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Brick Closed in Lucknow: सावधान लखनऊ में घर बनवाने वाले, अगले 5 दिन बंद रहेंगे ईंट भट्ठे
Brick Closed in Lucknow: ब्रिक किल्न एसोसिएशन के महामंत्री मुकेश मोदी ने बताया, 'ईंटों पर GST दर में 240 से 600 फीसद वृद्धि वापस ली जानी चाहिए।
Lucknow News Today: अगर आप उत्तर प्रदेश के निवासी हैं और घर बनवा रहे हैं, तो आने वाले पांच दिनों तक आपको मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। दरअसल, ईंट भट्ठा मालिकों ने 12 से 17 सितंबर 2022 तक ईंटों की बिक्री बंद करने का फैसला लिया है। भट्ठा मालिकों ने ये फैसला ऑल इंडिया ब्रिक एंड टाइल मैन्युफैक्चर्स फेडरेशन, नई दिल्ली (All India Brick and Tile Manufacturers Federation) के आह्वान पर लिया है। आगामी 5 दिनों तक ईंट भट्ठा मालिक हड़ताल पर रहेंगे।
क्यों किया हड़ताल?
ऑल इंडिया ब्रिक एंड टाइल मैन्युफैक्चर्स फेडरेशन ने खुले बाजार में कोयले (Coal) में सरकारी कीमत के सापेक्ष तीन गुना तक जारी ब्लैक मार्केटिंग (Coal Black Marketing) पर अंकुश लगाने, ईंटों पर जीएसटी दर (GST Rate on Bricks) में 240 से 600 फीसदी की वृद्धि वापस लेने तथा ईंट मिट्टी निकासी के लिए मशीनों के प्रयोग की सुलभ नीति बनाने सहित कई अन्य मांगें रखी हैं।
बढ़ी दरें GST ली जाए वापस
इस संबंध में लखनऊ ब्रिक किल्न एसोसिएशन के महामंत्री मुकेश मोदी ने बताया, 'ईंटों पर GST दर में 240 से 600 फीसद वृद्धि वापस ली जानी चाहिए। साथ ही, ईंट भट्ठों को उचित दर पर कोयला दिया जाए। खुले बाजार में कोयले में सरकारी कीमत (Government Price in Coal) के सापेक्ष तीन गुना तक जारी ब्लैक मार्केटिंग पर अंकुश लगाई जाए। मुकेश मोदी ने बताया, सरकारी कोटे के कोयले का आयात बिल्कुल ही बंद है। इस वजह से ईंटों के उत्पादन लागत काफी वृद्धि हो गई। जबकि, ईंटों की कीमतों में भारी गिरावट आई है।
जब तक नहीं होगी सुनवाई, जारी रहेगा आंदोलन
मुकेश मोदी सरकार से खासे नाराज हैं। उन्होंने कहा, कि 'ईंट भट्ठा उद्योग के साथ मनमाना व्यवहार हो रहा है। ईंट भट्ठों को नेचुरल ड्राफ्ट में बदलने के लिए कम से कम 4 वर्षों का समय दिया जाना चाहिए। मोदी कहते हैं, जब तक इस पर सुनवाई नहीं होती,आंदोलन जारी रहेगा।'
कोयले की दर में अप्रत्याशित वृद्धि
इसी मुद्दे पर मीडिया से बात करते हुए एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश अग्रवाल (Rajesh Agarwal) ने कहा, 'जो कोयला पिछले सीजन में 7000 से 9000 रुपए प्रति टन की दर से मिलता था। आज वही कोयला भट्ठे वाले को 18000 रुपए प्रति टन से 27000 रुपए प्रति टन की दर पर दिया जा रहा है। काम करना है तो इस दर भी खरीदने को मजबूर हैं। उन्होंने कहा, भट्ठा मालिकों का लगातार उत्पीड़न हो रहा है।'