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UP Samvida Karmi: यूपी में बिजली विभाग के 57000 संविदा कर्मचारियों के कब बहुरेंगे दिन, सरकार से वादा निभाने की मांग
UP Samvida Karmi News: ओडिसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने 57,000 संविदा कर्मचारियों को नियमित करके उन्हें दिवाली का बड़ा गिफ्ट दिया है।
UP Samvida Karmi News: ओडिसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के ऐतिहासिक फैसले की जमकर प्रशंसा हो रही है। उन्होंने राज्य के युवाओं से मांफी मांगते हुए 57,000 संविदा कर्मचारियों को नियमित करके उन्हें दिवाली का बड़ा गिफ्ट दिया है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में जहां लाखों की संख्या में संविदा कर्मचारी (Contract Employees) कार्यरत हैं, उनकी भी सुध राज्य सरकार लेगी। क्योंकि इसी सरकार ने उन्हें नियमित करने का वादा भी किया था। अब सरकार के वादे और अपनी मांग को लेकर बिजली विभाग के संविदा कर्मचारी लामबंद होने लगे हैं। सरकार से लेकर अदालत तक वह अपने हक की लड़ाई लड़ने की बात कह रहे हैं।
न्यूजट्रैक ने उत्तर प्रदेश विद्युत मजदूर संगठन के अध्यक्ष आर.एस राय से जब इस संबंध में बात की तो उन्होंने ओडिसा सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए यूपी में भी इसे लागू करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि इस पर दूसरी सरकारों को भी सोचना चाहिए, अब हम लोग भी इस लड़ाई को और तेज करेंगे। आर.एस. राय कहते हैं कि यूपीपीसीएल में संविदा पर इस वक्त 57,000 कर्मचारी कार्य कर रहे हैं जो आउटसोर्सिंग के जरिए रखे जाते हैं।
उन्होंने कहा कॉन्ट्रैक्ट लेबर रिलेशन एक्ट 1970 में बना था। आज यूपी में संविदा कर्मचारी एजेंसियों के जरिए रखे जाते हैं। लेकिन इस एक्ट का पालन नहीं होता है, इस एक्ट में कहा गया है कि अगर आप किसी को रख रहे हैं, (जैसे बिजली घर चलाना या लाइन चलाना) यह रेगुलर कार्य की श्रेणी में आता है, लेकिन इन कर्मचारियों को रेगुलर नहीं माना जाता है। यूपी की योगी सरकार ने कहा था कि हम यूपीपीसीएल में जो भी नियुक्तियां करेंगे संविदा पर करेंगे। पांच साल बाद इनके कार्य को देखते हुए रेगुलर कर देंगे। आज उसी पैमाने को मान लिया जाए तो पांच साल से ज्यादा का समय हो गया है, लेकिन सरकार अपने वादे के मुताबिक भी इन कर्मियों का ध्यान नहीं दे रही है।
2007 में शुरू हुई थी संविदा पर नियुक्ति (UP Samvida Karmi Appointment)
उत्तर प्रदेश में वर्ष 2007 से संविदा कर्मी काम कर रहे हैं, तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय मुलामय सिंह यादव ने इसे शुरू किया था। 2007 में ए.के. खुराना एमडी और ऊर्जा सचिव थे। उन्होंने पहला ऑर्डर 8 फरवरी 2007 को जारी किया था कि बिजली विभाग में संविदा पर कर्मी रखे जाएंगे। उस समय से इस विभाग में कर्मचारी कार्य कर रहे हैं लेकिन आज तक नियमित नहीं हुए। उस वक्त मैन पावर बढ़ाने के लिए इन्हें रखा गया था।
आज उत्तर प्रदेश में रजिस्टर्ड 2.50 करोड़ बिजली के कनेक्शन हैं और मैन पावर जेई, इंजीनियर को छोड़ दें तो लगभग 25 हजार के करीब रह गए हैं। जिस वक्त से मैं काम कर रहा हूं, 1967 में करीब 25 लाख कनेक्शन हुआ करते थे और ढाई करोड़ से ज्यादा हो चुके हैं, जो 10 गुना ज्यादा है। तो काम 10 गुना बढ़ा गया लेकिन आदमी उसके 1/10 ही हैं और सभी कार्य संविदा कर्मी ही कर रहे हैं।
इन संविदा कर्मियों में लाइनमैन को लगभग 10,000 रुपया प्रतिमाह मानदेय मिलता है जो उत्तर प्रदेश सरकार का न्यूनतम वेज है, जो बीड़ी, मोमबती जैसे प्राइवेट कारखाने में काम करने वाले मजदूरों को भी मिलता है। इसके अलावा अगर ड्यूटी के दौरान मृत्यु होती है तो 5 लाख का मुआवजा मिलता है। हालांकि इसका आदेश पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कार्यकाल में हुआ था लेकिन लागू योगी सरकार के पहले कार्यकाल में तत्कालीन ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने लागू किया था। उसके बाद से कर्मचारियों के लिए आज तक कोई आदेश जारी नहीं हुआ।
अब अगली रणनीति क्या होगी?
आर.एस. राय कहते हैं कि अभी हम लोग इस पर पूरी रणनीति तैयार कर रहे हैं, हालांकि लंबे समय से इसकी लड़ाई लड़ी जा रही है। सरकार से भी कई दफा बातचीत हो चुकी है, विभागीय बड़े अधिकारी कई बार आश्वासन भी दे चुके हैं, लेकिन वह कहते हैं लागू सरकार को करना है, क्योंकि वेतन वहीं से आना है। इसी विभाग में कुछ सैनिक कल्याण निगम के लोग हैं, जो एसएचओ का काम करते हैं, उनको 20,000 रुपया वेतन मिलता है। लेकिन बाहरी एजेंसी के जरिए जो हमारा कर्मचारी रखा जाता है वह 10,000 रुपया पाता है। ये अजीबो-गरीब स्थिति यूपी में है। उन्होंने कहा अब हमारा अगला प्रयास यह है कि पहले सभी जो पूरे प्रदेश में 58,000 कर्मचारी हैं उन्हें संगठित करें और इसका एक महासंघ बने। हालांकि पहले से एक संघ बना हुआ लेकिन अभी आधिकारिक तौर पर यह कार्य नहीं कर रहा है। लेकिन अब इसे आगे बढ़ाया जाएगा।
आर.एस. राय ने यह भी बताया कि ओडिसा सरकार के अलावा भी कुछ राज्य इस पर विचार कर रहे हैं तेलंगाना ने लागू भी कर दिया है। छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार भी इसका विचार कर रही है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक्सपीरियंस लोगों को रेगुलर किया है, उसके बराबर वेज देने का काम किया है। सुप्रीम कोर्ट भी कह चुका है कि रेगुलर के बराबर अगर संविदा कर्मचारी कार्य कर रहा है कि उसे उतना ही वेज मिलना चाहिए। लेकिन कोई सीधा आदेश नहीं आया है। अब हम लोग इस पर विचार कर रहे हैं कि इसको सुप्रीम कोर्ट लेकर जाएं। क्योंकि यह एक नीतिगत बड़ा मामला है केंद्र सरकार तो पूरे देश की सरकार है और उनकी नीति ही यही है कि वह रेगुलर नहीं करेंगे जैसे पेंशन इन्होंने खत्म किया।
विद्युत संविदा कर्मियों की मांगें (Demands of electrical contract workers)
1. संविदा कर्मचारियों को प्रत्येक माह में 7 तारीख तक वेतन दिये जाने के सम्बन्ध मे चेयरमैन के आदेश का कड़ाई से पालन किया जाय एवं दिवाली से पूर्व सम्पूर्ण बकाया वेतन का भुगतान किया जाय।
2. श्रमिकों का न्यूनतम वेतन 22000 रुपये एवं एस०एस०ओ० तथा लाइनमैन को 25000 रुपये वेतन दिया जाय अथवा सैनिक कल्याण निगम द्वारा सबस्टेशनों पर नियुक्त एसएसओ के बराबर वेतन दिया जाय।
3. मृतक संविदा कर्मी के आश्रित को दिया जा रहा मुआवजा 5 लाख से बढ़ाकर 20 रुपया लाख किया जाय।
4. विद्युत दुर्घटना के फलस्वरूप स्थायी विकलांग हुए संविदा कर्मी को विद्युत आघात से मृतक संविदा कर्मी के आश्रित के बराबर मुआबजा का भुगतान किया जाय।
5. 5 वर्ष या उससे अधिक संविदा में कार्य कर रहे संविदा कर्मियों को रिक्त नियमित पदों पर समायोजित किया जाय।
6. संविदा कर्मचारियों का सेवाकाल नियमित कर्मचारियों के बराबर 60 वर्ष किया जाय।