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अखिलेश यादव के चंदाजीवी बयान पर बिफरे काशी के संत, की अशोभनीय टिप्पणी

काशी के संतों ने अखिलेश यादव ने चंदाजीवी संगठन वाले बयान को लेकर साधु-संतों में खासी नाराजगी है। धर्म नगरी काशी में अखिल भारतीय संत समिति के प्रवक्ता और पातालपुरी मठ के प्रमुख महंत बालकदास ने जुबानी तंज के दौरान अशोभनीय टिप्पणी कर दी।

SK Gautam
Published on: 11 Feb 2021 12:37 PM GMT
अखिलेश यादव के चंदाजीवी बयान पर बिफरे काशी के संत, की अशोभनीय टिप्पणी
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अखिलेश यादव के चंदाजीवी बयान पर बिफरे काशी के संत, बताया ‘मियां की औलाद’

वाराणसी। लोकसभा में सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के चंदाजीवी वाले बयान को लेकर विवाद शुरु हो गया है। अखिलेश यादव के ताजा बयान के खिलाफ अब काशी के संतों ने मोर्चा खोल दिया है। काशी के संतों ने अखिलेश यादव ने चंदाजीवी संगठन वाले बयान को लेकर साधु-संतों में खासी नाराजगी है। धर्म नगरी काशी में अखिल भारतीय संत समिति के प्रवक्ता और पातालपुरी मठ के प्रमुख महंत बालकदास ने जुबानी तंज के दौरान अखिलेश और उनके पिता मुलायम सिंह यादव पर अशोभनीय टिप्पणी कर दी।

बटुकों पर हुए लाठीचार्ज की याद दिलाई

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए चलाए जा रहे धन संग्रह अभियान पर बीजेपी पर निशाना साधते हुए अखिलेश यादव ने निशाना साधा था। उनके इसी बयान ने संतों को नाराज कर दिया है। महंत बालकदास यही नहीं रुके। उन्होंने आगे कहा कि अखिलेश और मुलायम का कोई अस्तित्व नहीं है। ये लोग साधु-संत, राम मंदिर और सनातम धर्म विरोधी हैं, इसलिए इनके बयानों पर बहुत ध्यान नहीं देना चाहिए।

महंत बालक दास ने अखिलेश यादव पर किया जुबानी हमला

अखिलेश यादव पर जुबानी हमला करते हुए महंत बालक दास ने उन्हें अयोध्या के गोलीकांड से लेकर काशी में प्रतिकार यात्रा के दौरान साधु-संतों और बटुकों पर हुए लाठीचार्ज की याद दिखाई। बालक दास ने कहा कि अयोध्या में इनकी सरकार ने लोगों पर गोलियां चलवाईं और काशी में भी साधु-संतों पर लाठी बरसाई थी।

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अखिलेश के इस बयान पर विवाद

मंगलवार को लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान आजमगढ़ से सांसद और सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने कहा था कि देश को आंदोलन की वजह से आजादी मिली। आंदोलनों के चलते कई अधिकार मिले। महिलाओं को वोटिंग का अधिकार भी आंदोलन करने से मिला। महात्मा गांधी राष्ट्रपिता बने, क्योंकि उन्होंने अफ्रीका, देश और दुनिया में आंदोलन किए। उन आंदोलनों के बारे में क्या कहा जा रहा है? वे लोग आंदोलनजीवी हैं। मैं उन लोगों को क्या कहूं जो लगातार चंदा लेने को निकल जाते हैं, क्या वे चंदाजीवी संगठन के सदस्य नहीं हैं।

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रिपोर्ट- आशुतोष सिंह, वाराणसी

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