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बहुसंख्यक वर्ग की उपेक्षा से आहत सपा नेता के बेटे ने दिया इस्‍तीफा

Newstrack
Published on: 20 May 2016 7:31 AM GMT
बहुसंख्यक वर्ग की उपेक्षा से आहत सपा नेता के बेटे ने दिया इस्‍तीफा
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लखनऊः बहुसंख्यक वर्ग की उपेक्षा से आहत होकर सपा के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य राहुल कौशिक ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। राहुल सपा के संस्थापक सदस्य स्व. रमाशंकर कौशिक के बेटे हैं। रमाशंकर सपा मुखिया मुलायम सिंह के करीबी नेताओं में गिने जाते थे।

उपेक्षा के वातावरण में पद पर बने रहना संभव नहीं

कौशिक ने सीएम और सपा के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव को लिखे पत्र में कहा है कि पार्टी के प्रदेश कार्यकारिणी में मनोनीत किए जाने के लिए सदैव आपका आभारी हूं, लेकिन इस उपेक्षा के वातावरण में अब इस पद पर बने रहना मेरे लिए संभव नहीं है।

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बहुसंख्यक वर्ग की हमसे खासी अपेक्षा थी

newztrack से बातचीत में राहुल कौशिक ने बताया कि उनके सपा के प्रदेश समिति में सदस्य मनोनीत होने के बाद से अमरोहा, मुरादाबाद, संभल समेत तमाम जिलों के लोगों की उनसे खासी अपेक्षा थी। विशेषकर बहुसंख्यक वर्ग के लोगों की, जिस पर वह खरा नहीं उतर पा रहे थे।

अधिकारी तवज्जो न दें तो पद की ​गरिमा और नाम खराब होता है

कौशिक ने कहा कि किसी रूलिंग पार्टी की प्रदेश समिति का सदस्य अपने क्षेत्र के काम कराना चाहे और क्षेत्र में प्रशासनिक अधिकारी तवज्जो न दें। इससे पद की गरिमा और नाम खराब होता है।

-एमएलसी और राज्यसभा सदस्य के उम्मीदवारों की सूची जारी होने के बाद दिया इस्तीफा।

-राहुल कौशिक की अभिव्यक्ति, कहा—इन स्थितियों में क्या नई राह तलाशनी चाहिए?

-अपने उत्कृष्ट कार्यों के कारण सीएम अखिलेश यादव लोकप्रिय हैं।

-लेकिन विधायक अपने कार्यकलापों के कारण जनता में अपनी साख खो बैठे हैं।

-अपने जिले अमरोहा में 4 विधायक और दो कैबिनेट मंत्री कमोबेश पूरे समय से ही हैं।

-पर अफ़सोस ये है कि एक भी ऐसा प्रोजेक्ट या काम जिले मे नहीं हुआ।

-जिसे हम “showcase” के रूप में या पार्टी की एक बड़ी उपलब्धि के रूप में जनता के सामने रख सकें।

-और तो और, मुख्यमंत्री का एक official program तक हम नहीं ले पाए अपने जिले में।

-इन साढ़े चार सालों में, जिसमें पार्टी के कार्यकर्ता मुख्यमंत्री से सीधे बात कर लेते।

-नेता जी (मुलायम सिंह) ने एक बार अपने भाषण में कहा था कि नए पद पर आते ही 6 महीने के अंदर ऐसा काम कर दिखाना चाहिए, जिसे जनता याद रखे।

-अफ़सोस ये नसीहत जिले में तो अनसुनी ही रह गई।

कौन हैं रमाशंकर कौशिक ?

रमाशंकर कौशिक ने 4 नवम्बर 1992 को बेगम हज़रात महल पार्क में मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में जनेश्वर मिश्र, ब्रजभूषण तिवारी, मोहन सिंह, रेवती रमण सिंह, भगवती सिंह, आज़म खान, बेनी प्रसाद वर्मा, रामसरन दास आदि के साथ मिल कर समाजवादी पार्टी की स्थापना की।

राजनीति में आए थे, लोहिया के साथ रहे

रमाशंकर कौशिक लखनऊ युनिवेर्सिटी से छात्र जीवन में आचार्य नरेन्द्र देव से प्रभावित होकर राजनीति में आये फिर डा राम मनोहर लोहिया के साथ हो लिए। 1977 में जनता पार्टी से यूपी विधान सभा के सदस्य चुने गए।

-1978 से लेकर 1980 तक यूपी सरकार में श्रम, आबकारी एवं स्वास्थ विभाग के मंत्री रहे।

-1985 में दुबारा यूपी विधान सभा के सदस्य के रूप में (कांग्रेस -जे) से चुने गए।

-1990 में विधान परिषद् सदस्य बने और नेता सदन के साथ—साथ उच्च शिक्षा मंत्री रहे।

-1993 में नगर बिकास मंत्री बने उत्तराखंड का निर्माण कौशिक कमेटी की सिफ़ारिशो के आधार पर हुआ था।

-1998 में सपा से राज्य सभा के सदस्य चुने गए।

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