×

बाल दिवस : ये तस्वीर बयां करती है बच्चों की सूरत

Anoop Ojha
Published on: 13 Nov 2018 2:27 PM GMT
बाल दिवस : ये तस्वीर बयां करती है बच्चों की सूरत
X

' मताए जीस्त पर गुरबत का निकलता सूरज, सिर पर रुक जाता है मजदूर के चलता सूरज

आंखों में बेबसी का समंदर लिए हुए, दर-दर भटक रहा है मजदूर मुकद्दर लिए हुए '

महेश शिवा

सहारनपुर: आखिर यह कैसा बाल दिवस है ? भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और बच्चों के बीच चाचा के नाम से लोकप्रिय नेहरू जी के जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। स्कूलों आदि में विभिन्न कार्यक्रम होते हैं तथा बच्चों के भविष्य एवं उनके लक्ष्य के बारे में उन्हें जागरूक किया जाता है इसके इतर कितने ही बच्चे बीमारी बेरोजगारी कुपोषण की वजह से दम तोड़ देते हैं तो कहीं लाचारी बेबसी एवं गरीब के कारण होटल रेस्टोरेंट टायर पंचर आदि की दुकानों पर काम कर बचपन को बदनसीब बना रहे हैं। पेट की आग बुझाने की खातिर सड़क पर कूड़ा करकट बीनने आदि का जोखिम भी उठा रहे हैं।

यह भी पढ़ें ......औरैयाः बाल मजदूरी के खिलाफ श्रम विभाग ने की छापेमारी

हालांकि बच्चों को देश का भविष्य बताते हुए बच्चों की गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के साथ-साथ मानसिक और शारीरिक विकास के लिए विभिन्न योजनाएं चलाई। लेकिन वह धरातल पर कहीं नजर नहीं आ रही। राज्य सरकार अथवा केंद्र सरकार भले ही इन योजनाओं को चलाने का दंभ भरती हो, लेकिन धरातल पर खासकर निम्न स्तर के बच्चों को इन योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है।

यह भी पढ़ें ......काशी में बीजेपी के पूर्व मंत्री और वर्तमान विधायक के बेटे करा रहे है, बाल मजदूरी

आप इस तस्वीरों में बालक को पंचर लगाते हुए देख रहे हैं। वह सहारनपुर के मिर्जापुर क्षेत्र की है। पुलिस कर्मी खड़े और आराम से बाल मजदूरी होते देख रहे हैं, लेकिन बाल मजदूरी पर रोक लगाने की बात तो दूर यह पुलिस वाले भाई बड़े आराम से यह देख रहे हैं, कि कब उनकी गाड़ी का पंचर सही होगा।

यह भी पढ़ें ......VIDEO: महोबा में ये भी देखना CM साहब श्रम विभाग में हो रही बाल मजदूरी

सहारनपुर क्षेत्र के गरीब मजदूर बेरोजगारी के चलते तथा भुखमरी के कारण बच्चों को या तो लकड़ी बीनने भेजते हैं या फिर कहीं बाहर कंपनी आदि में भेजते हैं। जिससे उनके घर का चूल्हा जल सके औद्योगिक इकाइयों में भी 7 से 9 घंटे काम करने के बाद वह अपने परिवार में जाते हैं। इसके बदले उन्हें मात्र 6 से 7 हजार के बीच मानदेय मिलता है। कुछ कंपनी में कुशल कारीगरों की समस्या के चलते बच्चे सस्ती मजदूरी पर मिल जाने का कारण इनसे काम करने वालों को अधिक लाभ पहुंचता है इसी लालच में कंपनियों ने छोटी बड़ी परचून , चाय आदि की दुकानों में भी बच्चों से काम लिया जाता है।

यह भी पढ़ें ......बाल मजदूरी को रोकने गए SDM संग व्यापारियों ने की बदसलूकी

क्षेत्रीय विधायक नरेश सैनी ने कहा कि सरकार निम्न स्तर के बच्चों को लेकर परेशान नहीं है आज की युग में हर आदमी 2 जून की रोटी को तरस रहा है कहीं रोजगार दिखाई नहीं देता बाल श्रम कानून भी हाथ पर हाथ धरे बैठा है।

Anoop Ojha

Anoop Ojha

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

Next Story