×

और सुरक्षित हो जायेगी हिमालय की सरहद

raghvendra
Published on: 3 Aug 2018 1:04 PM IST
और सुरक्षित हो जायेगी हिमालय की सरहद
X

लखनऊ: भारत की हिमालयी सरहद हमेशा ही एक अलग प्रकार की सीमा मानी जाती रही है। एक तो अति दुर्गम चोटियां और उस पर प्रतिपल बदलने वाला मौसम। इसके चलते इस सामरिक क्षेत्र में बहुत कठिनाइयों सामना करना पड़ता है। अब इस इलाके में सामरिक महत्व की विशेष सड़कें बनाने की तैयारी चल रही है। इन विशेष सडक़ों के बन जाने के बाद भारतीय हिमालयी क्षेत्र ज्यादा सुगम और सामरिक रूप से चीन से कई गुना सक्षम बन जायेगा।

हिमालयी अस्थिर क्षेत्र में ऐसी सडक़ बनाने की नहीं थी कोई खास तकनीक

दरअसल भारत के पास अभी तक इस हिमालयी अस्थिर क्षेत्र में ऐसी सड़क बनाने की कोई खास तकनीक नहीं थी। इसलिए चाह कर भी काम नहीं हो पाता था। अब धनबाद, झारखंड स्थित केंद्रीय ईंधन एवं अनुसंधान संस्थान (सिंफर) के रॉक मैकेनिक्स एवं ब्लास्टिंग विभाग के वैज्ञानिकों की मदद से सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) इसे पूरा कर सकेगा। सिंफर द्वारा विकसित नियंत्रित विस्फोट की विश्वस्तरीय आधुनिकतम तकनीक का इसमें इस्तेमाल होगा। उच्च हिमालयी क्षेत्र में सडक़ नेटवर्क तैयार हो जाने से चीन के सापेक्ष भारतीय सेना की सामरिक स्थिति मजबूत होगी। हर पल हलचल से भरे हिमालय में हर मौसम को झेलने योग्य सड़कें बनाना अति चुनौतीपूर्ण कार्य है, जो अब तक चाहकर भी संभव नहीं हो सका था। इसके बिना सेना को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था।

क्या है सिंफर

सिंफर अकेला वैज्ञानिक संस्थान है, जिसके पास देश के सभी भागों के चट्टानों की अलग-अलग प्रकृति का 5000 से अधिक का विशाल डाटा भंडार है। वैज्ञानिकों ने वर्षों की मेहनत के बाद यह डाटा भंडार तैयार किया है। पहाडिय़ों के बीच से गुजरने वाली कोंकण रेलवे लाइन सिंफर वैज्ञानिकों की तकनीकी मदद से तैयार हुई थी। इसके अलावा बेंगलुरु रेलवे, मुंबई मेट्रो, कई हाइड्रो प्रोजेक्टों के लिए सिंफर की नियंत्रित विस्फोट तकनीक का इस्तेमाल किया गया है।

सिंफर के निदेशक डॉ. पीके सिंह, वैज्ञानिक मदन मोहन सिंह, आदित्य सिंह राणा व नारायण भगत की टीम ने बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन को यह कार्य करने में मदद करने की जिम्मेदारी ली है। हिमालय क्षेत्र में बीआरओ ने सिंफर की मदद से पश्चिम से पूर्व तक मजबूत सडक़ों का नेटवर्क बनाने की योजना बनाई है। योजना के तहत ये सड़कें भारत के सीमावर्ती राज्यों व मित्र देशों के सीमा क्षेत्र से होकर गुजरेंगी। कई इलाकों में तो 14 हजार फीट की ऊंचाई पर भी सडक़ तैयार होगी। रास्ते में सुरंगें भी होंगी। जिन इलाकों में कच्ची सड़कें पहले से हैं, उन्हें चौड़ा और मजबूत बनाया जाएगा।

सिंफर इस तरह की चुनौतियों से पार पाने में अब पूरी तरह दक्ष है। सिंफर के वैज्ञानिकों को चट्टान यांत्रिकी (रॉक मैकेनिक्स), नियंत्रित विस्फोट, ढलान स्थिरता (स्लोप स्टेबिलिटी) व सुरंग निर्माण में महारत हासिल है। इन विधाओं में केवल चुनिंदा विकसित देश ही सिंफर की बराबरी कर सकते हैं। सिंफर की तकनीक दिग्गज मल्टीनेशनल कंपनियों की तुलना में कहीं अधिक सुरिक्षत और पांच गुना तक सस्ती आंकी गई है।

raghvendra

raghvendra

राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

Next Story