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Saharanpur Lok Sabha Seat: सहारनपुर लोकसभा सीट का चुनावी दंगल होगा बेहद रोमांचक, जानें कैसा है यहां का समीकरण
Lok Sabha Election 2024: भाजपा इस हारी हुई सीट को जीतने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है इसीलिए 15 दिन में ही मुख्यमंत्री चार बार सहारनपुर लोकसभा सीट पर आए जिसमें तीन बार जनसभा और एक बार रोड शो किया ।
Lok Sabha Election 2024: सहारनपुर लोकसभा क्षेत्र का चुनावी दंगल बेहद रोमांचक होने जा रहा है यहां पर 10 प्रत्याशी चुनावी मैदान में है जिसमें की मुख्यतः तीन भाजपा से राघव लखनपाल शर्मा, कांग्रेसगठबंधन से इमरान मसूद और बसपा उम्मीदवार के तौर पर माजिद अली चुनावी मैदान में हैं राघव लखनपाल शर्मा 2014 में भाजपा से सांसद का ताज पहनकर संसद में जा चुके हैं लेकिन 2019 में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था, वहीं इमरान मसूद तीसरी बार लोकसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।
सहारनपुर लोकसभा सीट का इतिहास
आपको बता दें कि देश की आजादी के बाद यहां सहारनपुर लोकसभा सीट पर भाजपा केवल दो बार अपना कमल खिलाने में कामयाब रही है वर्ष 1996 में स्वर्गीय चौधरी नकली सिंह ने बसपा सुप्रीमो स्वर्गीय कांशीराम को यहां से हराया था और जीत हासिल की थी उसके बाद इस जीत को 2014 में भाजपा प्रत्याशी के तौर पर राघव लखनपाल ने दोहराया था। 2019 में सहारनपुर लोकसभा सीट बसपा गठबंधन उम्मीदवार फजलुर रहमान ने जीती थी लेकिन इस बार बसपा ने फजलुर रहमान के बजाय माजिद अली पर अपना भरोसा जताया और उसे अपना उम्मीदवार बनाकर चुनावी मैदान में उतारा ने जबरदस्त काम किया था और इसी फैक्टर के चलते बसपा गठबंधन संयुक्त मोर्चा प्रत्याशी फजलुर रहमान ने जीत का सेहरा पहना था। इस बार परिस्थितियां बिल्कुल विपरीत हैं किसी एक भी पार्टी के लिए जीत की डगर आसान नहीं है।
भाजपा प्रत्याशी राघव लखनपाल शर्मा
बसपा संयुक्त मोर्चा प्रत्याशी को वर्ष 2019 में 30% वोट मिला था और उसने जीत हासिल की थी वहीं भाजपा प्रत्याशी राघव लखनपाल शर्मा को 28% वोट मिला था तो इमरान मसूद तीसरे नंबर पर रहे थे और उन्हें मात्र 12% पर संतोष करना पड़ा था। लेकिन इस बार परीक्षा विपरीत है पिछली बार दलित मुस्लिम फैक्टर ने जोर दिखाया और बसपा संयुक्त मोर्चा प्रत्याशी को जीत दिला दी थी। इस बार भाजपा इस हारी हुई सीट को जीतने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती थी इसीलिए 15 दिन में ही मुख्यमंत्री चार बार सहारनपुर लोकसभा सीट पर आए जिसमें तीन बार जनसभा और एक बार रोड शो किया और पूरी तरह से चुनावी माहौल को अपने पक्ष में करने का प्रयास किया इतना ही नहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य डिप्टी सीएम बृजेश पाठक के अलावा रालोद प्रमुख जयंत चौधरी ने भी अलग-अलग क्षेत्र में जनसभा की, इसके अलावा उत्तर प्रदेश के प्रभारी मंत्री योगेंद्र उपाध्याय अरुण बेबी रानी मौर्य ने भी लोगों में जनसंपर्क पर अलग-अलग जनता को भाजपा के पक्ष में मोड़ने का भरपूर प्रयास किया जहां सत्ता पक्ष लगातार एक के बाद एक चुनावी सभा कर पूरी तरह से मतदाताओं को लुभाने में लगा हुआ था वहीं विपक्ष की कोई रैली काफी लंबे समय तक नहीं हुई 14 अप्रैल को बसपा सुप्रीमो मायावती ने सहारनपुर लोकसभा क्षेत्र के नागल के खटोली गांव के भरतपुर मैदान में एक जनसभा की और अपने दलित वोट को साधने का प्रयास किया इतना ही नहीं अपनी जनसभा के माध्यम से कांग्रेस और भाजपा पर जमकर कटाक्ष भी किया।
सहारनपुर लोकसभा सीट पर जहां उत्तर प्रदेश और केंद्रीय मंत्री ने पूरी जो राजमाइश की तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी यहां पर एक बड़ी जनसभा कर सभी वर्गों को लुभाने का प्रयास किया उन्होंने अपनी सभा में कांग्रेस के घोषणा पत्र की तुलना मुस्लिम लीग से कर डाली। वहीं कांग्रेस गठबंधन प्रत्याशी इमरान मसूद ने "सौ सुनार की और एक लोहार" की कहावत को चरितार्थ करते हुए प्रचार के अंतिम दिन 17 अप्रैल को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी का रोड शो कराया इस रोड शो में हजारों की संख्या में केवल मुस्लिम ही नहीं रहे बल्कि सिख समुदाय और ठाकुर समुदायों के अलावा दलित लोग भी इसमें नजर आए जो कि भाजपा के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकती है।
पार्टियों ने उठाया है विकास का मुद्दा
वहीं बसपा प्रत्याशी माजिद अली की कमजोर स्थिति भी मुस्लिम वोट को बांटने में जितना नाकामयाब साबित होगी उतना फायदा इमरान मसूद को होगा और भाजपा प्रत्याशी राघव लखनपाल को उतना ज्यादा चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। राघव लखन पाल शर्मा अपना मुद्दा विकास बताते हैं और विकास के मुद्दे को लेकर चल रहे हैं उनका कहना है की मां शाकंभरी यूनिवर्सिटी की उन्होंने 2014 में अपने संसदीय कार्यकाल में इसकी मांग की थी और यह सपना भी सरकार हो गया और उनका कहना है कि वह विकास के मुद्दे को लेकर चल रहे हैं और इसी पर उन्हें वोट मिलेगा लोग मोदी और योगी के नाम पर उन्हें वोटों से भर देंगे और उन्हें जीताकर संसद पहुंचा देंगे। भाजपा प्रत्याशी राघव लखन पाल अपना मुकाबला किसी से नहीं मानते हैं उनका मानना है कि वह नंबर एक पर है और उनकी जीत लगभग 2 लाख वोटों से अधिक होनी चाहिए हालांकि जब उन्होंने नामांकन पत्र दाखिल किया था वह अपनी जीत का आंकड़ा 3 लाख से ज्यादा बता रहे थे लेकिन अब चुनाव पास आ गया है और मतदान होने वाला है तो उनकी यह जीत का आंकड़ा घटकर 2 लाख पर आ टिका है।
वहीं कांग्रेस गठबंधन प्रत्याशी इमरान मसूद ने इस बार अपने चुनाव लड़ने का पैटर्न बिल्कुल बदल दिया बहुत शांति से और अलग तरीके से चुनाव लड़ा कोई बयान बाजी या कोई उकसाने वाली बात नहीं की जिसके लिए वह हमेशा चर्चा में रहे हैं विवादों में गिरे रहे हैं हालांकि कई बार उन्हें उकसाने का प्रयास भाजपा नेताओं द्वारा किया गया लेकिन उन सब के बावजूद शांत रहे और अपने काम पर ध्यान देते रहे और इतना ही नहीं उन्होंने इस शांति से अपना चुनाव प्रचार करते हुए भाजपा के दलित और नाराज क्षत्रिय बिल्कुल पैटर्न बदल दिया ।
उन्होंने इस शांति से अपना चुनाव प्रचार करते हुए उन्होंने दलित समाज में जबरदस्त सेंध लगाने का प्रयास किया है तो वहीं नाराज क्षत्रिय समाज को भी अपने पक्ष में लंबवत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है हालांकि इसके अलावा उन्होंने वही हिंदुओं वोटो में भी जबरदस्त सेंध लगाने मैं कोई कसर नहीं छोड़ी है और अपनी जीत की तरह पूर्व के प्रति पूरी तरह आश्वस्त इमरान मसूद अपना मुकाबला भाजपा से मानते हैं
उनका मानना है कि बसपा एक ऐसी पार्टी है जो भाजपा के लिए काम करती है और उनके चुनाव में बसपा प्रत्याशी कहीं दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहा है उनका कहना है कि जो उनका मुद्दा है वह केवल संविधान बदलने को लेकर है जैसा की दूसरी पार्टी करें 'वन नेशन वन इलेक्शन' इसका वह विरोध कर रहे हैं और यही सब मुद्दे लेकर वह अपने चुनावी मैदान में है उनका मानना है कि लोग इस बार इन मुद्दों को लेकर ही वोटिंग करेंगे।
मैं भी राम का भक्त हूं- कांग्रेसगठबंधन प्रत्याशी इमरान मसूद
इतना ही नहीं इमरान मसूद ने अपनी जुबान बदलते हुए इस बार राम का गुणगान किया और उनकी महिमा गाई है और खुद को राम का वंशज ही बता डाला राम की चौपाइयां गाकर उन्होंने भाजपा की नींदें उड़ा दी हैं । इमरान मसूद का राम प्रेम अमृता देख भाजपा की नींदे उड़ी हुई हैं और इमरान मसूद का कहना है कि राम की कृपा केवल भाजपाइयों पर ही नहीं मुझ पर भी होगी मैं भी राम का भक्त हूं। और इस बार वह चुनाव निश्चित रूप से जीतेंगे तो कि उन्हें हर वर्ग का कश्यप समाज का दलित समाज का सिख समाज का और नाराज क्षत्रिय समाज का भरपूर समर्थन मिल रहा है और मुस्लिम वोट बैंक परंपरागत उन्हीं का रहेगा।
बसपा प्रत्याशी माजिद अली
वहीं बसपा प्रत्याशी माजिद अली की बात करें तो वह दूर-दूर तक चुनाव प्रचार से भी गायब रहे हैं और वहीं 14 अप्रैल को बसपा के पूर्व विधायक रविंद्र मालू जहां मायावती के साथ मंच पर मौजूद थे तो वहीं 16 अप्रैल को उन्होंने पार्टी बदलते हुए भाजपा की सदस्यता ली और कहा कि यह उनका घर वापसी है बसपा से चुनाव जीत कर विधायक बने और हारने के बाद फिर भाजपा का दामन थाम लिया लेकिन जब उनका भाजपा में मन नहीं लगा तो वापस बसपा में आ गए और एक बार फिर भाजपा में शामिल हो गए भाजपा केवल नाराज क्षत्रियों को ही मनाने में नहीं लगी रही बल्कि जो रूट है सैनी समाज है उनको मनाने के कमायत में पूर्व मंत्री जो की वर्ष 2022 में भाजपा का दामन छोड़कर सपा की साइकिल पर सवार हो गए थे और हारने के बाद लगातार भाजपा में शामिल होने का प्रयास कर रहे थे को भी भाजपा ने शामिल कर लिया है।
हालांकि पूर्व मंत्री डॉ धर्म सिंह सैनी पर भ्रष्टाचार और घोटाले के कई आरोप लगे हैं भाजपा सरकार में उनके पास आयुष मंत्रालय था और इसको लेकर भाजपा सरकार में ही उनके ऊपर आरोप लगे और उनके खिलाफ मुकदमे बाजी भी हुई। वहीं जब उन्होंने वर्ष 2022 में भाजपा को अलविदा कहा तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर कई बयान दिया जिसके चलते उनकी अब भाजपा में वापसी में अड़चन आ रही थी।
डॉक्टर धर्म सिंह सैनी
डॉक्टर धर्म सिंह सैनी की बात करें तो तीन बार बसपा से नकुड विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे और मंत्री बने लेकिन वर्ष 2017 में बसपा को छोड़कर भाजपा का कमल थाम लिया और जीत कर फिर इन्हें आयुष मंत्रालय मिला लेकिन इन्होंने 2022 में अचानक से भाजपा को बाय-बाय कहकर सपा की साइकिल थाम ली इन्हें उम्मीद थी कि इस बार सपा की सरकार बनेगी लेकिन परिणाम कुछ और ही निकला और भाजपा की सरकार एक बार फिर बनी और इन्होंने भाजपा में वापसी के प्रयास शुरू कर दिए कई बार तो इन्हें वापस रास्ते से लौटाया गया मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इनकी भाजपा में वापसी पर सहमत नहीं हो रहे थे। इतना ही नहीं सहारनपुर नगर के पूर्व विधायक जो कि सपा में थे पूर्व मंत्री संजय गर्ग को भी भाजपा की सदस्यता दिला दी।
भाजपा इस बार सहारनपुर लोकसभा सीट पर जीत हासिल करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती किसी वर्ग को नाराज नहीं करना चाहती इसीलिए उसने हर मंत्री हरपुर विधायक को भाजपा में शामिल करने का प्रयास किया ताकि उनके जातिगत आंकड़ों से वह जीत की सीढ़ियां चढ़ सके। हालांकि पूर्व विधायक रविंद्र मालू और पूर्व मंत्री डॉ धर्म सिंह सैनी की भाजपा में वापसी को लेकर कई भाजपायों में नाराजगी भी है।
अब 19 अप्रैल को प्रथम चरण में सहारनपुर में मतदान होना है सहारनपुर लोकसभा क्षेत्र से में 1855301 मतदाता है। सहारनपुर जनपद में सात विधानसभा है जिसमें की नकुड और गंगोह विधानसभा कैराना लोकसभा क्षेत्र मैं आती है। सहारनपुर लोकसभा सीट को 22 जून 216 सेक्टर में बांटा गया है यहां 2708 मतदान स्थल बनाए गए हैं जिसमें की 746 क्रिटिकल हैं 1377 मध्य स्थलों की वेब कास्टिंग कराई जाएगी और चुनाव शांतिपूर्वक निष्पक्ष ढंग से संपन्न हो इसके लिए 17000 जवान सुरक्षा में लगाए गए हैं।
बता दें कि सहारनपुर में कल मतदान होना है, मतदाता अपने नेता की किस्मत का फैसला ईवीएम का बटन दबाकर करेंगे, 4 जून को उनकी किस्मत का फैसला निकलेगा और तब देखा जायेगा कि किस सीट पर कौन इस बार बाजी मारता है, किसके सिर जीत का सेहरा बंधता है?