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Sambhal Masjid Ka Itihas: संभल मस्जिद की कहानी, 500 साल का इतिहास और कानूनी लड़ाइयाँ

Sambhal Masjid History Hindi: हिंदू पक्षकारों ने संभल कोर्ट में दावा किया है कि मूल रूप से मस्जिद के स्थान पर भगवान विश्वकर्मा द्वारा निर्मित श्री हरि हर मंदिर था।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 2 Dec 2024 7:53 PM IST (Updated on: 2 Dec 2024 8:13 PM IST)
Sambhal Masjid Ka Itihas in Hindi
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Sambhal Masjid Ka Itihas in Hindi

Sambhal Masjid Ka Itihas Hindi: उत्तर प्रदेश के संभल जिले के सराय तारीन में स्थित जामा मस्जिद (Sambhal Jama Masjid Vivad) अब कोर्ट द्वारा आदेशित सर्वेक्षण को लेकर विवाद के केंद्र में है। इस मस्जिद के बारे में बहुत कुछ अस्पष्ट है। लेकिन इतना पता है कि इस मस्जिद का निर्माण 1526 में बाबर के एक अधिकारी ने करवाया था। संभल में ही क्यों मस्जिद बनवाई, इसका उत्तर अबुल फजल की आइन-ए-अकबरी से समझा जा सकता है, जिसमें उन्होंने संभल के बारे में कहा है कि यह वह स्थान है जहां भगवान विष्णु के अंतिम अवतार का जन्म हुआ था।

ताजा मामला

हिंदू पक्षकारों ने संभल कोर्ट में दावा किया है कि मूल रूप से मस्जिद के स्थान पर भगवान विश्वकर्मा द्वारा निर्मित श्री हरि हर मंदिर था। मस्जिद बनाने के लिए इसे ध्वस्त कर दिया गया था। पक्षकारों ने एक प्रचलित मान्यता का हवाला दिया है कि कलियुग में भगवान विष्णु के 10वें अवतार कल्कि संभल में प्रकट होंगे।


ऐतिहासिक रूप से, संभल 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व से एक समृद्ध विरासत समेटे हुए है, जब यह पंचाल साम्राज्य का हिस्सा था। बाद में अशोक के मौर्य साम्राज्य में शामिल हो गया। 14वीं शताब्दी की शुरुआत में कुतुब-उद-दीन ऐबक की विजय के बाद यह शहर मुस्लिम शासन के अधीन आ गया, उसके बाद फिरोज शाह तुगलक ने शासन किया।

अंग्रेजों के समय की लड़ाई

मौजूदा मामला मस्जिद के कानूनी विवाद से जुड़ा पहला मामला नहीं है। ब्रिटिश काल में भी हिंदू पक्ष ने इस पर मुरादाबाद की एक अदालत में मालिकाना हक का मुकदमा दायर किया था और 1878 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अपील की थी, लेकिन तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश सर रॉबर्ट स्टुअर्ट ने इसे खारिज कर दिया था।


इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, उस मामले के उर्दू दस्तावेज कहते हैं कि हिंदू पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया गया क्योंकि वे यह साबित नहीं कर सके कि मुसलमान 12 वर्षों से निर्बाध रूप से उस स्थल का उपयोग नहीं कर रहे थे, मस्जिद के अंदर मूर्ति की परिक्रमा के लिए कोई परिक्रमा पथ मौजूद नहीं है और हिंदू पक्ष के गवाह अविश्वसनीय स्तर के प्रतीत होते हैं जिन्होंने कभी मस्जिद को अंदर से नहीं देखा था।

बबाबर के समय की मस्जिद (Sambhal Masjid Ka Itihas)

संभल मस्जिद (Sambhal Masjid Information) देश की सबसे पुरानी जीवित मुगल मस्जिद मानी जाती है, और यह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के तहत एक संरक्षित स्मारक है। हालांकि संरक्षण के लिए जिम्मेदार एएसआई ने अब ये कह दिया है कि मस्जिद में इतने परिवर्तन किए जा चुके हैं कि इसके मूल तत्वों का कोई अतापता नहीं है।


बहरहाल, मस्जिद का इतिहास संभल के इतिहास से जुड़ा हुआ है। जिले की वेबसाइट के अनुसार, "5वीं शताब्दी ईसा पूर्व के दौरान, संभल पंचाल शासकों का घर था और बाद में राजा अशोक के साम्राज्य का हिस्सा था।"


मुस्लिम सल्तनत के तहत, संभल कुतुब-उद-दीन ऐबक के साम्राज्य, तुगलक साम्राज्य और लोदी के तहत एक महत्वपूर्ण केंद्र का हिस्सा था। 1526 में पानीपत की लड़ाई में बाबर द्वारा इब्राहिम लोदी को हराने के बाद संभल मुगलों के अधीन आ गया। संभल मस्जिद का निर्माण उसी वर्ष बाबर के अधीन एक अधिकारी "हिंदू बेग" ने करवाया था। बाबर के शासनकाल के दौरान निर्मित केवल तीन मस्जिदें आधुनिक समय तक बची रहीं - संभल की जामा मस्जिद, पानीपत की काबुली बाग मस्जिद (1527-28 ई.) और अयोध्या की बाबरी मस्जिद (1529), जिसे 1992 में कार सेवकों ने ध्वस्त कर दिया था।


अमेरिकी इतिहासकार हॉवर्ड क्रेन का कहना है कि बाबर के संस्मरणों में संभल मस्जिद का उल्लेख नहीं है, लेकिन दस्तावेज ये बताते हैं कि एक हिंदू बेग कुसीन नामक शख्स था, जो काबुल से बाबर के साथ आया था। उसी को 1515-16 में और फिर 1528-29 में संभल में तैनात किया गया था। हिंदू बेग ने ही जामा मस्जिद का निर्माण करवाया था। अमेरिकी इतिहासकार कैथरीन एशर ने द न्यू कैम्ब्रिज हिस्ट्री ऑफ़ इंडियाज़ आर्किटेक्चर ऑफ़ मुगल इंडिया में मस्जिद के बारे में लिखा है कि संभल मस्जिद का निर्माण 1526 में मीर हिंदू बेग ने करवाया था, जो बाबर और हुमायूँ दोनों के दरबार में एक महत्वपूर्ण रईस था। एशर के अनुसार, पानीपत में बाबर की काबुली बाग मस्जिद से एक साल पहले बनी संभल मस्जिद भारत में मौजूद पहली मुगल इमारत है। मस्जिद की विशेषताएँ जौनपुर में पंद्रहवीं शताब्दी की शर्की संरचनाओं से मिलती जुलती हैं।

पुरानी एएसआई रिपोर्ट (Sambhal Masjid ASI Report)

एएसआई के प्रथम सहायक एसीएल कार्लाइल ने अपनी 1874-76 की एएसआई रिपोर्ट में लिखा है - संभल में मुख्य इमारत जामा मस्जिद है, जिसके बारे में हिंदू दावा करते हैं कि यह मूल रूप से हरि का मंदिर था। उन्होंने बाबर का उल्लेख करने वाले शिलालेख के बारे में लिखा है कि इसमें सम्राट का नाम गलत है। उन्होंने ये भी लिखा है कि इसकी दीवारें पत्थर से ढकी बड़ी ईंटों से बनी हुई प्रतीत होती हैं, लेकिन मुसलमानों ने दीवारों पर जो प्लास्टर लगाया है, उससे वे जिस सामग्री से बनी हैं, वह छिप जाती है; और मैं केवल इतना कह सकता हूँ कि कई स्थानों पर जहाँ प्लास्टर टूटा हुआ था, जाँच करने पर मैंने पाया कि कुछ स्थानों पर पत्थर उजागर हो गए थे। मेरा मानना ​​है कि मुसलमानों ने अधिकांश पत्थरों को हटा दिया, विशेष रूप से उन पत्थरों को जो हिंदू धर्म के निशान थे, और पत्थरों का फ़र्श बना दिया, मूर्तियों को नीचे की ओर मोड़ दिया। बाहरी प्रांगण की बाहरी सीढ़ियों के नीचे मैंने लाल बलुआ पत्थर में मूर्तिकला के कुछ टुकड़े खोदे, जिनमें से एक नालीदार स्तंभ का ऊपरी भाग था।"


सर अलेक्जेंडर कनिंघम, जो उस समय एएसआई के महानिदेशक थे, कार्लाइल से असहमत थे। उन्होंने रिपोर्ट में एक नोट जोड़ा जिसमें लिखा था, "मस्जिद में शिलालेख, जिसे हिंदू नकली होने का आरोप लगाते हैं, मुझे बिल्कुल असली लगता है।"

बहरहाल, सम्भल की जामा मस्जिद के नीचे क्या है, पहले यहां क्या था, कुछ कहा नहीं जा सकता।



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Admin 2

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