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BJP-RLD Alliance: ‘जयंत चौधरी को हमने राज्यसभा भेजा’, रालोद के एनडीए में जाने की चर्चाओं पर बेचैन सपा का रिएक्शन
BJP-RLD Alliance: अगर जयंत ओम प्रकाश राजभर की तरह बीजेपी के पाले में जाते हैं तो ये सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के लिए सबसे बड़ा झटका होगा।
BJP-RLD Alliance: लोकसभा चुनाव से पहले देश में सियासी समीकरणों के बनने और बिखरने का दौर जारी है। पिछले साल राष्ट्रीय स्तर पर तमाम ताकतवर विपक्षी दलों को एकजूट कर बना इंडिया गठबंधन एक समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे टर्म की राह में सबसे बड़ी चुनौती पेश कर रही थी लेकिन अब उसमें बिखराव का दौर शुरू हो गया है। जो कहां तक रूकेगा इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। नीतीश, ममता और केजरीवाल के बाद एक और घटक दल के अलायंस से बाहर निकलने की चर्चा इन दिनों सियासी गलियारों में जोरों पर है।
इस बार राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) को लेकर अफवाहों का बाजार गर्म है। बताया जा रहा है कि आरएलडी चीफ जयंत चौधरी की बीजेपी से सीट शेयरिंग को लेकर चर्चा चल रही है। रालोद पहले भी एनडीए के साथ रह चुकी है। पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जयंत चौधरी को साथ आने का ऑफर भी दिया था लेकिन उन्होंने इसके बजाय सपा के साथ जाना चुना। अब बताया जा रहा है कि सपा के साथ सीट शेयरिंग पर उनकी बात बन नहीं रही है।
ऐसे में अगर जयंत ओम प्रकाश राजभर की तरह बीजेपी के पाले में जाते हैं तो ये सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के लिए सबसे बड़ा झटका होगा क्योंकि उनके पास वेस्ट यूपी में कोई कद्दावर जाट चेहरा नहीं है, जो बीजेपी के सामने चुनौती पेश कर सके। यही वजह है कि सपा खेमे में मीडिया में चल रही ऐसी खबरों को लेकर बेचैनी है। अब तक इस पर चुप्पी साधे रखने वाली सपा ने इन अफवाहों पर पहली प्रतिक्रिया दी है।
रालोद के एनडीए में जाने पर सपा का रिएक्शन
रालोद के एनडीए में जाने के चर्चाओं पर समाजवादी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि उन्हें ऐसी किसी बात की जानकारी नहीं है। रालोद के साथ हमारा सात सीटों पर समझौता हो चुका है, उन्होंने भी इस पर सहमति जताई है। विपक्षी इंडिया गठबंधन की बैठकों में जयंत चौधरी शामिल होते रहे हैं। ऐसे में उनका एनडीए में जाने का सवाल ही नहीं उठता है। सपा प्रवक्ता ने लगे हाथ ये भी कह डाला कि सपा ने ही जयंत को राज्यसभा भेजा है।
सपा और बीजेपी के साथ रालोद का क्या चल रहा मामला
विधानसभा चुनाव के समय से रालोद समाजवादी पार्टी के साथ है। 19 जनवरी को पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर आगामी लोकसभा चुनाव में आरएलडी के साथ सात सीटों पर गठबंधन होने का ऐलान किया था। लेकिन सूत्रों की मानें तो मुजफ्फरनगर, कैराना और बिजनौर की सीटों पर दोनों के बीच पेंच फंसा हुआ है। सपा का कहना है कि इन सीटों पर उनका प्रत्याशी रालोद के चिह्न पर चुनाव लड़ेगा, जिसे जयंत की पार्टी के कार्यकर्ता मानने को तैयार नहीं है। मुजफ्फरनगर से दिवंगत चौधरी अजित सिंह ने पिछला चुनाव लड़ा था, इसलिए पार्टी चाहती है कि यहां से उन्हीं की पार्टी का कोई कार्यकर्ता चुनाव लड़े। वहीं, सपा कांग्रेस से आए हरेंद्र मल्लिक को लड़ाना चाहती है, जिनका इस इलाके में चौधरी परिवार से छत्तीस का आंकड़ा रहा है।
सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी ने राष्ट्रीय लोक दल सुप्रीमो जयंत चौधरी को लोकसभा की चार सीटें ऑफर की हैं। इसके अलावा उनकी पार्टी को केंद्र और राज्य सरकारों में भी जगह देना का वादा किया गया है। इनमें चौधरी परिवार की परंपरागत सीट माने जाने वाली मुजफ्फरनगर और बागपत भी शामिल है। जहां से फिलहाल केंद्रीय मंत्री संजीव बलियान और नौकरशाह से राजनेता बने सत्यपाल सिंह सांसद हैं। हालांकि, आरएलडी की ओर से ऐसी किसी बातचीत की पुष्टि नहीं की गई है।
मिशन 80 को साधना चाहती है भाजपा
बीजेपी ने इस बार लोकसभा में एनडीए का आंकड़ा 400 के पार करने का लक्ष्य रखा है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद में इसका इशारा कर चुके हैं। इसके लिए पार्टी अपने कटु सियासी विरोधियों को भी अपने साथ लाने के लिए तैयार है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इसके उदाहरण हैं। भाजपा ने यूपी में 80 में से 80 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। पिछली बार भगवा दल गठबंधन के साथ 64 सीटों पर ही सिमट गई थी। वेस्ट यूपी के मुरादाबाद मंडल में पार्टी को काफी नुकसान हुआ था। आरएलडी का इस क्षेत्र में प्रभाव माना जाता है। इसलिए पार्टी जयंत चौधरी को साथ लेकर इस नुकसान की भरपाई करना चाहती है।