बाल कट गये। यह किशोरी अक्शा घर में सोई थी। सुबह उठने पर उसकी चोटी के आधे बाल तकिया के नीचे मिले। परिवार के लोग मौलवी के पास गए औए उनकी सलाह पर कटे हुए बाल को नदी में प्रवाहित कर दिया। इसके पहले ऊंचाहार के पूरे गुलाम हुसैन मजरे में कक्षा 9 की छात्रा कंचन के बाल सोते समय कट गये। परिवार वालों ने उसे बिस्तर पर बेहोश पड़ा पाया। उसे अस्पताल में भर्ती करवाया गया। घरवालों का कहना है कि दो दिन बाद तक कंचन को दवा से फायदा नहीं मिला तो वे उसे पास के गांव में झाड़ फूंक के लिये ले गये। वहां उसका सिर का दर्द खत्म हो गया और वह अपने घर वापस आ गयी। इस घटना के दूसरे दिन डीह थाना क्षेत्र के निगोही गांव में एक महिला प्रेमा देवी और एक युवती ममता के भी बाल कट गये। इसी दिन भदोखर थाना क्षेत्र के कांटीहार गांव में खेत में काम कर रही महिला के भी बाल कट गए।
-- नरेन्द्र सिंह
आगरा में की जा रही चोटियों की रखवाली
आगरा : आगरा से 45 किलोमीटर दूर अछनेरा के गांव मांगरोल जाट में एक किसान परिवार की महिला 42 वर्षीय मिथिलेश की चोटी कट गई जिसके बाद आलम यह है कि महिलाएं-युवतियां अपनी चोटी की रखवाली कर रही हैं। हर एक घंटे पर चोटी पर हाथ फेरकर चोटी का हाल देखा जा रहा है। गांव में अफवाहों का बाजार गरम है। मिथलेश बताती है कि वह बेहोश हो गई थी और जब होश में आई तो उसकी चोटी गायब थी। मिथिलेश के अनुसार उसे एक परछाई लगती है जो उसका पीछा कर रही है। गांव की महिलाएं कहती हैं कि जब मिथिलेश की चोटी गायब हो सकती है तो हमारी चोटी क्यों नहीं गायब हो सकती। गांव की महिलाएं और युवतियां शाम 6 बजे ही अपने घरों में कैद हो जाती हैं। लड़कियों ने स्कूल तक जाना छोड़ दिया है। गांव में मान्यता है कि हल्दी और गोबर के थापे घर के बाहर लगाने से चुड़ैल उनके घर में प्रवेश नहीं करेगी और न ही चोटी गायब होगी। मिथिलेश की बेटी मोहिनी व अन्य बच्चे भी बीमार पड़ गए हैं। सबको हमेशा भूत चुड़ैल और प्रेत का साया नजर आ रहा है। इसके बाद से ४१ और मामले आगरा जिले में आए हैं। घटनाओं के पीछे अंधविश्वास तेजी से काम कर रहा है क्योंकि आज तक किसी ने चोटी काटने वाले को देखा नहीं है और ये सभी घटनाएं रात की हैं। ऐसे में प्रशासन की सुस्ती इस पूरे मामले को बिगाड़ रही है।
-- मानवेन्द्र मल्होत्रा
चोटी बचाने के लिए तरह-तरह के टोटके
मेरठ : मेरठ समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चोटी कटने की घटनाएं प्रदेश के दूसरे इलाकों से अधिक होने के कारण इस क्षेत्र की महिलाओं, युवतियों और बच्चों में दहशत कुछ अधिक ही दिख रही है। खौफ का आलम यह है कि चोटी को कटने से बचाने के लिए महिलाएं हेलमेट तक लगाकर सोने लगी हैं। यही नहीं लोग तरह-तरह के टोटके भी करने लगे हैं। कहीं लोग घरों के बाहर नीम की टहनियां और नीबू-मिर्ची की माला टांग रहे हैं तो कहीं महिलाएं पैरों पर लाल रंग लगा रही हैं तो कहीं महिलाएं चोटी चोर से बचने के लिए भगवान की तस्वीर लगा रही हैं। चोटी कटवा की करतूतों से पुलिस भी परेशान है। काफी माथापच्ची के बाद भी पुलिस इन घटनाओं का रहस्य सुलझाने में नाकाम रही है। दूसरी तरफ अब पुरुष और जानवर भी इस तरह की घटनाओं का शिकार होने लगे हैं। जैसे कि मुरादाबाद में जोगिन्दर सिंह नामक सिख ने अपनी दाढ़ी काटे जाने की शिकायत की है। इसी तरह अलीगढ़ में इगलास क्षेत्र के गांव बासवली में 65 वर्षीय रामहेत की रात को सोते समय किसी ने दाढ़ी काट ली। वहीं पड़ोस के मुजफ्फरनगर के विज्ञाना गांव में एक ग्रामीण की भैंस की पूंछ काट ली गई।
किसी ने मुकदमा नहीं दर्ज कराया
मेरठ जोन के एडीजी प्रशांत कुमार का कहना है कि ये सिर्फ अफवाह है और कुछ नहीं। उनका कहना है कि चोटी काटने की कथित घटनाओं के पीछे किसी संगठित गिरोह का हाथ नहीं है। मेरठ की एसएसपी मंजिल सैनी का कहना है कि मेरठ में 5-6 महिलाओं की चोटी कटने की जानकारी उन्हें अब तक मिल चुकी है। हालांकि पुलिस में अभी तक किसी ने कोई मुकदमा दर्ज नहीं कराया है। उन्होंने कहा कि ये विचित्र घटनाएं हैं मगर अभी तक कोई भी महिला या उसके घर का सदस्य कथित हमलावर को साफ-साफ नहीं देख सका है। महिलाएं बस कोई साया दिखने की बात कहती हैं। एसएसपी के अनुसार पुलिस को वारदात की जगह पर कोई सुराग नहीं मिल रहे हैं। सैनी के मुताबिक हमने जिले की पुलिस को सूचना मिलते ही महिला पुलिसकर्मियों के साथ मौके पर पहुंचने के निर्देश दे रखे हैं। सैनी ने कहा कि हम इन मामलों की तह तक जाएंगे।
महिलाएं बोलीं-साये ने काट लिए बाल
शहर के थाना नौचंदी क्षेत्र के ढबाई नगर गली नंबर 13 निवासी वहीदुद्दीन की पत्नी नौशादा (45) ने कहा कि दोपहर अपने घर पर आराम कर रही थी। तभी उसे आसपास साया होने का अहसास हुआ। तभी उसने देखा तो उसकी चोटी कटी हुई थी। नौशादा ने घटना के बाद सिर दर्द व चक्कर आने की भी शिकायत की। 6 अगस्त को हुई घटना के बाद वे डरी हुई हैं। उन्होंने कहा कि न तो मैं सो पा रही हूं और न किसी काम में मेरा मन लग रहा है। मैंने सुना था कि इस तरह की घटनाएं कई जगह हो रही हैं, लेकिन कभी सोचा नहीं था कि इसका शिकार मुझे भी होना पड़ेगा। मध्यम परिवार से ताल्लुक रखने वाली नौशादा का परिवार पावरलूम के काम में लगा है जबकि नौशादा घरेलू महिला है। नौशादा खुद को चौथी तक पढ़ी हुई बताती हैं। नौशादा बताती हैं कि घटना के बाद आई पुलिस पूछताछ करके चली गयी।
यहंा से कुछ ही दूरी पर एक और महिला शमीम (50) पत्नी असलूफ ने भी इसी तरह के हमले में अपने बाल खो दिए। शमीम की चोटी रात को सोते समय कटी। 8 अगस्त को हुए इस हमले के बाद शमीम भी बेहद दहशत में है। घटना के बारे में बताते-बताते रोने लगती हैं। हमलावर के बारे में पूछने पर कहती हैं कि मैं तो सो रही थी। सोते में एक साया देखा। उठी तो सिर से आधी चोटी कटकर नीचे पड़ी थी। शमीम का पति मजदूरी करता है। लिसाड़ी गेट के अहमद नगर की गली नम्बर 20 में मजदूरी कर घर का गुजारा करने वाले जावेद की बेटी समरीन (10) भी चोटी कटवा का शिकार हुई हैं। समरीन दूसरी पास है। समरीन के परिजनों ने बताया कि समरीन सुबह घर पर चारपाई पर बैठी थी। अचानक उसे कोई परछाई दिखी जिसके बाद वह बेहोश हो गई। हम जब पहुंचे तो जमीन पर उसके कुछ बाल कटे हुए पड़े थे। तबियत ठीक होने पर परिजनों ने बच्ची को गंजा करा दिया।
काले कपड़े पहने हुआ था हमलावर
शहर से सटी कांशीराम कालोनी में इसरार की पत्नी मुमताज (48) की चोटी कट गई, लेकिन इस बार हमलावर काले कपड़े पहने एक लंबे कद का आदमी था जो भागते-भागते धमकी भी दे गया। हालांकि मुमताज को उसका चेहरा याद नहीं है। बकौल मुमताज चोटी काटने के बाद हमलावर उसे और उसकी बेटी रिहाना को धमकी देकर भाग गया। ग्रामीण इलाकों में भी चोटी कटने की घटनाएं एक के बाद एक हो रही हैं। सरधना के मोहल्ला तकियाकैत निवासी खालिद की बेटी गुलनशां भी इसी तरह के हमले में अपने बाल खो चुकी हैं। आठ अगस्त को उन पर हुए हमले के बाद से गुलनशां का पूरा परिवार डरा हुआ है। गुलनशां के पिता खालिद कहते हैं कि इस घटना के बाद उन्होंने अपनी बेटी और घर की अन्य महिलाओं को खतौली रिश्तेदारी में भेज दिया है।
घटनाओं के पीछे तांत्रिक व ओझा
मवाना के किसान चन्दरवीर से बात हुई तो उसने इन मामलों के पीछे तांत्रिक या तथाकथित ओझा को बताया है क्योंकि इस तरह के मामलों में लोग उनके पास इलाज के लिए पहुंचते हैं। सरधना के दबथुवा गांव निवासी मुन्नी देवी ने जोर देकर कहा कि इसके पीछे अलौकिक ताकतों का हाथ है। कुछ लोगों ने तो इन घटनाओं की शिकायत करने वाली महिलाओं को मानसिक बीमारी से त्रस्त बताया। वे घटना की शिकार महिलाओं के मेडिकल टेस्ट कराने की बात कहते हैं। हालांकि एसएसपी मंजिल सैनी का कहना है कि मेडिकल टेस्ट पीडि़त महिला के परिजनों की इच्छा पर ही निर्भर है।
-- सुशील कुमार
शाहजहांपुर: चार की कटी चोटी
शाहजहंापुर : जलालाबाद थाना क्षेत्र में तीन महिलाओं और एक युवती ने चोटी कटने का दावा किया है। मोहल्ला सुभाष नगर के नन्हे पाल की पत्नी 40 वर्षीय नन्ही की चोटी कट गयी। पति नन्हे पाल ने बताया कि जब वह रिक्शा चलाकर अपने घर खाना खाने आया तो उसकी पत्नी खाना बना रही थी। जब वह हाथ-मुंह धोकर खाने के लिए बैठा तो उसकी पत्नी अचानक चीख पड़ी और जमीन पर गिर गई। चीख सुनते ही वह पत्नी के पास पहुंचा तो उसकी सिर के आधे बाल जमीन पर गिरे हुए थे। उसने अपनी पत्नी को सीएचसी में भर्ती कराया जहंा उसका इलाज किया जा रहा है। हालांकि महिला को होश आ गया है मगर उसका बीपी लो है। नन्हे पाल ने बताया कि उसका अपना घर भी नहीं है। उसके दो छोटे-छोटे बच्चे हैं और अपनी पत्नी के साथ वह किराए के मकान में रहता है।
महिला नन्ही का कहना है कि उसे कोई बीमारी नहीं है। इससे पहले कभी भी उसका बीपी न तो लो हुआ और न ही हाई। जब वह खाना बना रही थी तब उसने अपने कमरे की तरफ देखा तो वहंा पर एक बिल्ली टहल रही थी। उसके बाद जैसे ही उसने नजर हटाई तो उसने पीछे मुडक़र देखा तो उसकी चोटी कटकर जमीन पर गिरी हुई थी। उसके बाद उसके सिर मे तेज दर्द हुआ ओर वह बेहोश हो गई। पति-पत्नी दोनों ही अशिक्षित है।
गांवों में अफवाह ज्यादा तेज
ऐसी घटनाओं की अफवाह शहर की अपेक्षा गांवों में तेजी से फैल रही हैं। ऐसे में प्रधानों की लोगों को जागरूक करने की जिम्मेदारी बनती हैं मगर वे भी सही भूमिका नहीं निभा रहे। थाना जैतीपुर के कुलुआबोझ गांव मे एक 25 वर्षीय महिला रोशनी की चोटी कटने की घटना हुई। जब इस बाबत ग्राम प्रधान जितेंद्र से बात की गयी तो उनका कहना था कि यह घटना सौ फीसदी सच्ची है। उनका कहना था कि वह उसे महिला के घर होकर आए हैं। उस महिला के बाल कटकर जमीन पर गिरे हैं। उसके बालों को किसी ने काटा नहीं है।
शाहजहंापुर जिले में करीब एक दर्जन महिलाओं और युवतियों ने अपनी चोटी कटने का दावा किया है। खास बात यह है कि दावा करने वाली सभी महिलाएं गांवों या कस्बों की रहने वाली हैं। जिन महिलाओं और युवतियों के बाल कटे हैं उनमे से कोई भी शिक्षित नहीं है। एक महिला की जब चोटी कटी तो वह डाक्टर के पास न जाकर सीधे बाबा की शरण में चली गई। उसका कहना था कि चोटी काटने वाली घटनाएं भूत प्रेत कर रहे हैं। लोगों को जागरूक करने के लिए अभी तक कोई भी संस्था, संगठन या कोई व्यक्ति सामने नहीं आया है। वहीं एसपी केबी सिंह ने इसे अफवाह बताते हुए इस पर ध्यान न देने की बात कही है। उन्होंने अफवाह उड़ाने वालों को रिपोर्ट दर्ज कर जेल भेजने की चेतावनी दी है।
मैनपुरी: किशोरी की चोटी कटने से दहशत
मैनपुरी : मैनपुरी के थाना भोगांव के जैतूलपुर गांव के लोग खौफ और दहशत के साये में हैं। गांव 15 वर्षीय खुशबू की चोटी कटने की घटना हुई है। खुशबू के मुताबिक वह अपनी दादी के साथ सो रही थी। तभी अचानक उसकी नींद टूटी। फिर यह सोचकर सो गयी कि उसने कोई सपना देखा है मगर जब वह सुबह उठी तो यह देखकर परेशान हो गयी कि उसकी छोटी कट गई है और बाल उसी चारपाई पर कटे रखे हैं। बचपन में ही खुशबू की मां का निधन हो चुका है। बिन मां की बच्ची के बाल कटने की बात सुन पूरा परिवार दहशत में है। यह बात पूरे गांव में फैल गई है। लोग रात-रात भर जागकर पहरा दे रहे हैं।
आजमगढ़: युवक काट ले गया चोटी
आजमगढ़ : जिले में एक विवाहिता की चोटी काट ली गयी। उपचार के लिए उसे एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहंा वह छटपटा रही है तथा बार-बार बेहोश हो जा रही है। यह घटना मंगलवार को दोपहर दो बजे मेहनगर कस्बा स्थित पशु अस्पताल परिसर में बने कर्मचारी आवास में घटी। पीडि़त महिला का नाम ज्ञानमती पाल है। वह मेहनगर थाना क्षेत्र के ही गहुनी गांव के शोभनाथ की पत्नी है। शोभनाथ मेहनगर कस्बा स्थित पशु अस्पताल में चपरासी है। मंगलवार को शोभनाथ अपनी ड्यूटी पर था, जबकि ज्ञानमती लेटी थी। उसी समय एक युवक आया और उसकी चोटी काटने लगा। ज्ञानमती का कहना है कि चोटी काट रहे युवक की उम्र 25-26 साल के आसपास थी। वह भूरे रंग की चड्ढी व भूरे ही रंग की हाफ टी शर्ट पहने हुए था। ज्ञानमती के अनुसार उसकी उस युवक के साथ हाथापाई भी हुई। युवक ने उसे रुमाल सुंघाने की कोशिश भी की। युवक के हाथ में कैंची भी थी। जब युवक को यह लगा कि वह पकड़ा जाएगा तो वह दीवार कूदकर फरार हो गया। ज्ञानमती शोर मचाकर बेहोश हो गयी। चिकित्सकों का कहना है कि वह खतरे से बाहर है तथा क्लोरोफार्म के प्रभाव से बार-बार बेहोश हो रही है।
-- संदीप अस्थाना
बरेली: दो घटनाओं से लोगों में दहशत
बरेली : जिले में दो जगह चोटी काटने के मामले सामने आए हैं। ये घटनाएं सुभाषनगर और नबाबगंज में हुईं। सुभाषनगर में एक 12 साल की छात्रा की रात को घर के अंदर सोते समय चोटी काटी गयी जबकि नबाबगंज में महिला की चोटी कट गयी। चोटी कटने की इन घटनाओं से लोगों में दहशत है और महिलाएं रात-रात भर जग रही हैं। दहशत में महिलाएं पैरों में रंग भी लगा रही हैं। अफवाह फैली हुई है कि ऐसा न करने पर करवाचौथ से पहले उनकी मौत भी हो सकती है।
चार महिलाएं हुईं घटना की शिकार
गोंडा : जिले के तीन अलग-अलग थाना क्षेत्रों में एक बच्ची, एक वृद्ध एवं दो महिलाओं की चोटी काटने की घटनाओं से दहशत फैली हुई है। छपिया थाना क्षेत्र के ढढौआ मेहनिया गांव में रात में रामबचन की पत्नी केवलपता अपने बरामदे में सो रही थीं। घर वालों के मुताबिक सुबह उठकर घर के बाहर निकलीं। जब महिला ने अपना बाल सही करने के लिए हाथ लगाया तो बाल कटे हुए थे। महिला काफी डरी सहमी हुई है। इस घटना को लेकर इलाके में तरह-तरह की चर्चाएं हैं।
दूसरी घटना खोड़ारे थाना क्षेत्र के अल्लीपुर के मजरा जोलहाडीह में घटी। यहां रात में नाजिर की 15 वर्षीय लडक़ी अपने बरामदे में मच्छरदानी लगाकर सो रही थी। घर वालों के मुताबिक रात करीब 12 बजे लडक़ी का बाल कट गया। लडक़ी के शोर करने पर घर के लोग दौड़े तो लडक़ी कुत्ते के आकार की छाया बताकर बेहोश हो गई। करीब एक घंटे बाद होश आने पर वह सहमी हुई थी। लडक़ी तभी से कई बार बेहोश हो चुकी है। घटना को सुनकर इलाके के लोग पीडि़त के घर पहुंच रहे हैं।
तीसरी घटना कर्नलगंज कोतवाली क्षेत्र के चकसेनिया गांव में हुई। यहां एक बच्ची व एक बुजुर्ग महिला की चोटी काटे जाने का मामला चर्चाओं में है। गांव के मजरा पूरे गड़रियन पुरवा निवासी रामधीरज की पत्नी भानमती उर्फ बैधा का कहना है कि वह रविवार की शाम दैनिक क्रिया से निवृत्त होने खेत की ओर गई थी। इसी बीच मैक्सी पहने और हेलमेट लगाए एक महिला उनकी तरफ आती दिखी, जिसे देखकर वह लौट पड़ीं। महिला ने पीछे से आकर फीता सहित उनका जूड़ा काटकर धक्का दे दिया। बकौल राम धीरज घटना के बाद उनकी पत्नी बहुत घबराई हुई थी। एक अन्य घटना इसी गांव के डीहा निवासी रामजन्म दुबे के यहां की है। इनकी सात माह की पौत्री शिवांशी मां के साथ ननिहाल में है।
बच्ची के मामा वेद प्रकाश दुबे ने बताया कि वह छत पर सभी लोगों के साथ सो रही थी। उसकी मां ने उसके बालों में रबरबैंड लगा रखा था। सुबह बच्ची के बाल गायब मिले। घर के लोगों ने आसपास देखना शुरू किया तो कहीं भी बाल दिखाई नहीं दिया। ग्राम प्रधान राम विश्वास ने बताया कि घटना की जानकारी है। यह कैसे और कौन कर रहा है? यह समझ में नहीं आ रहा है। बीडीसी राम चंदर पांडेय ने बताया कि जानकारी मिली है। वह मौके पर नहीं गए थे। पूर्व बीडीसी संजय तिवारी ने बताया कि घटना पूरी तरह से सही है। मामला गंभीर है। इसकी रोकथाम का कोई उपाय होना चाहिए। कोतवाल कर्नलगंज अंगदराय का कहना है कि इस मामले की उन्हें कोई जानकारी अभी तक नहीं मिली है।
घटनाओं के पीछे टोटका
समाजशास्त्री प्रो.जे.के.पुंडीर की मानें तो इस तरह की घटनाओं के पीछे टोटके, दुश्मनी और शरारतें काम कर रही हैं। पुंडीर के मुताबिक बाल काटना पुरानी मान्यता और टोटकों से जुड़ा है। किसी के संतान न होने पर बाल काटने के टोटके किए जाते हैं। इन घटनाओं के पीछे ऐसे लोग भी हो सकते हैं जो अपनी शरारतों से समाज में दहशत का माहौल पैदा करना चाहते हैं। दुश्मनी में भी ऐसी घटनाएं की जाती हैं। मनोवैज्ञानिक डॉ.संजय कुमार की मानें तो चोटी कटने की घटनाओं के पीछे अफवाह अधिक काम कर रही है। उनके अनुसार पीरी सोसायटी में एक तरह का समूह फोबिया है जिससे लोग जल्दी प्रभावित होते हैं। इसी का फायदा मजाक करने वाले या बदला लेने वाले उठाते हैं। ऐसा ही चोटी काटने में भी हो रहा है। किसी ने हमलावर को नहीं देखा चोटी कटने की शिकार हुई कुछ महिलाओं और परिजनों के घर जाकर उनसे बात की गई तो सबमें समान बात यह रही कि किसी ने भी हमलावर को साफ-साफ नहीं देखा। किसी ने अगर देखा भी तो मात्र हमलावर की परछाई। दूसरी समान बात यह रही कि सभी महिलाएं कम पढ़ी-लिखी और गरीब और मध्यम परिवार से ताल्लुक रखती हैं। सभी लोंगो ने इस बात से इनकार किया कि घटना की शिकार महिलाएं,युवती या बच्ची किसी मानसिक या इसी तरह की किसी अन्य बीमारी से त्रस्त हैं। अफसोस की बात तो यह है कि जिम्मेदार लोग घटनाओं को अंधविश्वास,अफवाह या किसी शरारती तत्व की करतूत तो बता रहे हैं, लेकिन अभी तक भी किसी सामाजिक संगठन,व्यक्ति विशेष या पुलिस और प्रशासन की तरफ से लोगों को जागरुक करने की कोई कोशिश नहीं की गयी है।