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सहारनपुरः इस शमशान घाट में तीन साल बाद हुआ अंतिम संस्कार

राम केवी
Published on: 17 Nov 2018 3:48 PM GMT
सहारनपुरः इस शमशान घाट में तीन साल बाद हुआ अंतिम संस्कार
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सहारनपुर। आमतौर पर सभी शहरों में बने शमशान घाटों में शहरी क्षेत्रों में रोजाना या दूसरे तीसरे दिन और ग्रामीण क्षेत्रों में समय समय पर अंतिम संस्कार की क्रिया होती रहती है। लेकिन सहारनपुर का एक ऐसा शमशान घाट है, जहां पर तीन साल बाद किसी व्यक्ति का अंतिम संस्कार हुआ। शनिवार को हुए अंतिम संस्कार के दौरान कई थानों की पुलिस भी तैनात रहीं

कोतवाली सदर बाजार क्षेत्र के टैगोर गार्डन स्थित श्मशान भूमि को देहात कोतवाली क्षेत्र के गांव नाजिरपुरा के लोग अपनी श्मशान भूमि बताते चले आ रहे थे। उनके मुताबिक पहले यहां शवों का अंतिम संस्कार किया जाता था, मगर जैसे-जैसे यहां टैगोर गार्डन कालोनी बनी तो क्षेत्र के लोगों ने यहां अंतिम संस्कार किए जाने का विरोध शुरू कर दिया था। इसे लेकर नाजिरपुरा के लोग कोर्ट की शरण में चले गए थे। 2 माह पूर्व ही कोर्ट का फैसला नाजिरपुरा के लोगों के हक में आया, जिसके बाद करीब 3 साल बाद यहां फिर शव का अंतिम संस्कार हुआ।

श्मशान भूमि में कड़ी सुरक्षा में शनिवार को शव का अंतिम संस्कार हुआ। अंतिम संस्कार के समय विरोध की आशंका के चलते एहतियातन कई थानों की फोर्स भी मौके पर मौजूद रही।

देहात कोतवाली के गांव नाजिरपुरा निवासी स्वास्थ्य विभाग में सफाईकर्मी सुरेंद्र का शनिवार को देहांत हो गया था। परिजनों व गांव वालों ने शव को टैगोर गार्डन स्थित श्मशान भूमि में अंतिम संस्कार के लिए ले जाने की तैयारी की तो इसकी सूचना मिलते ही पुलिस प्रशासन भी सतर्क हो गया।

यहां बताते चलें कि शमशान भूमि पर अंतिम संस्कार को लेकर पिछले कई सालों से टैगोर गार्डन क्षेत्रवासी विरोध करते चले आ रहे थे और 3 साल पहले इसे लेकर जमकर बवाल हुआ था। मगर 2 माह पूर्व ही कोर्ट का फैसला नाजिरपुरा के लोगों के हक में आ गया था।

शव यात्रा श्मशान भूमि लाए जाने की सूचना पर कोतवाली सदर बाजार इंस्पेक्टर अशोक सोलंकी व देहात कोतवाली इंस्पेक्टर पवन कुमार चौधरी भी पुलिस फोर्स के साथ मौके पर आ डटे। पुलिस को आशंका थी कि कहीं अंतिम संस्कार किए जाने का टैगोर गार्डन वासी विरोध न कर बैठे। मगर भारी पुलिस इंतजाम को देखते हुए किसी की हिम्मत विरोध की नहीं हुई और सुरेंद्र के शव का शमशान भूमि में अंतिम संस्कार कर दिया गया।

राम केवी

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