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कुंभ में संतों ने वैदिक मंत्रों के बीच मनाया गणतंत्र दिवस, सर्वधर्म समभाव का दिया मंत्र
प्रयागराज में चल रहे दिव्य कुंभ पर गणतंत्र दिवस का रंग चढ़ गया। देश के 70वें गणतंत्र दिवस पर अखाड़ों से लेकर संतों के शिविरों और सरकारी कार्यालयों में देशभक्ति के गाने गूंजे।
प्रयागराज: प्रयागराज में चल रहे दिव्य कुंभ पर गणतंत्र दिवस का रंग चढ़ गया। देश के 70वें गणतंत्र दिवस पर अखाड़ों से लेकर संतों के शिविरों और सरकारी कार्यालयों में देशभक्ति के गाने गूंजे।
विश्व पटल पर लोगों की आस्था का महासंगम प्रयागराज संतों ने 70वें गणतंत्र दिवस पर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ शनिवार को सुबह ध्वजारोहण कर कुछ ऐसा संदेश दिया जो शायह इन पंक्तियों से मेल खाता है।
मुझे ना तन चाहिए, ना धन चाहिए
बस अमन से भरा यह वतन चाहिए
जब तक जिन्दा रहूं, इस मातृ-भूमि के लिए
और जब मरूं तो तिरंगा कफन चाहिए।
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संगम की रेती पर आस्था के महासंगम में देशभक्ति का भी चटख रंग शनिवार को नजर आया। यहां साधू, सन्यासियों एवं पंडों के शिविरों में ध्वजारोहण किया गया। धर्म आध्यात्म की नगरी में देश भर से आए अनन्य श्रद्धालु भी इसके साक्षी बने। जहां प्रतिदिन धर्म एवं आध्यात्म से जुड़ी कथाएं व वैदिक मंत्रों की गूंज थी तो वहीं शनिवार को वैदिक मंत्रों के बीच देशभक्ति गीतों का अनूठा संगम दिखा।
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वैदिक मंत्रों के बीच ध्वजारोहण कर संतों ने दी तिरंगे को सलामी
लोकतंत्र का यह पर्व आध्यात्म के महापर्व दिव्य कुंभ मेला में क्षेत्र में भी भव्यता से मनाया गया। सेक्टर 16 स्थित अखाड़ों में तिरंगा फहराया गया। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि महराज ने निरंजनी अखाड़े में ध्वजारोहण किया। बड़े संतों के शिविरों में भी सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम रही। कई शिविरों में तो आकर्षक सजावट भी की गई है। इसके अलावा कई संतों के शिविरों में भी ध्वजारोहण हुआ। विभिन्न संतों के शिविरों में ठहरे विदेशी श्रद्धालु और मेहमान भी गणतंत्र दिवस पर आयोजित होन वाले कार्यक्रमों में हिस्सा ले रहे हैं। इस समय चार हजार से ज्यादा विदेशी मेहमान मेला क्षेत्र में ठहरे हैं।
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सर्वधर्म समभाव का दिया मंत्र
गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या से ही कुंभ क्षेत्र राष्ट्रीय भावना में गोते लगाने लगा था। गंगा, यमुना एवं अदृश्य सरस्वती के पावन संगम पर हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई धर्म के लोगों ने हाथ में तिरंगा लेकर सर्वधर्म का संदेश दिया। कहा एकता में शक्ति है। त्रिवेटी तट से उन्होंने पूरी दुनिया को समरसता के साथ अनेकता में एकता का संदेश दिया।